Edited By Seema Sharma,Updated: 23 May, 2018 04:20 PM
जानलेवा निपाह वायरस ने अब तक 11 लोगों की जान ले ली है और कोझिकोड के विभिन्न अस्पतालों में इससे पीड़ित करीब 15 लोगों का उपचार चल रहा है। इस वायरस के फैलने के पीछे चमगादड़ है लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने संकेत दिए हैं कि इसके पीछे मनुष्यों का...
नेशनल डेस्कः जानलेवा निपाह वायरस ने अब तक 11 लोगों की जान ले ली है और कोझिकोड के विभिन्न अस्पतालों में इससे पीड़ित करीब 15 लोगों का उपचार चल रहा है। इस वायरस के फैलने के पीछे चमगादड़ है लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने संकेत दिए हैं कि इसके पीछे मनुष्यों का भी उतना ही हाथ है। दरअसल मनुष्यों की गतिविधि जंगलों में भी होने लगी है। तेज विकास और बढ़ती जनसंख्या के कारण पेड़ों की कटाई पहले से ज्यादा बढ़ गई है। चमगादड़ पहले मानवबस्तियों से दूर जंगलों में रहते थे और उनको खाने के लिए भी पर्याप्त भोजन मिल जाता था लेकिन अब चमगादड़ों का पर्यावास नष्ट होने लगा है। भोजन न मिलने की वजह से चमगादड़ में तनाव के लक्षण पाए गए हैं।
भूख और तनाव की वजह से चमगादड़ों में टिपिकल बायोलॉजिकल स्टेज तैयार हुआ जिसने इस जानलेवा वायरस का रूप ले लिया। भूख की वजह से चमगादड़ों की प्रतिरक्षा की क्षमता भी कम हो गई जिससे उनके शरीर के अंदर वायरस बढ़ गया। यह वायरस चमगादड़ों के पेशाब और लार से बाहर आ रहा है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार निपाह चमगादड़ों से अन्य जानवरों और फिर मनुष्यों में फैल रहा है। यह एक मनुष्य से दूसरे मनुष्य में भी फैल रहा है। खासकर खजूर खाने वालों में यह सबसे पहले पहुंच रहा है।