जम्मू-कश्मीर के संविधान विशेषज्ञ राज्यपाल मलिक से असहमत

Edited By Monika Jamwal,Updated: 23 Nov, 2018 12:21 PM

law experts are disagree with governor malik decision

जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक के राज्य विधानसभा भंग करने के निर्णय पर विधि विशेषज्ञों ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि राज्यपाल को पी.डी.पी. के नेतृत्व वाले गठबंधन को सदन में अपना बहुमत साबित करने का एक अवसर प्रदान करना चाहिये था।

श्रीनगर : जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक के राज्य विधानसभा भंग करने के निर्णय पर विधि विशेषज्ञों ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि राज्यपाल को पी.डी.पी. के नेतृत्व वाले गठबंधन को सदन में अपना बहुमत साबित करने का एक अवसर प्रदान करना चाहिये था। राज्य के पूर्व महाधिवक्ता मोहम्मद इशाक कादरी ने कहा कि सरकार बनाने के दावे को देखते हुये विधानसभा भंग करने में संविधान की भावना और उच्चतम न्यायालय के दिशानिर्देशों का अनुपालन नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि सरकार बनाने के पत्र में किए दावे के समर्थन में राज्यपाल को और अतिरिक्त दस्तावेज मंगा कर खुद को संतुष्ट करना चाहिये था। कादरी ने कहा कि बीते पांच महीनों से विधानसभा निलंबित रखी गयी और इसका उद्देश्य राज्य में नयी सरकार के गठन को एक अवसर प्रदान करना था।    


एक अन्य पूर्व महाधिवक्ता अल्ताफ हुसैन नाइक ने कादरी के विचारों से सहमति व्यक्त करते हुये कहा कि सामन्य तौर पर उन्हें उस व्यक्ति को एक अवसर देना चाहिये था जो सदन में बहुमत साबित करके सरकार के गठन का दावा करता हो। संविधान की प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिये था। प्रसिद्ध वकील जाफर शाह ने एक दूसरी राय रखते हुये कहा कि विधानसभा को भंग करने का निर्णय राज्यपाल के संतुष्ट होने पर निर्भर है। इसकी न्यायिक समीक्षा भी हो सकती है। उन्होंने कहा कि विधानसभा को भंग करने के निर्णय के आधार से संबंधित तथ्यों की समीक्षा के लिए न्यायालय की शरण ली जा सकती है।

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