Edited By Yaspal,Updated: 29 Jul, 2019 10:12 PM
लोकसभा ने सोमवार को ‘राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग विधेयक-2019'' को मंजूरी दे दी। सरकार ने इस पर विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि एनएमसी विधेयक निहित स्वार्थी तत्वों का विरोधी है जिसमें राज्यों के अधिकारों को...
नई दिल्लीः लोकसभा ने सोमवार को ‘राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग विधेयक-2019' को मंजूरी दे दी। सरकार ने इस पर विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि एनएमसी विधेयक निहित स्वार्थी तत्वों का विरोधी है जिसमें राज्यों के अधिकारों को बनाये रखते हुए एकल खिड़की वाली मेधा आधारित पारदर्शी नामांकन प्रक्रिया को बढ़ावा देना सुनिश्चित किया गया है।
विपक्षी दलों ने किया विरोध
निचले सदन में विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री हर्षवर्धन ने कहा कि यह कहना सही नहीं है कि राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) विधेयक संघीय स्वरूप के खिलाफ है। राज्यों को संशोधन करने का अधिकार होगा, वे एमओयू कर सकते हैं। विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्यों ने इस विधेयक को संघीय भावना के खिलाफ बताया था। उन्होंने कहा कि कोई भी कॉलेज की स्थापना राज्यों से जरूरत आधारित प्रमाणपत्र प्राप्त किये बिना नहीं हो सकती है। डाक्टरों के पंजीकरण में राज्य सरकारों की भूमिका होगी। मेडिकल कॉलेजों के दैनिक क्रियाकलापों में केंद्र सरकार की कोई भूमिका नहीं होगी।
डाटाबेस की शुचिता सुनिश्चित की जा सकेगी
डा. हर्षवर्धन ने कहा, ‘‘एनएमसी विधेयक निहित स्वार्थी तत्वों का विरोधी और लोकोन्मुखी है। यह इंस्पेक्टर राज को कम करने में मदद करेगा। इसमें हितों का टकराव रोकने की व्यवस्था की गई है। डाक्टरों के डाटाबेस से शुचिता सुनिश्चित की जा सकेगी। '' केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एनएमसी विधेयक लोकोन्मुखी विधेयक है । इसमें नीम हकीमों को कड़ा दंड देने का प्रावधान किया गया है।
48 के मुकाबले 260 मतों से पारित हुआ विधेयक
मंत्री के जवाब के बाद द्रमुक के ए राजा ने विधेयक को विचार एवं पारित होने के लिये आगे बढ़ाये जाने के खिलाफ मत विभाजन की मांग की। सदन ने 48 के मुकाबले 260 मतों से सरकार के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। इसके बाद सदन ने कुछ विपक्षी सदस्यों के संशोधनों को खारिज करते हुए विधेयक को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी। इससे पहले कांग्रेस के सदस्यों ने सदन से वाकआउट किया।