क्या भ्रष्टाचारियों पर 'ब्रह्मास्त्र' दागने की तैयारी कर रही मोदी सरकार? लालकिले से PM ने देश को दे दिया बड़ा संकेत

Edited By Anil dev,Updated: 15 Aug, 2022 03:09 PM

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 76वें स्वतंत्रता दिवस पर सोमवार को कहा कि आज जब देश ‘‘अमृत काल'' में प्रवेश कर रहा है तो भ्रष्टाचार और परिवारवाद दो ऐसी प्रमुख चुनौतियां हैं जो राजनीति तक ही सीमित नहीं हैं।

नेशनल डेस्क: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 76वें स्वतंत्रता दिवस पर सोमवार को कहा कि आज जब देश ‘‘अमृत काल'' में प्रवेश कर रहा है तो भ्रष्टाचार और परिवारवाद दो ऐसी प्रमुख चुनौतियां हैं जो राजनीति तक ही सीमित नहीं हैं। उन्होंने देशवासियों से इन विकृतियों से नफरत करने और अगले 25 सालों में ‘‘विकसित भारत'' सुनिश्चित करने के लिए ‘‘पंच प्रण'' लेने का आह्वान किया। लाल किले की प्राचीर से लगातार नौवीं बार राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने विश्व भर में फैले भारत प्रेमियों और भारतीयों को आजादी के 75 साल पूरे होने पर बधाई दी और कहा कि आज का दिन ना सिर्फ ऐतिहासिक है बल्कि यह एक पुण्य पड़ाव, एक नयी राह, एक नए संकल्प और नए सामर्थ्य के साथ कदम बढ़ाने का शुभ अवसर भी है।

 उन्होंने कहा कि इस ‘‘अमृत काल'' में लोगों की आंकाक्षाएं उफान पर हैं और वह नए भारत की तेज गति और प्रगति देखने को लालायित हैं। प्रधानमंत्री ने भारत को ‘‘लोकतंत्र की जननी'' बताया और कहा, ‘‘हमारे देश ने साबित कर दिखाया है कि हमारे पास हमारी विविधता से अंतर्निहित ताकत है और राष्ट्रभक्ति का धागा भारत को अटूट बनाता है।'' पारंपरिक कुर्ता और चूड़ीदार पायजामे के ऊपर नीले रंग का जैकेट तथा तिरंगे की धारियों वाला सफेद रंग का साफा पहने मोदी ने अपने संबोधन में उन्होंने कहा, ‘‘आज जब हम अमृत काल में प्रवेश कर रहे हैं, अगले 25 वर्ष हमारे देश के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।'' भ्रष्टाचार और परिवारवाद को दो बड़ी चुनौतियां और विकृतियां करार देते हुए मोदी ने कहा कि अगर समय रहते इनका समाधान नहीं किया गया तो यह विकराल रूप ले सकती हैं।

 प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘भारत जैसे लोकतंत्र में जहां लोग गरीबी से जूझ रहे हैं, तब यह दृश्य देखने को मिलते हैं कि एक तरफ वह लोग हैं जिनके पास रहने के लिए जगह नहीं है... दूसरी तरफ वह लोग हैं, जिनके पास अपना चोरी किया हुआ माल रखने के लिए जगह नहीं है... यह स्थिति अच्छी नहीं है। इसलिए हमें भ्रष्टाचार के खिलाफ पूरी ताकत से लड़ना है।'' उन्होंने कहा कि जो लोग पिछली सरकारों में बैंकों को लूट-लूट करके भाग गए, उनकी संपत्तियां जब्त करके वापस लाने की कोशिश जारी है। मोदी ने कहा, ‘‘कई लोगों को जेलों में जीने के लिए मजबूर करके रखा हुआ है... हमारी कोशिश है कि जिन्होंने देश को लूटा है, उनको लौटना पड़े... वह स्थिति हम पैदा करेंगे।'' उन्होंने कहा, ‘‘वे अब बच नहीं पाएंगे...इस मिजाज के साथ भ्रष्टाचार के खिलाफ एक निर्णायक कालखंड में हिंदुस्तान कदम रख रहा है। भ्रष्टाचार दीमक की तरह देश को खोखला कर रहा है...इसके खिलाफ लड़ाई तेज करनी है व इसे निर्णायक मोड़ पर लेकर जाना ही है।'' 

उन्होंने इस लड़ाई में देशवासियों का सहयोग मांगा और कहा कि आज देश में भ्रष्टाचार के प्रति नफरत दिखती है और वह व्यक्त भी होती है लेकिन कभी-कभी भ्रष्टाचारियों के प्रति उदारता भी दिखाई जाती है जो शोभा नहीं देता है। उन्होंने कहा, ‘‘कई लोग तो इस हद तक चले जाते हैं कि अदालत में सजा हो चुकी हो... भ्रष्टाचार सिद्ध हो चुका हो... जेल जाना तय हो चुका हो... जेल गुजार रहे हों... इसके बावजूद उनका महिमामंडन करने में लगे रहते हैं, उनकी शान शौकत में लगे रहते हैं, उनकी प्रतिष्ठा बनाने में लगे रहते हैं।'' मोदी ने कहा कि जब तक समाज में गंदगी के प्रति नफरत नहीं होती है, स्वच्छता के प्रति चेतना भी नहीं जागती है। उन्होंने कहा, ‘‘जब तक भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारी के प्रति नफरत का भाव पैदा नहीं होता, सामाजिक रूप से उसे नीचा देखने के लिए मजबूर नहीं किया जाता, तब तक यह मानसिकता खत्म नहीं होने वाली है। इसलिए भ्रष्टाचार के प्रति भी और भ्रष्टाचारियों के प्रति भी हमें बहुत जागरूक होने की जरूरत है।'' 

भाई-भतीजावाद और परिवारवाद के खिलाफ हल्ला बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि दुर्भाग्य से राजनीति के क्षेत्र की इस बुराई ने हिंदुस्तान की हर संस्था में परिवारवाद को पोषित कर दिया है। मोदी ने हिंदुस्तान की ‘‘राजनीति के शुद्धिकरण'' के लिए परिवारवादी मानसिकता से मुक्ति को अनिवार्य बताया। प्रधानमंत्री ने अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में भारतीय खिलाड़ियों के प्रदर्शन का उल्लेख करते हुए इसे चयन में पारदर्शिता लाने और भाई-भतीजावाद खत्म होने का असर बताया। उन्होंने कहा कि इसी का नतीजा है कि दुनिया के खेल के मैदानों में तिरंगा लहरा रहा है और राष्ट्रगान गाया जा रहा है। करीब 82 मिनट के अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अगले 25 साल की यात्रा को देश के लिए ‘‘अत्यंत महत्वपूर्ण'' करार दिया और ‘‘अमृत काल'' में विकसित भारत, गुलामी की हर सोच से मुक्ति, विरासत पर गर्व, एकता और एकजुटता व नागरिकों द्वारा अपने कर्तव्य पालन के ‘‘पंच प्रण'' का आह्वान किया। उन्होंने कहा, ‘‘हमें पंच प्रण को लेकर 2047 तक चलना है। जब आजादी के 100 साल होंगे, आजादी के दीवानों के सारे सपने पूरा करने का जिम्मा उठा करके चलना है।''

 उन्होंने कहा, ‘‘आज जब अमृत काल की पहली प्रभात है, हमें इस 25 साल में विकसित भारत बना कर ही रहना है। अपनी आंखों के सामने इसे कर के दिखाना है।'' भारत 15 अगस्त, 1947 में आजाद हुआ था और उसने 2022 में आजाद देश के रूप में 75 साल की यात्रा पूरी कर ली है। सरकार की ओर से अगले 25 साल के कालखंड को ‘‘अमृत काल'' का नाम दिया गया है। राज्यों के अधिकारों को कमजोर करने के आरोपों के मद्देनजर प्रधानमंत्री ने ‘‘टीम इंडिया'' की भावना और सहकारी संघवाद के प्रति विश्वास को रेखांकित किया और कहा कि गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में वह इसी मंत्र को लेकर आगे चलते थे। उन्होंने कहा, ‘‘हम कहीं पर भी हों, भारत का विकास ही हम सबके मन मस्तिष्क में रहना चाहिए। आज समय की मांग है कि हमें सहकारी संघवाद के साथ-साथ विकास की स्पर्धा की भी जरूरत है।'' अपने संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री ने लैंगिक समानता, ऐसा कुछ ना करने का संकल्प जिससे महिलाओं की प्रतिष्ठा कम होती हो, शोध और नवप्रवर्तन को बढ़ावा देने के लिए ‘जय अनुसंधान' के उद्घोष सहित कई मुद्दों का उल्लेख किया लेकिन कोई नयी योजना या पहल की घोषणा नहीं की। 

प्रधानमंत्री ने कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में साथ आने के लिये देश के नागरिकों की सराहना करते हुए कहा कि भारत ने समयबद्ध तरीके से लोगों को कोविड-रोधी टीके की करीब 200 करोड़ खुराक देने का रिकार्ड बनाया है जो किसी अन्य देश के लिये संभव नहीं हो सका। मोदी ने कहा कि राष्ट्र के प्रति प्रेम को लेकर लोगों में जागरुकता बढ़ी है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई साझी जागरुकता का एक और उदाहरण है जिसके लिये नागरिक साथ आए हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के ‘हर घर तिरंगा' अभियान पर जनता की प्रतिक्रिया देश की सामूहिक चेतना और उसकी ताकत के पुनर्जागरण का संकेत है, जिसकी ‘‘बड़े-बड़े समाजवादी और सामाजिक विज्ञान के विशेषज्ञ'' भी कल्पना नहीं कर पाए। उन्होंने कहा कि इस सामूहिक चेतना के पुनर्जागरण ने देश को ‘‘नयी ताकत'' दी है। 

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