प्रो. राघवेन्द्र प्रसाद तिवारी के कुशल मार्गदर्शन में पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय प्रगति पथ पर अग्रसर

Edited By Parminder Kaur,Updated: 18 Mar, 2024 05:16 PM

pcu is moving on the path of progress under raghavendra prasad tiwari

पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय ने हाल ही में स्थापना के 15 वर्ष पूरे किए हैं। विश्वविद्यालय ने नैक मूल्यांकन के दूसरे चक्र में ए प्लस ग्रेड और एनआरआईएफ 2023 में 100वां रैंक प्राप्त करने के साथ ही 15 वर्षों की अल्प अवधि में शिक्षा एंव शोध के क्षेत्र...

नेशनल डेस्क. पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय ने हाल ही में स्थापना के 15 वर्ष पूरे किए हैं। विश्वविद्यालय ने नैक मूल्यांकन के दूसरे चक्र में ए प्लस ग्रेड और एनआरआईएफ 2023 में 100वां रैंक प्राप्त करने के साथ ही 15 वर्षों की अल्प अवधि में शिक्षा एंव शोध के क्षेत्र में कई उपलब्धियां अर्जित की हैं। ओपन ऑनलाइन पाठ्यक्रम) के माध्यम से क्रेडिट ट्रांसफर की सुविधा और राष्ट्रीय क्रेडिट फ्रेमवर्क (एनसीआरएफ) को अपनाना आदि। कुलपति प्रो. तिवारी का मानना है कि शिक्षण संस्थान तभी प्रगति कर सकते हैं, जब छात्रों एवं अध्यापकों को सृजनात्मक सोच का अवसर मिले। युवा पीढ़ी तभी रचनात्मक कार्यों से देश को पुनः सोने की चिड़िया बना पाएगी।

विश्वविद्यालय द्वारा शुरू किए गए नए व्यावसायिक कार्यक्रम/पाठ्यक्रम

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विश्वविद्यालय में मौजूदा उपलब्ध 43 स्नातकोत्तर एवं विभिन्न विषयों में पीएच.डी. पाठ्यक्रमों के अतिरिक्त शैक्षणिक सत्र 2024-2025 से बी.एससी. बी.एड., बी.ए. बी.एड., बी फार्मेसी, बी.ए. एलएल.बी., बी.टेक. कंप्यूटर विज्ञान एवं इंजी. में पांच स्नातक कार्यक्रम शुरू होने हैं। इसके अतरिक्त वैदिक गणित, जिओ इन्फार्मेटिक्स, डाटा साइंस एंड बायो-इंफॉर्मेटिक्स, हिंदी ट्रांसलेशन, पंजाबी ट्रांसलेशन, कम्प्यूटेशनल लॉजिस्टिक्स, न्यूरल नेटवर्क्स एंड डीप लर्निंग विषयों में लघु अवधि के डिप्लोमा/सर्टिफिकेट कोर्स प्रदान कर रहा है/करेगा। विश्वविद्यालय में स्थापित डॉ. आम्बेडकर उत्कृष्टता केन्द्र द्वारा सिविल सेवा परीक्षाओं हेतु एससी और ओबीसी वर्गों को मुफ्त कोचिंग प्रदान की जा रही है। साथ ही विश्वविद्यालय द्वारा एम्स बठिंडा के साथ 'एआई एंड हेल्थ केयर' तथा एमआरएसपीटीयू बठिंडा के साथ 'बौद्धिक संपदा अधिकार' विषयों पर डिप्लोमा कोर्स शुरू करेगा। इस तरह विश्वविद्यालय युवाओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हेतु नवीन अवसर प्रदान करेगा।

विश्वविद्यालय के अकादमिक आउटपुट में हुई उल्लेखनीय वृद्धि

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विश्वविद्यालय के शिक्षक, शोधार्थी एवं छात्र शिक्षा पठन-पाठन एवं अनुसंधान के क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर रहें है। पिछले तीन वर्षों में स्कोपस सूचीबद्ध शोधपत्रिकाओं में प्रकाशित शोध पत्रों की संख्या में 150% से अधिक की वृद्धि हुयी है। केन्द्रीय मंत्रालयों द्वारा पोषित कार्यशालाओं, अनुमोदित अनुसंधान परियोजनाओं, प्लेसमेंट, पेटेंट आवेदन, परामर्श राशि, युवाओं के बौद्धिक विकास हेतु सम-सामायिक विषयों में कार्यशाला, सामाजिक जुड़ाव के कार्यक्रम एवं अन्य मापदंडों में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। विश्वविद्यालय का एच- इंडेक्स 2020 में 49 से बढ़कर 2024 में 84 हो गया है।

विगत कुछ वर्षों की प्रमुख उपलब्धियाँ

विश्वविद्यालय नैक मूल्यांकन के दूसरे चक्र में 'ए प्लस' ग्रेड प्राप्त करने के साथ ही पिछले पांच वर्षों में लगातार पांचवीं बार एनआईआरएफ इंडिया रैंकिंग में "भारत के शीर्ष 100 विश्वविद्यालयों" की सूची में शामिल है। विश्वविद्यालय ने एनआईआरएफ इंडिया रैंकिंग 2023 की "फार्मेसी श्रेणी" में 19वीं रैंक अर्जित कर कीर्तिमान स्थापित किया। चार विभागों को डीएसटी-एफआईएसटी द्वारा 4.23 करोड़ की, डीएसटी-पर्स योजना के तहत 6.615 करोड़ की एवं डीएसटी-निधि-आईटीबीआई के तहत 3.274 करोड़ की अनुदान राशि प्राप्त हुई है। साथ ही डीबीटी का ई-युवा केंद्र एवं कौशल विकास मंत्रालय द्वारा तीन बिज़नस आइडियाज की स्वीकृति हुई है। विश्वविद्यालय के कुल ग्यारह शिक्षकों समेत एक पूर्व संकाय सदस्य को उन्नत शोध हेतु "स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की शीर्ष अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक सूची 2023" में शामिल किए गया है। अंतर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय संगठनों/संस्थाओं के साथ सहयोग की संख्या को बढ़ाते हुए विश्वविद्यालय ने बठिंडा क्षेत्र तथा उत्तर भारत क्षेत्र के उच्च शैक्षणिक संस्थानों के मध्य परस्पर अकादमिक सहयोग बढ़ाने हेतु कंसोर्टियम बनाने में मुख्य भूमिका निभाई। 85% पदों में शिक्षकों की नियुक्ति की गई एवं कर्मचारियों के पदों की नियुक्ति प्रक्रियाधीन है। डॉ आंबेडकर शोध पीठ की स्थापना भी हुई है।
विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय जल पुरस्कार 2022 में 'कैंपस उपयोग के लिए सर्वश्रेष्ठ संस्थान' श्रेणी में देश भर में तीसरा रैंक प्राप्त हुआ। संस्थान को गुणवत्ता प्रबंधन प्रणालियों के लिए आईएसओ 9001:2015 के तहत प्रमाणीकरण प्राप्त हुआ। यहाँ के छात्र संसदीय कार्य मंत्रालय द्वारा आयोजित 16वीं राष्ट्रीय युवा संसद प्रतियोगिता में विजेता बने। डीएसटी निधि आई-टीबीआई द्वारा पोषित नवस्थापित सीयूपी-आरडीएफ इनक्यूबेटर द्वारा छात्रों, नवप्रवर्तकों और उद्यमियों के बीच नवोन्वेषी विचारों को प्रोत्साहित कर रही है। विश्वविद्यालय परिसर में केंद्रीय विद्यालय शुरू हो गया है। सूचना मंत्रालय द्वारा कम्यूनिटी रेडियो स्थापित करने हेतु स्वीकृति मिली है जो विश्वविद्यालय में हुए शोध परिणामों को समाज तक पहुँचाने में सहायक होगा। उपरोक्त उपलब्धियाँ इस बात का सूचक है कि विश्वविद्यालय उत्कृष्टता के मार्ग पर अग्रसर है। कुलपति तिवारी इन उपलब्धियों का श्रेय विश्वविद्यालय परिवार को देते है।

विश्वविद्यालय को आत्मनिर्भर बनाने हेतु प्रो. तिवारी की अभिनव पहल

विश्वविद्यालय को आत्मनिर्भर एवं हरा-भरा बनाने हेतु 500 एकड़ में फैले विश्वविद्यालय परिसर की 100 एकड़ की खाली ज़मीन पर कीनू के बाग और व्यावसायिक वृक्षों को लगाने की योजना है। इसके अंतर्गत 42 एकड़ का कीनू बाग तैयार हो गया है एवं लगभग 75,000 पौधे के साथ ही सभ्यतागत पौधों का रोपण हुआ। सौन्दर्यता हेतु गृह-नक्षत्र वाटिका, रोज गार्डन, कैनोपी गार्डन, मेज़ गार्डन, चिड़िया बसेरा आदि बनाए गए है। कीनू बागों से अगले कुछ वर्षों में विश्वविद्यालय को लगभग तीन करोड़ की आय होने की सम्भावना है।

'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' को साकार करने हेतु विश्वविद्यालय कटिबद्ध

विश्वविद्यालय गुणवत्तापरक शिक्षा हेतु छात्रों का पसंदीदा स्थान बन रहा है। वर्तमान में 28 राज्यों, 7 केंद्र

शासित प्रदेशों और 22 अन्य देशों के छात्र यहां अध्ययनरत हैं। विश्वविद्यालय अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस,

राष्ट्रीय पोशाक दिवस, स्थापना दिवस समारोह, फूड-फेस्ट, सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन कर छात्रों में

विश्व-बन्धुत्व की भावना विकसित करने हेतु प्रयासरत है। विश्वविद्यालय ने केंद्र सरकार के युवा संगम कार्यक्रम

के अंतर्गत पिछले वर्ष मणिपुर युवा प्रतिनिधियों और इस वर्ष झारखंड युवा प्रतिनिधियों के लिए पंजाब

एक्सपोजर विजिट की मेजबानी की। साथ ही पंजाब के युवाओं को मणिपुर एवं झारखण्ड की एक्सपोजर

विजिट कराई। इन सांस्कृतिक गतिविधिओं से युवाओं में भावनात्मक लगाव बढ़ता है।


विश्वविद्यालय गुरु साहिबानों के उपदेशों के प्रचार-प्रसार हेतु कृत-संकल्पित

विश्वविद्यालय का मानना है की गुरु साहिबानों के उपदेश युवाओं को आदर्श जीवन जीने के प्रेरणा स्त्रोत हैं। कुलपति प्रो. तिवारी के मार्गदर्शन में विश्वविद्यालय ने सिख गुरु साहिबानों के उपदेशों का प्रचार-प्रसार करने हेतु अनेक पहल की है। यथा केंद्रीय पुस्तकालय में हिन्द दी चादर श्री गुरु तेग बहादुर सिख इतिहास प्रकोष्ठ की स्थापना, सिख गुरु साहिबानों के प्रकाश उत्सव एवं ज्योति जोत दिवस पर विशेष कार्यक्रमों का आयोजन, श्री गुरु नानक देव जी के 554वें प्रकाश पर्व के पावन अवसर पर विश्वविद्यालय में 'श्री गुरु नानक देव जी की वाणी और विश्व दृष्टि' विषय पर विशेष सेमिनार एवं "सुदीक्षा - ए ट्रिब्यूट टू श्री गुरु नानक देव जी" पुस्तक का प्रकाशन, गुरुद्वारा दर्शन पर आधारित वर्ष 2024 का कैलेण्डर आदि।

विश्वविद्यालय के 15 वर्ष पूरे होने पर कुलपति प्रो. तिवारी की प्राथमिकता

विश्वविद्यालय के 15वें स्थापना दिवस के अवसर पर प्रो. तिवारी ने शिक्षकों, अधिकारियों, कर्मचारियों एवं छात्रों को एक टीम के रूप में कार्य करते हुए शिक्षा और समाजोपयोगी अनुसंधान के क्षेत्र में नए मानक स्थापित करने के लिए बधाई दी एवं विश्वास जताया कि उनकी मेहनत निःसंदेह विश्वविद्यालय को नई उड़ान देगी। उनका मानना है कि मालवा क्षेत्र से जुड़ी जमीनी समस्याओं यथा स्वास्थ्य, पर्यावरण एवं कृषि सम्बंधित समस्याओं का शोध के माध्यम से अभिनव समाधान निकाला जा सकता है। शोधकर्ताओं को इस दिशा में प्रोत्साहित करने हेतु उन्नत सुविधाएँ प्रदान करना उनकी प्राथमिकता रहेगी। साथ ही उनका लक्ष्य शिक्षण, अधिगम, मूल्यांकन, अनुसंधान, कौशल विकास, परामर्श सेवाओं, चरित्र निर्माण एवं व्यक्तित्व विकास में नवाचार को बढ़ावा देना होगा। प्रो. तिवारी इस विश्वविद्यालय को 'अनेकता में एकता' का ऐसा मंच बनाना चाहते है, जहाँ युवा पीढ़ी देश को विकसित बनाने का सपना देखे एवं इसे साकार करने हेतु उनमें क्षमता विकास भी हो।

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