Edited By Yaspal,Updated: 10 Dec, 2019 09:30 PM
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश आरएम लोढा ने लोकसभा से पारित नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि धर्म के आधार पर बनाया गया कोई भी कानून संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। बता दें कि लोकसभा में सोमवार
नेशनल डेस्कः सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश आरएम लोढा ने लोकसभा से पारित नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि धर्म के आधार पर बनाया गया कोई भी कानून संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। बता दें कि लोकसभा में सोमवार को देर रात तक हुई गरमा-गरम बहस के बाद बिल को पारित कर दिया गया। विधेयक के पक्ष में 311, जबकि विरोध में 80 वोट पड़े। माना जा रहा है कि मोदी सरकार इस विधेयक को राज्यसभा से भी पारित करा लेगी।
पूर्व सीजेआई कहा कि इस कानून पर अभी बात करना या कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा। अभी हमें यह भी नहीं पता कि इस कानून की संरचना कैसी होगी। सिर्फ इतना कहा जा सकता है कि धर्म के आधार पर किसी समुदाय को बनाए जा रहे किसी भी कानून से बाहर रखना संविधान के प्रावधानों को संतुष्ट नहीं कर पाएगा। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो ऐसा कानून संविधान की मूलभावना के खिलाफ होगा।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने भी कहा था कि नागरिकता संशोधन विधेयक देश के संविधान पर हमला है। हमें सभी के लिए मुक्त भारत का निर्माण करना चाहिए। हम देश को धर्म के आधार पर नहीं बांट सकते। उन्होंने विधेयक को लोकसभा में पेश किए जाने से पहले भी कहा था कि धर्म के आधार पर राष्ट्रीयता को तय करना पाकिस्तान का तरीका है। इस विधेयक में सिर्फ छह धर्म के लोगों को भारत की नागरिकता प्राप्त करने का प्रावधान किया गया है। बाकी धर्मों को विधेयक में बाहर कर दिया गया है। यह धर्म के आधार पर भेदभाव है।
नागरिकता संशोधन विधेयक के कानून बनने के बाद पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक आधार पर प्रताडि़त गैर-मुस्लिमों को भारत की नागरिकता प्राप्त करने में आसानी हो जाएगी। ये ऐसा पहला विधेयक होगा, जिसके तहत लोगों को धर्म के आधार पर भारत की नागरिकता मिलेगी। बता दें कि इस सप्ताह 1,000 से ज्यादा लोगों ने विधेयक पर चिंता जताने वाले बयान पर हस्ताक्षर किए थे। वहीं, कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के अलावा कई पार्टियों ने लोकसभा में भी इसका विरोध किया था।