राबर्ट वाड्रा को गिरफ्तारी का डर, अदालत में दी अग्रिम जनानत की अर्जी

Edited By Yaspal,Updated: 01 Feb, 2019 11:59 PM

robert vadra fear of arrest advised in advance in court

कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा ने प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज धन शोधन के एक मामले में अग्रिम जमानत के लिए शुक्रवार को दिल्ली की एक अदालत का रुख किया। अभियोजन दल के अधिवक्ता ने पुष्टि की...

नई दिल्लीः कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा ने प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज धन शोधन के एक मामले में अग्रिम जमानत के लिए शुक्रवार को दिल्ली की एक अदालत का रुख किया। अभियोजन दल के अधिवक्ता ने पुष्टि की कि वाड्रा ने उस मामले में अग्रिम जमानत मांगी है जिसमें उनके करीबी सहयोगी मनोज अरोड़ा को अदालत ने 6 फरवरी तक गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण दिया था।

क्या है पूरा मामला
यह मामला लंदन के 12 ब्रायंस्टन स्क्वायर पर स्थित एक संपत्ति की खरीद में धन शोधन के आरोपों से संबंधित है। इसे 19 लाख पाउंड में खरीदा गया था और इसका स्वामित्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के बहनोई वाड्रा के पास है। वाड्रा की अग्रिम जमानत की अर्जी पर अदालत में कल सुनवाई होने की संभावना है।

एनडीए सरकार पर लगाया बदले का आरोप
इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 19 जनवरी को अदालत को बताया था कि अरोड़ा जांच में सहयोग कर रहे हैं। अरोड़ा ने पहले अदालत में आरोप लगाया था कि राजग सरकार ने "राजनीतिक प्रतिशोध" के तहत उन्हें इस मुकदमे में फंसाया है। हालांकि, ईडी ने इन आरोपों का खारिज कर दिया था और कहा था, Þक्या किसी भी अधिकारी को किसी भी राजनीतिक रूप से बड़े व्यक्ति की जांच नहीं करनी चाहिए क्योंकि इसे राजनीतिक प्रतिशोध कहा जाएगा?

किस कानून के तहत हो रही जांच
जांच एजेंसी ने अदालत को बताया था कि भगोड़े हथियार व्यापारी संजय भंडारी के खिलाफ आयकर विभाग काला धन अधिनियम एवं कर कानून के तहत जांच कर रहा है। इसी दौरान अरोड़ा की भूमिका सामने आयी और इसके आधार पर धन शोधन का मामला दर्ज किया गया था। यह आरोप लगाया गया था कि लंदन स्थित संपत्ति को 19 लाख पाउंड में भंडारी ने खरीदा था और 2010 में इसे इतनी ही राशि में बेच दिया गया जबकि इसके नवीकरण पर लगभग 65,900 पाउंड खर्च किया गया था।

विदेशी संपत्ति के बारे में वाड्रा को था पता
ईडी ने अदालत को बताया था, "यह इस तथ्य पर विश्वास दिलाता है कि भंडारी संपत्ति का वास्तविक मालिक नहीं था, बल्कि वाड्रा के पास इसका स्वामित्व था, जो इसके नवीकरण पर खर्च कर रहे थे। ईडी ने आरोप लगाया था कि अरोड़ा, वाड्रा के स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी एलएलपी के एक कर्मचारी हैं। जांच एजेंसी ने आरोप लगाया कि अरोड़ा को वाड्रा की विदेश में अघोषित संपत्ति के बारे में पता था और वह धन की व्यवस्था करने में सहायक था।

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