कभी सनी देओल के थे सहयोगी, अब NIA का समन...कौन हैं दीप सिद्धू..जिसपर किसानों को भड़काने के लगे आरोप

Edited By Anil dev,Updated: 27 Jan, 2021 12:38 PM

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गणतंत्र दिवस के मौके पर ट्रैक्टर परेड के दौरान लालकिले पर प्रदर्शनकारियों द्वारा धार्मिक झंडा फहराये जाने की घटना के बाद किसान नेताओं ने एक्टर दीप सिद्धू को आड़े हाथों लिया है और हिंसा फैलाने और हिंसा को भड़काने का आरोप लगाया है। हालांकि अभिनेता दीप...

नेशनल डेस्क: गणतंत्र दिवस के मौके पर ट्रैक्टर परेड के दौरान लालकिले पर प्रदर्शनकारियों द्वारा धार्मिक झंडा फहराये जाने की घटना के बाद किसान नेताओं ने एक्टर दीप सिद्धू को आड़े हाथों लिया है और हिंसा फैलाने और हिंसा को भड़काने का आरोप लगाया है। हालांकि अभिनेता दीप सिद्धू ने प्रदर्शनकारियों के कृत्य का यह कह कर बचाव किया कि उन लोगों ने राष्ट्रीय ध्वज नहीं हटाया और केवल एक प्रतीकात्मक विरोध के तौर पर निशान साहिब को लगाया था। निशान साहिब सिख धर्म का प्रतीक है और इस झंडे को सभी गुरुद्वारा परिसरों में लगाया जाता है। जानतें हैं आखिर कौन है  दीप सिद्धू..जिसपर किसानों को भड़काने का आरोप लग रहा है। 

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कौन हैं दीप सिद्धू
पंजाबी फिल्मों के अभिनेता होने के साथ साथ सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं दीप सिद्धू। दीप ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत पंजाबी फिल्म रमता जोगी से की थी, जिसे लेकर कहा जाता है कि इसके निर्माता धर्मेंद्र हैं। दीप सिद्धू का जन्म साल 1984 में पंजाब के मुक्तसर जिले में हुआ है। दीप ने कानून की पढ़ाई की है। वह किंगफिशर मॉडल अवार्ड भी जीत चुके हैं। 17 जनवरी को सिख फॉर जस्टिस से जुड़े केस के सिलसिले में एनआईए ने सिद्धू को तलब भी किया था। 

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कभी सनी देओल के थे सहयोगी
दीप सिद्धू अभिनेता सनी देओल के सहयोगी थे, जब अभिनेता ने 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान गुरदासपुर सीट से चुनाव लड़ा था। 2019 के लोकसभा चुनाव में  बालीवुड एक्टर और बीजेपी सांसद सन्नी देओल के पूरे प्रचार में वह उनके साथ रहे थे। वहीं दीप खुद को सन्नी देओल का कजन बताते हैं। हाल ही में दीप सिद्धू की पीएम मोदी और सन्नी देओल के साथ फोटो भी वायरल हुआ था। अब लोग इसी तस्वीर को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शेयर कर सवाल उठा रहे हैं। पिछले हफ्ते एनआईए ने सिद्धू को सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) मामले की जांच के सिलसिले में पेश होने के लिए समन भेजा था, जो पिछले साल 15 दिसंबर को दर्ज किया गया था। 

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किसान आंदोलन में कैसे पहुंचा दीप सिद्धू
दीप सिद्धू भी उन्हीं कलाकारों में से एक थे जिन्होंने किसानों के साथ धरने पर बैठने का निर्णय लिया। उन्होंने कुछ एक्टिविस्टों और कलाकारों ने संभु बॉर्डर (दिल्ली-हरियाणा) पर चल रहे किसान आंदोलन को 25 सितंबर के दिन अपना समर्थन देने का निर्णय लिया था। किसानों ने दीप सिद्धू की भागीदारी का विरोध भी किया और नरेंद्र मोदी और सनी देओल के साथ दीप सिद्धू की तस्वीर के आधार पर उन्हें आरएसएस और भाजपा का एजेंट भी कहा। हालांकि दीप सिद्धू द्वारा ऐसे किसी भी आरोप को नकारा जाता रहा है। 

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सनी देयोल ने दीप सिद्धू से खुद को किया अलग 
 पंजाब के गुरदासपुर से सांसद एवं अभिनेता सनी देयोल ने दीप सिद्धू से खुद को अलग करते हुए उससे किसी प्रकार का संपर्क होने से इनकार किया है। श्री देयोल ने मंगलवार को दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा के बाद ट्वीट कर कहा, आज लाल किले पर जो कुछ भी हुआ उसे लेकर मैं बेहद दुखी और निराश हूं। मैं छह दिसंबर को पहले ही अपने एक ट्वीट में यह स्पष्ट कर चुका हूं कि मेरा अथवा मेरे परिवार के किसी भी सदस्य का दीप सिद्धू से कोई संबंध नहीं है। सूत्रों के मुताबिक अभिनेता से कार्यकर्ता बने दीप सिद्धू पर ट्रैक्टर रैली में शामिल किसानों को पहले से तय रूट का पालन नहीं करने के लिए उकसाने का आरोप है।

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विरोध के बाद दीप सिद्धू ने खुद का किया बचाव
वहीं अभिनेता दीप सिद्धू ने मंगलवार को प्रदर्शनकारियों के कृत्य का यह कह कर बचाव किया कि उन लोगों ने राष्ट्रीय ध्वज नहीं हटाया और केवल एक प्रतीकात्मक विरोध के तौर पर च्निशान साहिब को लगाया था। निशान साहिब सिख धर्म का प्रतीक है और इस झंडे को सभी गुरुद्वारा परिसरों में लगाया जाता है। सिद्धू ने फेसबुक पर पोस्ट किये गए एक वीडियो में दावा किया कि वह कोई योजनाबद्ध कदम नहीं था और उन्हें कोई साम्प्रदायिक रंग नहीं दिया जाना चाहिए जैसा कट्टरपंथियों द्वारा किया जा रहा है। सिद्धू ने कहा, नये कृषि कानूनों के खिलाफ प्रतीकात्मक विरोध दर्ज कराने के लिए, हमने निशान साहिब और किसान झंडा लगाया और साथ ही किसान मजदूर एकता का नारा भी लगाया। उन्होंने निशान साहिब की ओर इशारा करते हुए कहा कि झंडा देश की विविधता में एकता का प्रतिनिधित्व करता है। निशान साहिब सिख धर्म का एक प्रतीक है जो सभी गुरुद्वारा परिसरों में लगा देखा जाता है। उन्होंने कहा कि लालकिले पर ध्वज-स्तंभ से राष्ट्रीय ध्वज नहीं हटाया गया और किसी ने भी देश की एकता और अखंडता पर सवाल नहीं उठाया। 
 

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