कोविड -19 टीकाकरण कार्यक्रम पर केंद्र का खर्च 50 हजार करोड़ रुपए बढ़ने की संभावना

Edited By Anil dev,Updated: 11 Nov, 2021 10:48 AM

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कोविड -19 टीकाकरण कार्यक्रम पर केंद्र का खर्च इस वित्तीय वर्ष में 50,000 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है।

नेशनल डेस्क: कोविड -19 टीकाकरण कार्यक्रम पर केंद्र का खर्च इस वित्तीय वर्ष में 50,000 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है। सरकार ने बजट में 35,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था। एक मीडिया रिपोर्ट में वित्त मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी के हवाले से कहा गया है कि उम्मीद है कि कुल खर्च 45,000-50,000 करोड़ रुपए के दायरे में होगा। इस राशि का अधिकांश हिस्सा पहले ही खर्च किया जा चुका है। इसके अलावा अधिकारी ने कहा कि 35,000 करोड़ रुपये से अधिक के बजट के लिए 29 नवंबर से शुरू होने वाले शीतकालीन सत्र में संसद की मंजूरी मांगी जाएगी। अतिरिक्त व्यय को बचत या नए आवंटन से पूरा किया जा सकता है। हालांकि वास्तविक तस्वीर तब स्पष्ट होगी जब वित्त मंत्रालय द्वारा अनुदान की अनुपूरक मांग पेश की जाएगी। बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि सरकार जरूरत पड़ने पर और अधिक धन उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है।

बायोलॉजिकल-ई वैक्सीन की 30 करोड़ खुराक आरक्षित
अधिकारी ने कहा कि शुरुआत में केंद्र ने 150 रुपये प्रति डोज के हिसाब से टीके खरीदे थे। हालांकि खरीद प्रणाली में बदलाव के साथ कीमत बढ़कर 200-220 रुपए प्रति डोज हो गई थी। सरकार यह भी उम्मीद कर रही है कि बायोलॉजिकल-ई वैक्सीन समग्र बिल को कम कर देगी। अधिकारी ने कहा कि हमारा अनुमान है कि बायोलॉजिकल-ई टीके की कीमत 150 रुपए प्रति डोज से कम होगी। सरकार ने पहले ही बायोलॉजिकल-ई वैक्सीन की 30 करोड़ खुराक आरक्षित कर ली है, जो अभी भी क्लीनिकल परीक्षणों से गुजर रही है। सरकार जायडस कोव डी वैक्सीन भी खरीद रही है, जिसकी एक खुराक के लिए लगभग 358 रुपए का खर्च आता है और तीन खुराक की आवश्यकता होती है। सरकार ने 16 जनवरी को टीकाकरण कार्यक्रम शुरू किया था, तब से लेकर अप्रैल अंत तक यह कार्यक्रम मुख्य रूप से केंद्र की देखरेख में चला।

कोविशील्ड, कोवैक्सिन, स्पुतनिक टीके उपयोग में
हालांकि 1 मई से राज्यों को 25 प्रतिशत टीके और शेष 25 प्रतिशत निजी अस्पतालों द्वारा खरीदने की अनुमति दी गई थी। 7 जून को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की कि 21 जून से केंद्र 18 से ऊपर के सभी नागरिकों के लिए राज्यों को मुफ्त टीके प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि सरकार वैक्सीन निर्माताओं से कुल वैक्सीन उत्पादन का 75 प्रतिशत खरीदेगी और राज्य सरकारों को मुफ्त देगी। शेष 25 प्रतिशत की खरीद निजी अस्पतालों द्वारा की जानी थी। आज तक स्वीकृत टीकों में कोविशील्ड, कोवैक्सिन, स्पुतनिक , जायकोव डी और जॉनसन एंड जॉनसन और मॉडर्न शामिल हैं। इनमें से पहले तीन उपयोग में हैं जबकि बाकी के लिए क्षतिपूर्ति पर चर्चा सहित विभिन्न प्रक्रियाएं चल रही हैं।

घर-घर जाकर टीकाकरण करने की भी है योजना
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'हर घर दस्तक' कार्यक्रम के तहत मई 2022 तक 28 राज्यों और आठ केंद्र शासित प्रदेशों के पास पड़ी 15.92 करोड़ वैक्सीन खुराक का इस्तेमाल किया जा सकता है। एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि  इस महत्वपूर्ण समय में एक भी कोविड वैक्सीन की खुराक बर्बाद करने का कोई सवाल ही नहीं है, जब यह एक आवश्यक सार्वजनिक स्वास्थ्य वस्तु है। शुरुआत में टीके की बर्बादी को 10 फीसदी तक स्वीकार किया गया था, लेकिन इसे घटाकर 1 फीसदी कर दिया गया है। काम पर निहित स्वार्थ इस तरह की अफवाहें फैला रहे हैं। उत्तर प्रदेश, ओडिशा, त्रिपुरा, गुजरात और उत्तराखंड सहित राज्यों के साथ-साथ केंद्र से पूछताछ में पता चला कि मौजूदा स्टॉक की समाप्ति की तिथि जनवरी नहीं बल्कि मई है। स्वास्थ्य मंत्रालय के एक सूत्र ने कहा कि जब खुराक को इस्तेमाल किया जाता है और स्टॉक को चक्रीय तरीके से फिर से भर दिया जाता है क्योंकि कोविशिल्ड को कोवैक्सिन के मामले में लगभग तीन महीने और एक महीने से अधिक के अंतराल के साथ प्रशासित किया जाता है।

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