Edited By shukdev,Updated: 16 Nov, 2019 05:09 PM
महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना गठबंधन में टूट का असर 22 नवंबर को मुंबई मेयर के लिए होने वाले चुनाव पर भी पड़ सकता है। बृहन्मुंबई नगर निगम के 2017 में हुए चुनावों में 227 सदस्यीय नगर निगम में शिवसेना के 84 पार्षद जीते थे, वहीं सहयोगी भाजपा के 82...
मुंबई: महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना गठबंधन में टूट का असर 22 नवंबर को मुंबई मेयर के लिए होने वाले चुनाव पर भी पड़ सकता है। बृहन्मुंबई नगर निगम के 2017 में हुए चुनावों में 227 सदस्यीय नगर निगम में शिवसेना के 84 पार्षद जीते थे, वहीं सहयोगी भाजपा के 82 पार्षदों ने जीत हासिल की थी। तब भाजपा ने शिवसेना को समर्थन दिया था और विश्वनाथ महादेश्वर को मेयर चुना गया। महादेश्वर का ढाई साल का कार्यकाल इस साल सितंबर में समाप्त हो गया लेकिन 21 अक्टूबर को हुए विधानसभा चुनावों को देखते हुए उनका कार्यकाल नवंबर तक बढ़ा दिया गया।
विधानसभा चुनाव के 24 अक्टूबर को आए परिणामों के बाद दोनों दलों के बीच दरार आ गई जहां शिवसेना मुख्यमंत्री पद को लेकर समान साझेदारी की मांग पर अड़ी हुई थी। शिवसेना के इस समय 94 पार्षद हैं जिनमें छह पार्षद महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना से आए थे। भाजपा के 83, कांग्रेस के 28, राकांपा के आठ, समाजवादी पार्टी के छह, एमआईएम के दो तथा मनसे का एक पार्षद है। मेयर पद के चुनाव के लिए भाजपा के उम्मीदवार उतारने की संभावनाओं के सवाल पर पार्टी की मुंबई इकाई के अध्यक्ष मंगल प्रभात लोढा ने कहा कि उसने अभी तक इस पर निर्णय नहीं किया है। सपा के रईस शेख ने कहा कि उनकी पार्टी कांग्रेस के साथ बातचीत कर रही है और जल्द फैसला लिया जाएगा।
आरटीआई अर्जियों के माध्यम से देश के सबसे धनवान नगर निगम में अनेक घोटाले उजागर करने वाले कार्यकर्ता अनिल गलगली ने कहा कि इस समय भाजपा का रुख अहम होगा जहां राज्यस्तर पर कांग्रेस-राकांपा की शिवसेना के साथ बातचीत चल रही है। उन्होंने कहा,‘सबसे संभावित परिदृश्य में कांग्रेस और राकांपा विभिन्न समितियों में पद मांग सकते हैं, वहीं अगर भाजपा उम्मीदवार खड़ा करने का मन बनाती है तो उसे नेता प्रतिपक्ष का पद मिल सकता है।' राज्य शहरी विकास विभाग ने एक लॉटरी में तय किया है कि अगला मेयर सामान्य श्रेणी से होगा। हर ढाई साल में मेयर पद पर बारी-बारी से सामान्य और आरक्षित श्रेणी के नेता आरुढ़ होते हैं।