Edited By Pardeep,Updated: 14 Jul, 2020 11:50 AM
मोदी सरकार के कार्यकाल में सरकारी विभागों के कामकाज के तौर-तरीकों में ही नहीं, बल्कि जनसुनवाई में भी सुधार हुआ है। सरकारी महकमों के खिलाफ आने वाली शिकायतों पर भी फैसले तेजी से लिए जा रहे हैं और ज्यादातर फैसले शिकायतकत्र्ता के पक्ष में हो रहे हैं।
नई दिल्लीः मोदी सरकार के कार्यकाल में सरकारी विभागों के कामकाज के तौर-तरीकों में ही नहीं, बल्कि जनसुनवाई में भी सुधार हुआ है। सरकारी महकमों के खिलाफ आने वाली शिकायतों पर भी फैसले तेजी से लिए जा रहे हैं और ज्यादातर फैसले शिकायतकत्र्ता के पक्ष में हो रहे हैं।
निदेशालय के ताजा आंकड़ों के अनुसार सरकारी महकमों के खिलाफ शिकायतों में से 83 फीसदी मामलों में शिकायतकत्र्ता का पलड़ा ही भारी रहा। प्रधानमंत्री की अपनी अध्यक्षता वाले कार्मिक एवं लोक शिकायत मंत्रालय (डी.ओ. पी.टी.) के पास आने वाली शिकायतों में से 75 प्रतिशत का समाधान शिकायतकत्र्ता के पक्ष में ही हुआ, जबकि 8 प्रतिशत मामलों में शिकायतकत्र्ता और आरोपी दोनों के बीच सुलह हो गई। हालांकि शेष 17 प्रतिशत मामले ऐसे थे, जिनमें शिकायत को कार्रवाई के लिए उपयुक्त नहीं माना गया।
कोरोना संक्रमण काल में शुरू हुए चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान लोक शिकायत विभाग के पास 21 क्षेत्रों से जुड़ी 4114 शिकायतें दर्ज करवाई गईं। 1 अप्रैल से 30 जून के दौरान लगभग 1150 यानी 28 प्रतिशत से अधिक का समाधान तिमाही पूरी होने से पहले ही कर दिया गया, जबकि 3465 को दूसरे संबंधित मंत्रालयों और विभागों को आगे की जांच या कार्रवाई के लिए भेजा गया।
लॉकडाऊन के चलते सरकारी विभागों में सामान्य कामकाज न होने के चलते इस वर्ष पहली तिमाही में लगभग दो-तिहाई शिकायतें ही दर्ज करवाई गईं। पिछले दो वित्त वर्ष के दौरान पहली तिमाही के दौरान दर्ज होने वाली शिकायतों की संख्या 6000 से अधिक थी, लेकिन इस बार केवल 4114 शिकायतें ही आईं।
इससे पहले पिछले वित्त वर्ष 2019-20 में विभाग को लगभग 22000 शिकायतें मिलीं, जबकि वित्त वर्ष 2018-19 में 17300 से अधिक शिकायतें मिली थीं। मोदी ने बाबुओं को साफ कर दिया है कि अगर जनता की शिकायत उनके दफ्तर में आती है तो उस पर एक्शन होना ही चाहिए और मामले की तह तक जाना होगा। मोदी खुद भी हर सप्ताह रिपोर्ट देखते हैं।