75 प्रतिशत से अधिक किशोर हैं सोशल मीडिया के आदी, चार सप्ताह में कर सकते हैं खुद पर कंट्रोल

Edited By Mahima,Updated: 04 Mar, 2024 03:29 PM

more than 75 percent of teenagers are addicted to social media

एक अध्ययन में इस बात को लेकर शोध किया गया है कि सोशल मीडिया युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करता है। 75 प्रतिशत से अधिक किशोर हर घंटे अपने फोन को देखते हैं और उनमें से लगभग आधे कहते हैं कि उन्हें ऐसा लगता है कि वे अपने उपकरणों के आदी हो...

नेशनल डेस्क: एक अध्ययन में इस बात को लेकर शोध किया गया है कि सोशल मीडिया युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करता है। 75 प्रतिशत से अधिक किशोर हर घंटे अपने फोन को देखते हैं और उनमें से लगभग आधे कहते हैं कि उन्हें ऐसा लगता है कि वे अपने उपकरणों के आदी हो गए हैं। अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि सोशल मीडिया की लत को 4 सप्ताह में काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है।

सोशल मीडिया की लत
कई लोग सोशल मीडिया की लत की तुलना सिगरेट से करते हैं। वे कहते हैं कि सोशल मीडिया पर कितने लाइक मिले इसे देखने की इच्छा एक नयी तरह की ‘धूम्रपान की तलब’ है। अन्य का मानना है कि सोशल मीडिया पर बेचैनी नई प्रौद्योगिकियों के बारे में नैतिक घबराहट का अगला दौर है। अध्ययनकर्ताओं  ने सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने के हवाले से कहा है कि वे टिक टॉक के 1,000 प्रतिशत आदी हैं। कुछ का कहना है कि उन्हें पूरी तरह से अहसास है कि यह उनके दिमाग पर कब्जा कर रहा है, लेकिन वे इससे दूर नहीं हो पा रहे हैं।

बहुत से लोग अब भी ऑनलाइन बिताए गए समय को लेकर असहज महसूस करते हैं और अक्सर आश्चर्य करते हैं कि क्या वे आदी हैं? सोशल मीडिया के उपयोग पर 2010 के शुरुआती अध्ययन शरीर पर प्रभाव, खाने की आदतों में विकार और सामाजिक तुलना कर नकारात्मक प्रभाव दिखाते हैं। इसके विपरीत अन्य अध्ययन सोशल मीडिया के मानसिक स्वास्थ्य लाभों की ओर इशारा करते हैं, जिसमें सामाजिक बेहतरी, मजबूत दोस्ती और विविध दृष्टिकोणों का सुलभ होना शामिल है।

ऐसे पा सकते हैं आदत पर काबू
अध्ययन में विभिन्न प्रकार की सोशल मीडिया आदतों वाले 500 से अधिक कॉलेज छात्रों ने हिस्सा लिया। छात्र ने सोशल मीडिया के साथ अपने वर्तमान संबंधों पर विचार करके शुरुआत की और फिर उन परिवर्तनों के लिए लक्ष्य निर्धारित किया जो वे करना चाहते हैं। इसमें बिना सोचे-समझे ‘स्क्रॉल’ करने में कम समय बिताना, किसी ऐप पर प्रोत्साहित नहीं करना या शयनकक्ष में फोन लेकर न सोना शामिल हो सकता है। चार सप्ताह तक प्रतिभागी अपने लक्ष्यों को हासिल करने की कोशिश में मिली सफलता की जानकारी देते है।

वे ‘जर्नलिंग’ (डायरी लिखने) और मानक मनोवैज्ञानिक सर्वेक्षणों के माध्यम से अपनी भावनाओं और अनुभवों को बताते हैं जो सोशल मीडिया की लत और अन्य मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों को इंगित करते हैं। प्रारंभिक विश्लेषण संकेत करता है कि चार सप्ताह का हस्तक्षेप उन लोगों में सोशल मीडिया की लत को काफी हद तक कम कर देता है, जिन्होंने सोशल मीडिया की लत के समस्याग्रस्त या नैदानिक स्तरों से शुरुआत की थी।

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