Edited By Yaspal,Updated: 07 Jul, 2019 08:49 PM
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि देश के लिए जरूरी है कि भय की राजनीति उम्मीदों की राजनीति पर हावी न हो। राजस्थान विधानसभा में पंद्रहवीं विधानसभा के निर्वाचित सदस्यों के लिए आयोजित प्रबोधन कार्यक्रम के समापन सत्र को संबोधित करते...
जयपुरः पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि देश के लिए जरूरी है कि भय की राजनीति उम्मीदों की राजनीति पर हावी न हो। राजस्थान विधानसभा में पंद्रहवीं विधानसभा के निर्वाचित सदस्यों के लिए आयोजित प्रबोधन कार्यक्रम के समापन सत्र को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा कि विधायकों को लोगों में आत्मविश्वास लाना चाहिए, ताकि वे खुशी से रह सकें। उन्होंने कहा कि कुछ दिन पूर्व एक जाने-माने शिक्षाविद ने इस बात को इंगित किया था कि भय की राजनीति उम्मीदों की राजनीति पर खतरा बन सकती है।
उम्मीदों पर राजनीति हावी न हो
सिंह ने कहा कि भय की राजनीति उम्मीदों की राजनीति पर हावी नहीं हो, इसके लिये जनता विधायकों पर निर्भर रहती है और यह देश के लिये जरूरी है। पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रबोधन कार्यक्रम के माध्यम से विधायक राज्य के प्रति अपने संसदीय दायित्व को बेहतर तरीके से समझ सकेंगे। उन्होंने कहा कि हर विधायक का प्रथम कर्तव्य है कि वह अपने विधानसभा क्षेत्र के निवासियों और विधानसभा के बीच कड़ी के रूप में काम करे। उसे विधायक कोष की राशि का सौ प्रतिशत उपयोग कर अपने विधानसभा क्षेत्र में आधारभूत संरचना, स्कूल, चिकित्सालय निर्माण जैसे कार्य कराने चाहिए।
लोगों को सुनने की आदत होनी चाहिए
सिंह ने विधायकों से कहा, ‘‘आप इस समस्या को भली भांति समझते हैं, इसलिए जनता में आत्मविश्वास लाना आपकी प्राथमिकता होनी चाहिए ताकि उनमें यह विश्वास हो सके कि आपके कुशल नेतृत्व के कारण वे लोग खुशहाली से जी रहे हैं।'' उन्होंने कहा कि वह भविष्य को लेकर पूर्णतया आश्वस्त हैं। सिंह ने कहा कि एक विधायक को विशेष तौर पर जब वह विपक्ष में हो तब अन्य लोगों को सुनने की आदत होनी चाहिए।
पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें बहुत दुख होता है जब कुछ राज्यों की विधानसभाओं में विधायक अभद्र व्यवहार करते हैं। उन्होंने कहा कि लोकसभा और कई विधानसभाओं की कार्यवाही का अब सीधा प्रसारण किया जा रहा है। यह अफसोस की बात है कि कभी-कभी कुछ विधायक और कुछ सांसद सदन में अभद्र व्यवहार करते हैं। इससे मुझे बहुत दुख होता है। इस तरह की घटनाओं से युवा पीढ़ी में एक गलत संदेश पहुंचता है। सदनों में तथ्यपरक और गुणवत्तापूर्ण चर्चा होनी चाहिए। सिंह ने कहा कि विश्व में संसदीय लोकतंत्र के बदलते परिदृश्य में राजस्थान एक अग्रणी प्रदेश के रूप में पहचाना जाता है।