मोदी राज में होगा 'अटल युग' का अंत, राष्ट्रधर्म पर मंडराने लगे संकट के बादल

Edited By ,Updated: 10 Apr, 2017 10:13 AM

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केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्रालय ने राष्ट्रधर्म पत्रिका की डायरेक्टेट ऑफ एडवरटाइजिंग एंड विजुअल पब्लिसिटी की मान्यता को रद्द कर दिया है जिसके बाद यह पत्रिका केंद्र के विज्ञापनों की सूची से बाहर हो गई है।

नई दिल्लीः केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्रालय ने राष्ट्रधर्म पत्रिका की डायरेक्टेट ऑफ एडवरटाइजिंग एंड विजुअल पब्लिसिटी की मान्यता को रद्द कर दिया है जिसके बाद यह पत्रिका केंद्र के विज्ञापनों की सूची से बाहर हो गई है। बता दें कि भाजपा के वरिष्ठतम नेता पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 'राष्ट्रधर्म' पत्रिका को शुरू किया था लेकिन अब इस पर सकंट के बादल मंडराने लगे हैं।

राष्ट्रधर्म पत्रिका की शुरुआत 1947 में हुई थी, अटल बिहारी वाजपेयी इस पत्रिका के संस्थापक संपादक थे तो वहीं जनसंघ के संस्थापक पं. दीनदयाल उपाध्याय पत्रिका के संस्थापक प्रबंधक थे। इस पत्रिका का मकसद संघ के द्वारा राष्ट्र के प्रति लोगों के धर्म के बारे में जागरुक करने का था। सूचना प्रसारण मंत्रालय की ओर से एक पत्र जारी किया गया है, जिसमें कुल 804 पत्र-पत्रिकाओं की डीएवीपी मान्यता को रद्द किया गया है, इस लिस्ट में यूपी से भी 165 पत्रिकायें शामिल हैं।

इसलिए रद्द की मान्यता
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पत्र में बताया गया कि अक्तूबर 2016 के बाद से इन पत्रिकाओं की कॉपी पीआईबी और डीएवीपी के ऑफिस में जमा नहीं कराया गया है।

सरकार की कार्रवाई अनुचित
राष्ट्रधर्म पत्रिका की ओर से जारी बयान में इस कार्रवाई को पूरी तरह से अनुचित बताया गया है। राष्ट्रधर्म के प्रबंधक पवन पुत्र बादल के अनुसार अभी उनके पास इस बात की कोई जानकारी नहीं है लेकिन अगर ऐसा होता है तो यह गलत है। उन्होंने बताया कि आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी सरकार ने हमारे कार्यालय को सील करवा दिया था, उस समय भी पत्रिका का प्रकाशन बंद नहीं हुआ था। उन्होंने कहा बिना किसी नोटिस के कार्रवाई करना अनुचित है।

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