Edited By Anil dev,Updated: 04 Sep, 2018 03:51 PM
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वपूर्ण स्वच्छ भारत अभियान के तहत शहरों की श्रेणी तय करने के ‘स्वच्छ सर्वेक्षण 2018’ पर गंभीर सवाल उठाते हुए राजस्थान की डूंगरपुर नगर परिषद ने कहा है कि रैंकिंग की कागजी प्रक्रिया में भारी चूक हुई है जिससे शहर को उसका...
डूंगरपुर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वपूर्ण स्वच्छ भारत अभियान के तहत शहरों की श्रेणी तय करने के ‘स्वच्छ सर्वेक्षण 2018’ पर गंभीर सवाल उठाते हुए राजस्थान की डूंगरपुर नगर परिषद ने कहा है कि रैंकिंग की कागजी प्रक्रिया में भारी चूक हुई है जिससे शहर को उसका हक नहीं मिला है। डूंगरपुर नगर परिषद के अध्यक्ष के के गुप्ता, उप सभापति फखरूद्दीन बोहरा और आयुक्त गणेश लाल खराडी ने बताया कि राजस्थान के आदिवासी बहुल बांगड़ क्षेत्र के डूंगरपुर नगर को ‘खुले में शौच मुक्त’ घोषित किया है। यह नगर इस संबंध में केंद्र सरकार से तीन बार पुरस्कार ले चुका है। इसके लिए नगर को पांच करोड़ रुपए का विशेष पुरस्कार भी दिया गया है।
कागजी प्रक्रिया में हुई भारी चूक
नगर में स्वच्छ भारत अभियान की सफलता तथा नवाचार को देखते हुए राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने गुप्ता को राज्य में ‘स्वच्छता दूत’ घोषित किया और राज्य के सभी नगर निकायों को डूंगरपुर नगर परिषद क्षेत्र का दौरा करने के निर्देश दिए। कई नवाचारों के लिए प्रधानमंत्री ने भी डूंगरपुर की तारीफ की है। गुप्ता ने कहा कि डूंगरपुर के साथ धोखा हुआ है। कागजी प्रक्रिया में भारी चूक हुई। इससे शहर में स्वच्छता के सभी मानकों को नागरिकों की सहभागिता से पूरा कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि सर्वेक्षण में कुल 1400 अंक निर्धारित किये गये जिसमें 400 अंक खुले में शौच मुक्त के लिए है। नगर में इसे पूरा कर लिया गया है लेकिन इसे मात्र 322 अंक मिले हैं जबकि स्वच्छता के लक्ष्य को हासिल करने के लिए परिषद ने अनेक काम किये हैं।