Edited By Radhika,Updated: 13 Feb, 2024 03:35 PM
कहा जाता है कि अगर आप किसी के सुख में साथ नहीं खड़े हो सकते, तो उसके दुख के समय ज़रुर साथ रहें। बाहरी लोगों से इस बात की उम्मीद नहीं रखी जा सकती, लेकिन आपका परिवार हर परिस्थिति में आपके साथ खड़ा होता है।
नेशनल डेस्क: कहा जाता है कि अगर आप किसी के सुख में साथ नहीं खड़े हो सकते, तो उसके दुख के समय ज़रुर साथ रहें। बाहरी लोगों से इस बात की उम्मीद नहीं रखी जा सकती, लेकिन आपका परिवार हर परिस्थिति में आपके साथ खड़ा होता है। आज के इस मॉर्डन दौर में या यूं कहे कि मोबाइल के इस दौर लोग अपनों से भी कटते जा रहे हैं।
वर्तमान में ऐसे हालात बन गए हैं कि कोई अपनों की मौत पर रोने या कंधा देने वाला भी नहीं बचा। ऐसे हालातों को समझते हुए कुछ युवाओं ने एक स्टार्टअप शुरू किया। उन्होंने एक ग्रुप बनाया है, जिसके सदस्य आपके एक कॉल पर अनजान शख्स की मैयत में जाते हैं, फूट फूट कर रोते हैं और फिर जेब भर पैसे लेकर लौट आते हैं।
जोधपुर में शुरु हुआ अंतिम सत्य नाम से स्टार्टअप-
राजस्थान के जोधपुर में कुछ युवाओं ने एक अंतिम सत्य नाम से एक स्टार्टअप शुरू किया है। इसमें सदस्यों को किसी परिवार में मौत होने पर वहां जाकर रोने के लिए पैसे मिलेंगे। मृतक परिवार के आर्डर पर इनके यहां से रोने के लिए महिलाएं और पुरुष भेजे जाएंगे। जितने पैसे उन्हें देंगे वे उसके मुताबिक वे रोएंगे। यानि अब रोने के लिए भी किराये पर लोग मिलने लगे हैं।
न्यूक्लियर परिवार है मुख्य कारण-
“अंतिम सत्य” फ्युनरल सर्विस के को फाउंडर गजेंद्र पारीक कहते हैं कि संयुक्त परिवार टूटते जा रहे हैं और न्यूकलियर परिवार बनते जा रहे हैं। न्यूक्लियर परिवारों में बड़े- बुज़ुर्ग न होने के कारण लोगों को अंतिम संस्कार के समय के रीति रिवाजों के बारे में नहीं पता।
12 से 15 दिन का मिलता है पैकेज-
पारीक ने बताया कि कि अंतिम सत्य संस्था में महिला, पुरुष, बुजुर्ग, पंडित सब लोग शामिल हैं। यह लोग घर में किसी की डेथ होने पर पूजा पाठ कराने और अन्य कामों के लिए जाते हैं। कंपनी मृतक के परिवार को 12 से 15 दिन तक का फुल पैकेज देती है। इसमें 20 महिलाएं, 10 लड़कियां, 10 पुरुष और लड़के, पंडित और पूजा पाठ करने वाले लोग 10 शामिल होते हैं। यह पैकेज तकरीबन ₹60,000 का होता है। वहीं इसमें मिलने वाले, 15 दिन के फुल पैकेज का प्राइज़ ₹1,21,000 से लेकर ₹1,50,000 तक का है और इसमें पूजा पाठ, ब्राह्मण भोज और अन्य तमाम रीति-रिवाज होते हैं।