क्या बात है इस पुलिस थाने की, जहां 23 सालों में सिर्फ 55 मुकदमे ही हुए दर्ज

Edited By ,Updated: 25 Sep, 2016 02:26 PM

police stations pakistan

राजस्थान के जैसलमेर जिले में एक एेसा पुलिस थाना है जिसे पढ़कर अापको बहुत हैरानी होगी। बता दें कि एक तरफ जहां देश में ...


जैसलमेर: राजस्थान के जैसलमेर जिले में एक एेसा पुलिस थाना है जिसे पढ़कर अापको बहुत हैरानी होगी। बता दें कि एक तरफ जहां देश में क्राइम का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा वहीं देश में कुछ ऐसे भी जगह है जहां अपराध और अपराधी के नाम की कोई हवा ही नहीं बहती. एक तरफ देश की राजधानी में निर्भया जैसे रेप केस सामने आते हैं. वहीं दूसरी तरफ इस देश में एक ऐसा भी पुलिस थाना हैं जहां 23 वर्ष में महज 55 मुकदमे दर्ज हुए हैं और जहां पुलिस कर्मियों के पास कोई काम ही नहीं है। कई बार पूरे साल में एक भी मुकदमा दर्ज नहीं होता। इस थाने को 23 साल तक हेड कांस्टेबल ही संभालता रहा और अब जा कर इस थाने को थानेदार मिला है।

जानकारी के मुताबिक शाहगढ़ का यह थाना जैसलमेर में पाकिस्तान सीमा से सटा है, जहां 23 वर्ष में महज 55 मुकदमे दर्ज हुए हैं। थाना वीरान मरुस्थल क्षेत्र में है, जहां आसपास कोई मनुष्य मुश्किल से ही नजर आता है। पुलिसकर्मियों का कहना है कि जब वह गश्त पर निकलते हैं, तब इक्का-दुक्का लोग मिलते हैं। अब पहली बार थाने की कमान सब इंस्पेक्टर को सौंपी गई है।

सूत्रों के अनुसार, वर्ष 1993 में सीमा पार से तस्करी रोकने के लिए शाहगढ़ थाना खोला गया था। तारबंदी के बाद तस्करी पर लगाम भी लगी। सीमावर्ती क्षेत्र के इस थाने पर 200 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र का जिम्मा है। इस थाने के अन्तर्गत 2 पंचायतों की 10 हजार की आबादी आती है। वर्ष 2016 में अब तक कोई मामला नहीं दर्ज हुआ। 2015 में सिर्फ दो मामले दर्ज हुए, वे भी सड़क दुर्घटना के।

बताया जा रहा है कि वर्ष 2014 में 3 मामले दर्ज हुए,एक मारपीट का, दूसरा चोरी का और तीसरा सड़क दुर्घटना का। राज्य अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक कपिल गर्ग ने बताया कि थाने मेंं बिजली सौर ऊर्जा से मिलती है और पानी बाहर से लाया जाता है। उन्होंने बताया कि कभी साल भर मुकदमा दर्ज न हो लेकिन अंत में अगर एक मुकदमा दर्ज हो जाए और उसका निस्तारण न हो तो भी वर्ष के अंत में पेंडेंसी का प्रतिशत 100 आता है।

पुलिस उपाधीक्षक नरेन्द्र कुमार दवे ने थाने में 23 साल बाद नियुक्ति होने पर कहा ‘‘ए.एस.आई. स्तर का अधिकारी थाने का प्रभारी रहा है। थाने में दर्ज होने वाले मामले, इन्स्पेक्टर स्तर के अधिकारी की उपलब्धता और कार्य सम्पादन के आधार पर इन्स्पेक्टर की नियुक्ति की जाती है । ’’
 


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