Edited By Seema Sharma,Updated: 27 Sep, 2019 09:16 AM
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर को अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी (NASA) का लूनर रिकॉनसेंस ऑर्बिटर (LRO ) भी नहीं खोज पाया। नासा ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी। नासा ने कहा कि अब हम विक्रम लैंडर को दोबारा अक्तूबर
नेशनल डेस्कः भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर को अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी (NASA) का लूनर रिकॉनसेंस ऑर्बिटर (LRO ) भी नहीं खोज पाया। नासा ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी। नासा ने कहा कि अब हम विक्रम लैंडर को दोबारा अक्तूबर में खोजने का प्रयास करेंगे। नासा ने ट्वीट किया कि यह उस जगह की तस्वीरें हैं जहां विक्रम ने हार्ड लैंडिंग की थी लेकिन विक्रम का पता नहीं चल पाया। नासा की तरफ से बयान आया कि विक्रम लैंडर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव से करीब 600 किमी दूर गिरा था।
LRO ने 17 सितंबर को उस इलाके में उड़ान भरी जहां विक्रम गिरा था लेकिन शाम का समय होने के कारण वहां की साफ और सही तस्वीरें नहीं ली जा सकीं इसलिए विक्रम का पता नहीं लग पाया। नासा ने कहा कि हालांकि अक्तूबर में वे एक बार फिर से विक्रम का पता लगाने के लिए संपर्क करेंगे, तब तक वहां रोशनी भी होगी। बता दें कि इससे पहले गुरुवार को इसरो के अध्यक्ष के. सिवन ने कहा था कि भविष्य के चंद्र अभियान के लिए योजनाओं पर काम चल रहा है। उन्होंने कहा कि चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर ‘‘काफी अच्छे'' तरीके से काम कर रहा है और सभी पेलोड ठीक तरीके से संचालित हो रहे हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि विक्रम लैंडर के साथ क्या गलत हुआ, इसका पता लगाने के लिए राष्ट्रीय स्तर की समिति का गठन किया गया है।
समिति के रिपोर्ट सौंपते ही हम इस पर काम करेंगे कि भविष्य में क्या किया जाए। उन्होंने कहा कि घोषणा करने से पहले आवश्यक मंजूरियां हासिल करनी होंगी और सभी प्रक्रियाओं को अंतिम रूप देना होगा। सिवन ने कहा कि प्रधानमंत्री की घोषणा के मुताबिक हमें 2022 तक इस सफलता को हासिल करना है। चंद्रमा की सतह पर 7 सितंबर को लैंडिंग के दौरान चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम का इसरो से संपर्क टूट गया था। बाद में सिवन ने कहा था कि इसने हार्ड लैंडिंग की थी। चंद्रयान-2 में एक ऑर्बिटर, एक लैंडर (विक्रम) और एक रोवर (प्रज्ञान) था।