जानिए, घाटी में अनुछेद 370 और 35 A के हटने के मायने और अमित शाह के भाषण के बड़ी बातें
Edited By prachi upadhyay,Updated: 05 Aug, 2019 06:50 PM
सोमवार को राज्यसभा में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने के लिए बिल और संकल्प पेश किया। इसके साथ ही गृहमंत्री ने लद्दाख और जम्मू-कश्मीर दो अलग-अलग केंद्र शासित राज्य बनाने का भी एलान किया। इस दौरान सदन में जबरदस्त...
नई दिल्ली: सोमवार को राज्यसभा में केंद्रीय गृहमंत्री अमितशाह ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने का संकल्प पेश किया। इसके साथ ही गृहमंत्री ने लद्दाख और जम्मू-कश्मीर दो अलग-अलग केंद्र शासित राज्य बनाने का भी एलान किया। इस दौरान सदन में जबरदस्त हंगामा हुआ। एक तरफ जहां कांग्रेस और पीडीपी ने इसका विरोध किया तो वहीं बीएसपी, बीजेडी और एआईएडीएमके ने इस बिल पर केंद्र का समर्थन किया। इस दौरान गृहमंत्री में अपने भाषण में कई महत्वपूर्ण बातें कही।
आइए हम आपके बताते हैं गृहमंत्री के भाषण की बड़ी बातेंः
- शाह ने कहा कि अनुच्छेद 370 ने जम्मू कश्मीर, घाटी और लद्दाख का भारी नुकसान किया। तीन परिवारों ने जम्मू कश्मीर में लोकतंत्र को समृद्ध नहीं होने दिया। अनुच्छेद 370 ने जम्मू कश्मीर को तबाह कर दिया और यह राज्य में गरीबी के लिए जिम्मेदार है।
- जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 नहीं होता तो घाटी में 41,000 से अधिक लोग अपनी जान नहीं गंवाते। 35ए की वजह से जमीन खरीदने पर रोक लगने के कारण जम्मू कश्मीर में पर्यटन का विकास नहीं हो पाया। जम्मू कश्मीर में भ्रष्टाचार बढ़ा, फला-फूला, गरीबी घर करती गई, वहां के लोगों को आरोग्य की सुविधा नहीं मिली, वहां पर विकास नहीं हुआ, वहां बेहतर शिक्षा भी नहीं है।
- अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान था, आखिर कब तक एक अस्थायी प्रावधान को बने रहने की अनुमति दी जा सकती है। इसको समाप्त करने के बाद जम्मू कश्मीर वास्तविक अर्थो में भारत का अभिन्न हिस्सा बन जाएगा।
- अनुच्छेद 370 के खंड तीन में राष्ट्रपति को एक अधिसूचना के द्वारा अनुच्छेद 370 को खत्म करने का अधिकार देने का प्रावधान है। इस प्रावधान के साथ ही संविधान में एक शर्त यह जोड़ी गयी है कि अनुच्छेद 370 में बदलाव से पहले राज्य की विधानसभा से सहमति लेनी होगी।
- गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि अनुच्छेद 370 की वजह से जम्मू कश्मीर का देश के साथ एकीकरण नहीं हो पाया। अनुच्छेद 370 अब जम्मू कश्मीर में लागू नहीं होगा। सदन की बैठक शुरू होने पर सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि पहले से नोटिस दिए जाने की जरूरत से सरकार को छूट देने तथा विधेयक की प्रति वितरित करने के लिए उन्होंने अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल किया है क्योंकि यह मुद्दा अत्यावश्यक एवं राष्ट्रीय महत्व का है।
- शाह ने स्पष्ट किया कि सरकार की ओर से पहली बार इस तरह की पहल नहीं की गई है। इसके पहले कांग्रेस की सरकार 1952 और 1962 में इस प्रक्रिया का पालन करते हुई अनुच्छेद 370 में संशोधन कर चुकी है। मौजूदा सरकार ने भी इसी प्रक्रिया का पालन किया है।