विपक्ष ने पीएम मोदी पर कसा तंज, बोले- प्रधानमंत्री ने ध्यान भटकाने का प्रयास किया, ‘झूठ के कारोबार' का अंत निकट

Edited By Mahima,Updated: 22 Apr, 2024 02:57 PM

opposition took a jibe at pm modi

​​​​​​​विपक्षी के कई प्रमुख दलों ने ‘संपत्ति बांटने' संबंधी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की टिप्पणी को लेकर सोमवार को पर उन ‘जहरीली भाषा' का इस्तेमाल करने और असली मुद्दों से ध्यान भटकाने के प्रयास का आरोप लगाया और लोगों का आह्वान किया कि वे इस बयान के...

नेशनल डेस्क: विपक्षी के कई प्रमुख दलों ने ‘संपत्ति बांटने' संबंधी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की टिप्पणी को लेकर सोमवार को पर उन ‘जहरीली भाषा' का इस्तेमाल करने और असली मुद्दों से ध्यान भटकाने के प्रयास का आरोप लगाया और लोगों का आह्वान किया कि वे इस बयान के खिलाफ निर्वाचन आयोग में शिकायत करें। 

कांग्रेस ने यह आरोप भी लगाया कि मोदी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा 2021 की जनगणना नहीं कराना बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर के संविधान को खत्म करने की साजिश है। पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि अब ‘झूठ के कारोबार' का अंत नजदीक है। उन्होंने कहा, ‘‘देश में बेरोज़गारी और महंगाई का पीक (उच्चतम स्तर) है और नरेन्द्र मोदी कहते हैं- सब कुछ ठीक है। उनके पास ‘मुद्दों से भटकाने' की नई-नई तकनीक हैं, पर झूठ के कारोबार का अंत अब नज़दीक है।'' 

मोदी दुनिया भर की बातें बोलते हैं
प्रधानमंत्री मोदी ने रव‍िवार को राजस्थान की एक चुनावी सभा में कहा था कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी। मोदी ने यह बात पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के एक बयान का हवाला देते हुए कही, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर कहा था कि देश के संसाधनों पर ‘पहला हक' अल्पसंख्यक समुदाय का है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोमवार को सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर पोस्ट किया, ‘‘प्रधानमंत्री जहरीली भाषा में दुनिया भर की बातें बोलते हैं। उन्हें एक सीधे से सवाल का जवाब भी देना चाहिए।'' उन्होंने कहा, ‘‘1951 से हर दस साल के बाद जनगणना होती आ रही है। इससे अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की आबादी का वास्तविक डेटा सामने आता है। इसे 2021 में कराया जाना चाहिए था लेकिन आज तक किया नहीं गया। इस पर प्रधानमंत्री चुप क्यों हैं?'' 

अदालत की अवमानना ​​का मामला
रमेश ने आरोप लगाया कि यह बाबासाहेब आंबेडकर के संविधान को खत्म करने की साज़िश है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि प्रधानमंत्री की टिप्पणी आपत्तिजनक है, लेकिन चुनाव आयोग की चुप्पी बदतर है। येचुरी ने कहा, ‘‘मोदी का भड़काऊ भाषण आदर्श आचार संहिता और नफरत भरे भाषण पर उच्चतम न्यायालय के फैसलों का घोर उल्लंघन है।'' उन्होंने कहा, ‘‘सख्त कार्रवाई और अदालत की अवमानना ​​का मामला बनता है।'' उन्होंने यह भी कहा, ‘‘उम्मीद है कि उच्चतम न्यायालय इस भड़काऊ भाषण पर स्वत: संज्ञान लेगा और मोदी को अदालत की अवमानना ​​का नोटिस जारी करेगा और उसके बाद कड़ी सजा दी जाएगी।'' 

माकपा से जुड़े सूत्रों ने कहा कि ‘‘संबंधित नागरिकों'' द्वारा हस्ताक्षरित एक याचिका आज दिन में चुनाव आयोग को भेजी जाएगी। तृणमूल कांग्रेस नेता साकेत गोखले ने भी लोगों से मोदी की टिप्पणी पर चुनाव आयोग को पत्र लिखने की अपील की। उन्होंने ‘एक्स' पर किए एक पोस्ट में मुख्य चुनाव आयुक्त की ईमेल आईडी साझा की और लोगों से इस पर शिकायत भेजने का आग्रह किया। गोखले ने कहा, ‘‘चुनाव आयोग विपक्ष की अनदेखी करता है और मोदी और भाजपा को खुली छूट देता रहा है। चुनाव के दौरान, चुनाव आयोग राजनीतिक दलों के प्रति जवाबदेह नहीं है। लेकिन - वे भारत के लोगों के प्रति जवाबदेह हैं।'' 

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