खुद को जया का बेटा बताने वाले को अदालत ने लगाई डांट

Edited By ,Updated: 17 Mar, 2017 05:33 PM

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मद्रास उच्च न्यायालय ने आज खुद को तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता का ‘गोपनीय बेटा’ बताने वाले को फटकार लगाते हुए उसके द्वारा जमा कराए गए दस्तावेजों की प्रमाणिकता पर सवाल उठाए।

चेन्नई: मद्रास उच्च न्यायालय ने आज खुद को तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता का ‘गोपनीय बेटा’ बताने वाले को फटकार लगाते हुए उसके द्वारा जमा कराए गए दस्तावेजों की प्रमाणिकता पर सवाल उठाए। न्यायमूर्ति आर महादेवन ने कहा, ‘‘मैं इस शख्स को सीधे जेल भेज सकता हूं। मैं पुलिस अधिकारियों से कहूंगा कि उसे सीधे जेल में ले जाए।’’  न्यायाधीश ने उस शख्स को कल पुलिस आयुक्त के सामने खुद पेश होकर उन्हें जांच के लिये मूल दस्तावेज सौंपने को कहा। जे कृष्णामूर्ति नाम के इस शख्स ने अदालत में कहा कि वह जयललिता और तेलगु अभिनेता शोभन बाबू की संतान है। उसने गोद लेने के दस्तावेज समेत कुछ कागजात भी अदालत के समक्ष रखे। उसने खुद को जयललिता का बेटा घोषित करने में मदद की मांग की। उसने कहा कि बेटे के तौर पर जयललिता के पोएश गार्डन स्थित घर समेत उनकी संपत्तियों पर उसका हक है। 

 याचिकाकर्ता ने अदालत से मांग की कि वह राज्य के पुलिस महानिदेशक को उसे सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दें क्योंकि उसे जयललिता की सहयोगी और अन्नाद्रमुक महासचिव वी के शशिकला के परिवार से खतरे की आशंका है। यह याचिका उच्च न्यायालय के पंजीयन कार्यालय में एक हफ्ते पहले दायर की गयी थी और आज यह स्वीकार करने योग्य है या नहीं इसे गुणदोष के आधार पर देखा जाना था। न्यायाधीश ने कहा कि याचिकाकर्ता ने ‘‘मनगढ़ंत’’ दस्तावेज बनाए हैं।  

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘...अगर एलकेजी के छात्र के समक्ष भी ये दस्तावेज रख दिये जायें तो वह कहेगा कि यह मनगढ़ंत दस्तावेज हैं। आपने सार्वजनिक क्षेत्र में मौजूद एक तस्वीर लगा दी। आपको क्या लगता है कोई भी अंदर आयेगा और जनहित याचिका की कार्यवाही शुरू हो जाएगी।’’  न्यायाधीश ने कहा, ‘‘अदालत से खिलवाड़ मत करो।’’ इसके बाद उन्होंने सहायक लोक अभियोजक इमलियास को इन दस्तावेजों की सत्यता सुनिश्चित करने को कहा। यह दस्तावेज पुलिस आयुक्त के समक्ष पेश किए जायेंगे। ‘‘आयुक्त को ही इन दस्तावेजों की सत्यता परखने दीजिए।’’ याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उसका जन्म 1985 में हुआ था और एक साल बाद इरोड स्थित वसंतमनि परिवार को उसे गोद दे दिया गया। वसंतमणि 1980 के दशक में पूर्व मुख्यमंत्री एम जी रामचंद्रन के यहां कथित तौर पर काम करते थे।  


याचिकाकर्ता के मुताबिक ‘गोद के दस्तावेज’ पर पीछे की तरफ जयललिता, शोभन बाबू और वसंतमनि की तस्वीर और दस्तखत हैं। इस दस्तावेज में ‘गवाह’ के तौर पर एम जी रामचंद्रन के दस्तखत हैं। इस संदर्भ में न्यायाधीश ने कहा कि जिस समय का यह कथित खत बताया जा रहा है उस समय दिवंगत मुख्यमंत्री एम जी रामचंद्रन अपना हाथ हिलाने की हालत में भी नहीं थे। न्यायाधीश ने कहा, ‘‘दस्तावेज में लेकिन दिखाया जा रहा है कि उन्होंने दस्तखत किए।’’  उन्होंने कहा, ‘‘इस शख्स (याचिकाकर्ता) ने मनगढ़ंत दस्तावेज बनाए...।’’ 

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