Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Jul, 2017 08:01 PM
राष्ट्रपति पद की दौड़ में शामिल कांग्रेस की प्रत्याशी मीरा कुमार भले चुनाव जीते न जीते लेकिन उनके पक्ष में समर्थन।
नई दिल्ली: राष्ट्रपति पद की दौड़ में शामिल कांग्रेस की प्रत्याशी मीरा कुमार भले चुनाव जीते न जीते लेकिन उनके पक्ष में समर्थन जुटाने के चक्कर में कांग्रेस आला कमान और राहुल गांधी ने ऐसी गलती दोहरा दी जिसकी कीमत उन्हें दिल्ली में चुकानी पड़ सकती है। कांग्रेस ने चुनाव हार रही अपनी उम्मीदवार के लिए समर्थन जुटाने के चक्कर में आम आदमी पार्टी का समर्थन कबूल कर लिया। हालांकि इस समर्थन के लिए अरविन्द केजरीवाल से सीधे तौर पर किसी कांग्रेस नेता ने बात नहीं की और समर्थन का एलान केजरीवाल की तरफ से एकतरफा ही किया गया लेकिन इस एलान के बाद मीरा कुमार का केजरीवाल को मिलना दिल्ली में कांग्रेस नेताओं की नींद उड़ा रहा है।
माकन ने खोला मोर्चा, आला कमान ने मिला लिया हाथ
इस पूरी कवायद में अरविन्द केजरीवाल को रणनीतिक तौर पर फायदा नजर आ रहा था लिहाजा केजरीवाल ने एक तरफा समर्थन का एलान कर दिया लेकिन इसके बाद दिल्ली में आम आदमी पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल कर बैठे कांग्रेस नेता अजय माकन की स्थिति दुविधाजनक हो गई है। पंजाब चुनाव हार के बाद केजरीवाल राजनीतिक रूप से सक्रिय नजर नहीं आ रहे थे लेकिन मीरा कुमार से मुलाकात के बाद वह एक बार फिर चर्चा में हैं और दिल्ली में कांग्रेस के नेताओं द्वारा पिछले 2 साल में की गई मेहनत पर पानी फिरता नजर आ रहा है।
दूसरी बार की गलती
यह पहला मौका नहीं है जब कांग्रेस और केजरीवाल एक साथ आए हों। वर्ष 2013 में दिल्ली विधान सभा चुनाव के नतीजों के बाद जब किसी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था तो भी कांग्रेस ने भाजपा को रोकने के लिए अरविन्द केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को समर्थन दे दिया था। उस समय दिल्ली विधान सभा में अरविन्द केजरीवाल की पार्टी के 28 विधायक थे और कांग्रेस ने अपने 8 विधायकों के समर्थन से अरविन्द केजरीवाल की सरकार बनवा दी थी। हालांकि यह सरकार लंबी नहीं चली और दोनों पार्टियों में संबंध विच्छेद हो गया। इसके बाद 2015 में हुए दिल्ली विधान सभा के चुनाव में अरविन्द केजरीवाल की पार्टी ने कांग्रेस का दिल्ली से पूरी तरह से सफाया कर दिया और विधान सभा की 67 सीटें जीत ली। कांग्रेस उसके बाद से दिल्ली में उठ नहीं पाई है। दिल्ली में कांग्रेस मुखर हो कर अरविन्द केजरीवाल के खिलाफ मोर्चा खोल रही थी लेकिन अरविन्द केजरीवाल का समर्थन स्वीकार करने के बाद वोटरों को यह संदेश भी गया है कि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस किसी भी मौके पर सियासी फायदे के लिए एक दुसरे से हाथ मिला सकते हैं।