अब ट्रेन मैनेजर के नाम से जानें जाएंगे ट्रेन गार्ड, रेलवे बोर्ड का बड़ा निर्णय

Edited By Yaspal,Updated: 15 Jan, 2022 04:31 PM

now train guard will be known as train manager railway board s big decision

ट्रेन के गार्ड अब ट्रेन मैनेजर के नाम से नाम से जानें जाएंगे। रेलवे ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है। रेलवे बोर्ड के इस निर्णय से रेलवे कर्मचारियों में खुशी का माहौल है क्योंकि इस भद्दे पदनाम से रेलकर्मियों को 168 वर्ष तक संघर्ष करना पड़ा है, तब...

नेशनल डेस्कः ट्रेन के गार्ड अब ट्रेन मैनेजर के नाम से नाम से जानें जाएंगे। रेलवे ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है। रेलवे बोर्ड के इस निर्णय से रेलवे कर्मचारियों में खुशी का माहौल है क्योंकि इस भद्दे पदनाम से रेलकर्मियों को 168 वर्ष तक संघर्ष करना पड़ा है, तब सुरक्षाकर्मी होने का अहसास कराने वाले ट्रेन गार्ड शब्द से आजादी मिली है। रेलवे बोर्ड ने इस संबंध में शुक्रवार को आदेश जारी कर दिया है।

दरअसल, 1853 में मुंबई से थाणे के बीच पहली ट्रेन सेवा शुरू हुई थी। तभी अंग्रेजी हुकूमत ने ट्रेन गार्ड पदनाम दिया था। ट्रेन के सबसे पिछले डिब्बे में झंडी दिखाने वाले रेलकर्मी को ट्रेन गार्ड नाम से पुकारा जाता था। ये वही रेलकर्मी होते हैं, जिन पर ट्रेन में बैठे हजारों रेल यात्रियों की सुरक्षा और सलामती की जिम्मेदारी होती है। ये सुरक्षाकर्मी का आभास करने जैसे नाम से बुलाने से खफा थे और इस पदनाम को विलोपित करने के लिए संघर्ष कर रहे थे।

बीते कुछ वर्षों से संघर्ष तेज हो गया था। जिसके बाद रेलवे ने माना था कि यह पदनाम रेलकर्मियों के कर्तव्यों और मान-सम्मान के विपरीत है, इसे बदला जाएगा। आखिरकार रेलवे ने ट्रेन गार्ड पदनाम को बदलकर ट्रेन प्रबंधक कर दिया है। चार अन्य पदनामों को भी बदला गया है। जिसके तहत अब सहायक गार्ड को सहायक यात्री ट्रेन प्रबंधक, गुड्स गार्ड को गुड्स ट्रेन प्रबंधक, वरिष्ठ गुड्स गार्ड को वरिष्ठ गुड्स ट्रेन प्रबंधक और वरिष्ठ यात्री गार्ड को वरिष्ठ यात्री ट्रेन प्रबंधक कहा जाएगा।

नए आदेश के मुताबिक 175 गुड्स गार्ड को गुड्स ट्रेन प्रबंधक, 136 वरिष्ठ गुड्स गार्ड को वरिष्ठ गुड्स ट्रेन प्रबंधक, 54 वरिष्ठ यात्री गार्ड को वरिष्ठ यात्री ट्रेन प्रबंधक और 120 मेल/एक्सप्रेस गार्ड को मेल/एक्सप्रेस ट्रेन प्रबंधक कहा जाएगा। आल इंडिया गार्ड काउंसिल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राजेश गुप्ता का कहना है कि उक्त पदनाम काम के अनुरूप शोभा नहीं दे रहे थे, इसलिए हर स्तर पर बदलने की मांग की गई थी। आदेश जारी होने के बाद सभी रेलकर्मी खुश हैं, हालांकि राजेश गुप्ता के मुताबिक रेलवे में सहायक गार्ड नामक कोई पद नहीं है, इसलिए इसे विलोपित किया जाना चाहिए।

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