चुनावी लड़ाई से पहले पिता की कब्र पर पहुंचीं महबूबा मुफ्ती

Edited By Parveen Kumar,Updated: 23 May, 2024 10:51 PM

mehbooba mufti reached her father s grave before the election battle

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती अनंतनाग-राजौरी लोकसभा सीट पर 25 मई को होने वाले मतदान से पहले बृहस्पतिवार को अपने पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद की कब्र पर पहुंचीं। लोकसभा चुनाव के प्रचार में व्यस्तता के बावजूद महबूबा मुफ्ती ने...

नेशनल डेस्क : पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती अनंतनाग-राजौरी लोकसभा सीट पर 25 मई को होने वाले मतदान से पहले बृहस्पतिवार को अपने पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद की कब्र पर पहुंचीं। लोकसभा चुनाव के प्रचार में व्यस्तता के बावजूद महबूबा मुफ्ती ने अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए समय निकाला। उन्होंने कहा, "जब भी मैं अकेला महसूस करती हूं तो इस जगह पर आ जाती हूं और हमेशा चाहती हूं कि मेरे पिता यहां मेरे साथ हों। मैं उनकी कब्र के पास बैठती हूं जिससे मुझे ताकत मिलती है।'' उनके पिता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद का 2016 में निधन हो गया था। महबूबा 2019 में जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा निरस्त होने के बाद से राजनीतिक चुनौतियों का सामना कर रही हैं।

उन्होंने क्षेत्र के भूराजनीतिक परिदृश्य पर अपनी राय रखते हुए कहा, ‘‘नेशनल कॉन्फ्रेंस 1931 से सभी समझौतों का हिस्सा रही है - मैं उन्हें समझौते नहीं कहूंगी बल्कि और जम्मू और कश्मीर के संबंध में निर्णय को आत्मसमर्पण कहूंगी। आज हम जिस स्थिति में हैं, जिन समस्याओं का सामना कर रहे हैं, वे सब उन्हीं के कारण हैं।'' पीडीपी ने 2015 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ गठबंधन में जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाई थी। भाजपा ने 2018 में सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। महबूबा ने पीडीपी के पिछले गठबंधनों और उपलब्धियों पर चर्चा करते हुए संवाद और समाधान की दिशा में पार्टी के प्रयासों पर प्रकाश डाला।

उन्होंने टिप्पणी की, ‘‘यदि आप पिछले 70 वर्षों में जम्मू-कश्मीर के इतिहास को देखें, तो अगर कोई पार्टी थी जिसने केंद्र के साथ समझौता किया था, तो वह पीडीपी थी... हमने भाजपा के साथ कोई समझौता नहीं किया था।'' पीडीपी अध्यक्ष ने कहा, "हमने उन्हें कश्मीर मुद्दे के समाधान के संबंध में बातचीत के लिए सहमत किया जैसे पाकिस्तान के साथ बातचीत, जम्मू-कश्मीर में बातचीत, आफस्पा हटाना, अनुच्छेद 370 का संरक्षण।'' दक्षिण कश्मीर में मतदान के प्रति आशावान महबूबा ने श्रीनगर और बारामूला की तुलना में अनंतनाग-राजौरी निर्वाचन क्षेत्र में पर्याप्त भागीदारी की उम्मीद की।

महबूबा सहित 20 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला 18.30 लाख से अधिक पात्र मतदाता करेंगे, जिनमें 8.99 लाख महिलाएं और 81,000 से अधिक पहली बार मतदान करने वाले मतदाता शामिल हैं। अनंतनाग-राजौरी सीट का मौजूदा स्वरूप 2022 में परिसीमन आयोग की सिफारिश के बाद आया जिसमें पुलवामा और शोपियां के कुछ हिस्सों को अलग कर दिया गया और राजौरी एवं पुंछ जिले के अधिकतर हिस्से को इस सीट के अंतर्गत लाया गया। महबूबा को नेशनल कॉन्फ्रेंस के उम्मीदवार और प्रभावशाली गुज्जर नेता मियां अल्ताफ और अपनी पार्टी के जफर इकबाल खान मन्हास से कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। मन्हास को भाजपा का समर्थन प्राप्त है। डीपीएपी नेता मोहम्मद सलीम परे और 10 निर्दलीय भी मैदान में हैं। इस सीट पर चुनाव प्रचार बृहस्पतिवार को समाप्त हो गया।

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