नेपाल ने भारतीय मीडिया चैनलों के प्रसारण पर लगाई रोक

Edited By Yaspal,Updated: 09 Jul, 2020 08:03 PM

nepal bans broadcasting of indian media channels

नेपाल में पिछले कुछ समय से राजनीतिक उथल-पुथल मची हुई है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली भारत के खिलाफ चीन के इशारों पर लगातार बयानवाजी कर रहे हैं। इस बीच खबर आ रही है कि नेपाल सरकार ने नेपाल में भारतीय चैनलों के प्रसारण पर रोक लगा दी है। नेपाली केबल...

काठमांडूः नेपाल में पिछले कुछ समय से राजनीतिक उथल-पुथल मची हुई है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली भारत के खिलाफ चीन के इशारों पर लगातार बयानवाजी कर रहे हैं। इस बीच खबर आ रही है कि नेपाल सरकार ने नेपाल में भारतीय चैनलों के प्रसारण पर रोक लगा दी है। नेपाली केबल टीवी प्रदाताओं ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि देश में भारतीय समाचार चैनलों के सिग्नल बंद हो गए हैं। हालांकि अब तक कोई सरकारी आदेश नहीं आया है।
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बता दें कि हाल ही में नेपाल की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के भीतर पैदा हुए मतभेद समाप्त होते नहीं दिख रहे हैं। बृहस्पतिवार को आई मीडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली और पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' के बीच सप्ताह भर में आधा दर्जन से अधिक बैठकें होने के बाद भी कोई आम सहमति नहीं बन सकी है। बुधवार को एनसीपी की 45 सदस्यीय स्थायी समिति की एक महत्वपूर्ण बैठक शुक्रवार तक के लिए टाल दी गई। यह लगातार चौथा मौका था जब पार्टी की बैठक टाल दी गई थी ताकि पार्टी के दो अध्यक्षों को मतभेदों को दूर करने के लिए पर्याप्त समय मिल सके। उम्मीद की जा रही है कि 68 वर्षीय ओली के राजनीतिक भविष्य के बारे में शुक्रवार को स्थायी समिति की बैठक के दौरान फैसला किया जा सकता है। इस बीच नेपाल में चीनी राजदूत होउ यान्की की सक्रियता बढ़ गयी है ताकि ओली की कुर्सी को बचाया जा सके।
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प्रचंड खेमे को वरिष्ठ नेताओं और पूर्व प्रधानमंत्रियों माधव कुमार नेपाल तथा झालानाथ खनल का समर्थन हासिल है। यह खेमा ओली के इस्तीफे की मांग कर रहा है और उसका कहना है कि ओली की हालिया भारत विरोधी टिप्पणी "न तो राजनीतिक रूप से सही थी और न ही राजनयिक रूप से उचित थी।"
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नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के दो धड़ों के बीच मतभेद उस समय बढ़ गया जब प्रधानमंत्री ने एकतरफा फैसला करते हुए संसद के बजट सत्र का समय से पहले ही सत्रावसान करने का फैसला किया। काठमांडो पोस्ट की खबर के अनुसार ओली और प्रचंड के बीच कई दौर की बातचीत होने के बाद भी कोई सहमति नहीं बन सकी। इस बीच विरोध प्रदर्शनों के लिए निर्देश नहीं देने के संबंध में प्रचंड के साथ समझौता होने के बावजूद बुधवार को देश भर में ओली के समर्थन में छिटपुट प्रदर्शन हुए।

 

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