Video-मध्यप्रदेश में स्टेट बार ने चीफ जस्टिस से मुलाकात के बाद हड़ताल ली वापस

Edited By ASHISH KUMAR,Updated: 10 Apr, 2018 08:22 PM

: स्टेट बार काउंसिल सोमवार तक हड़ताल पर अड़ा था लेकिन जैसे ही चीफ जस्टिस ने मंगलवार की सुबह सुनवाई करते हुए आदेश दिया की हड़ताल न्यायहित में सही नहीं है तो स्टेट बार का रुख नरम हो गया। स्टेट बार ने अदालत के फैसले का सम्मान किया। इतना ही नहीं चीफ जस्टिस...

मध्यप्रदेश: स्टेट बार काउंसिल सोमवार तक हड़ताल पर अड़ा था लेकिन जैसे ही चीफ जस्टिस ने मंगलवार की सुबह सुनवाई करते हुए आदेश दिया की हड़ताल न्यायहित में सही नहीं है तो स्टेट बार का रुख नरम हो गया। स्टेट बार ने अदालत के फैसले का सम्मान किया। इतना ही नहीं चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति हेमन्त गुप्ता से स्टेट बार के अध्यक्ष शिवेंद्र उपाध्याय ने अपने सदस्यों के साथ मुलाकात की। जिस के बाद चीफ जस्टिस ने उनकी मांगों पर सकारात्मक विचार करने का भरोसा दिलाया। साथ ही प्रदेश सरकार की तरफ़ से एडवोकेट जनरल पुरुषेन्द्र कौरव ने स्टेट बार को बताया की प्रदेश के मुख्यमंत्री ने आपकी मांगो को मान लिया है और 19 मई को मुख्यमंत्री के द्वारा आप सभी की मौजूदगी में भोपाल में इसकी घोषणा की जाएगी। इन सब बातों के बाद हड़ताल वापस ले ली गयी।

एक लाख वकील काम पर लौटै
मध्यप्रदेश स्टेट बार काउंसिल 9 अप्रैल से 1 लाख से ज्यादा वकीलों के साथ सरकार के विरोध में और अपनी मांगों को ले कर हड़ताल पर था। सोमवार को पक्षकार परेशान होते नजर आए वहीँ अदालत में वकील कही भी नहीं दिखे। भोपाल में अपनी मांगों की पूर्ति के लिए वकील मुंडन कराकर विरोध प्रकट करते देखे गए। सोमवार की सुबह अध्यक्ष शिवेन्द्र उपाध्याय की मौजूदगी में एक बैठक की और वकील एक मत से हड़ताल पर चले गए थे। उसके बाद दोपहर पत्र रजिस्टर जनरल फ़हीम अनवर ने जारी किया और हड़ताल से वापस आने का अनुरोध किया था। उसके साथ ही उनके मांग पत्र के सम्बंध में कहा की जो उच्च न्यायालय के अधिकार में है उस पर जल्द कार्यवाही की जायेगी। पंजाब केसरी ने स्टेट बार और उच्च न्यायालय के गतिरोध को दूर करने की पहल करते हुए रजिस्टार जनरल फहीम अनवर से बातचीत भी की थी। जिस के बाद रजिस्टार जनरल ने वकीलों से अनुरोध किया की वो हड़ताल वापस लेकर काम पर लौंटे। इस बात की जानकारी पंजाब केसरी ने ही स्टेट बार से बातचीत की कर दी। 

960 कार्य घंटे होते हड़ताल से बर्बाद 
रजिस्टर जनरल ने पत्र के माध्यम से उल्लेख किया था कि उच्च न्यायालय में वर्तमान में 32 न्यायमूर्ति गण के न्यायालय कार्यरत हैं। जिनके समक्ष लगभग 5 हजार प्रकरण नियत होते हैं। प्रत्येक न्यायाधीश 5 घंटे से ज्यादा का कार्य करते हैं। यानी हड़ताल से जोड़ा जाए तो 960 घंटे की हानि होगी।  इसलिए पक्षकारों की समस्या बढ़ जायेगी।

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