दुनिया के सबसे बड़े मंच पर बुरी तरह घिरा चीन, करीब 40 देशों ने जमकर लगाई लताड़

Edited By Tanuja,Updated: 07 Oct, 2020 10:50 AM

nearly 40 nations criticize china  s human rights policies

दुनिया पर कब्जे की नीयत रखने वाले देश चीन की विस्तारवादी नीतियां कई देशों की आंखों में अखर रही हैं। इसके अलावा उइगर मुसलमानों पर किए जा रहे अत्याचारों को लेकर पूरी दुनिया में चीन के खिलाफ विरोध हो रहा है...

इंटरनेशनल डेस्कः  दुनिया पर कब्जे की नीयत रखने वाले देश चीन की विस्तारवादी नीतियां कई देशों की आंखों में अखर रही हैं। इसके अलावा उइगर मुसलमानों पर किए जा रहे अत्याचारों को लेकर पूरी दुनिया में चीन के खिलाफ विरोध हो रहा है। इस मुद्दे पर चीन को दुनिया के सबसे बड़े मंच संयुक्त राष्ट्र महासभा के मानवाधिकार समिति की बैठक में फटकार खानी पड़ी है संयुक्त राष्ट्र संघ में हांगकांग, तिब्बत और अपने ही देश के उइगर मुसलमानों के मानवधिकार कुचलने मुद्दों पर संयुक्त राष्ट्र के अधिवेशन में 39 देशों ने आवाज उठाते हुए जमकर चीन को लताड़ लगाई।

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UN समिट में करीब 40 पश्चिमी देशों ने चीनी नीतियों और अल्पसंख्यक समूहों के साथ चीन के बर्ताव को लेकर शी जिनपिंग की सरकार को आड़े हाथों लिया। शिनजियांग और तिब्बत की मानवाधिकार पॉलिसी को लेकर हुए मंथन में चीन को मुह की खानी पड़ी। मंगलवार को आयोजित इसी समिट में हांगकांग में लागू किए गए चीन के नए विवादित राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के प्रभाव पर गंभीर चिंता जताई गई। करीब 40 देशों ने शिनजियांग और तिब्बत में अल्पसंख्यक समूहों पर अत्याचार को लेकर चीन को घेरा और हांगकांग में नए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के मानवाधिकारों पर पड़ने वाले बुरे असर पर चिंता जाहिर की। अमेरिका, कई यूरोपीय देशों, जापान और अन्य ने चीन से कहा कि वह संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बेचलेट और स्वतंत्र पर्यवेक्षकों को शिनजियांग में निर्बाध रूप से जाने दे। साथ ही उइगर मुसलमानों और अल्पसंख्यक समुदाय के अन्य सदस्यों को कैद में डालना बंद करे।

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अमेरिका, यूरोपीय देशों (EU) के साथ जापान ने भी संयुक्त राष्ट्र के मंच से चीन के विस्तारवादी एजेंडे और संबंधित क्षेत्रों में अनाधिृकत चीनी दखल पर नाराजगी जताई । सभी देशों ने एकसुर में चीन की आक्रामकता पर अंकुश लगाने पर जोर दिया। यूएन मानवाधिकार चीफ मिशेल बचेलेट समेत सभी देशों ने चीनी डिटेंशन सेंटर्स पर वीगर मुसलमानों के साथ हो रहे जुल्म और सितम के साथ बाकी अल्पसंख्यक समुदायों के उत्पीड़न को लेकर आवाज बुलंद करते हुए बीजिंग का चौतरफा घेराव किया। संयुक्त राष्ट्र संघ की मानवाधिकार कमेटी की बैठक में शामिल देशों ने संयुक्त रूप से बयान जारी करते हुए चीन से अपनी मानवाधिकार नीति पर ध्यान देते हुए अल्पसंख्यक समुदायों का उत्पीड़न बंद करने और रवैया सुधारने को भी कहा गया।

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बैठक में हांगकांग में लागू विवादास्पद चीनी सुरक्षा कानून को हांगकांग की न्यायपालिका में दखल बताते हुए हालात सामान्य करने को कहा है ताकि कई साल पहले किए गए चीन के वादे का मान बरकरार रह सके। संयुक्त बयान जारी होने के बाद यूएन में जर्मनी के राजदूत क्रिस्टॉफ ह्यूजेन ने कहा कि आज मानवाधिकारों के लिए एक बड़ी उम्मीद जगी है, जो चीन में वीगर मुसलमानों के लिए भी बड़ी उम्मीद है। संयुक्त राष्ट्र महासभा में 39 देशों ने संयुक्त रूप से जारी बयान में चीन से कहा कि हांगकांग की स्वायत्तता, आजादी के अधिकार को बहाल किया जाए और वहां की न्यायपालिका की स्वतंत्रता का सम्मान किया जाए।

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संयुक्त राष्ट्र में जर्मनी के राजदूत क्रिसटोफ हेयूसगेन की ओर से यह बयान पढ़े जाने के तुरंत बाद पाकिस्तान ने चीन के कर्ज में फंसे 55 देशों की तरफ से ड्रैगन का बचाव किया और हांगकांग में दखलअंदाजी का विरोध किया। पाक ने कहा कि यह क्षेत्र चीन का हिस्सा है और राष्ट्रीय सुरक्षा कानून एक देश, दो सिस्टम को सुनिश्चत करेगा। इसके बाद क्यूबा ने 45 देशों के तरफ से बयान पढ़ते हुए चीन के आतंक और कट्टरता के खिलाफ उठाए गए कदमों का समर्थन किया। गौरतलब है कि चीन इसी नाम पर देश में उइगर मुसलमानों का उत्पीड़न कर रहा है।

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