CM केजरीवाल को झटका, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए डॉक्टर से परामर्श की याचिका खारिज

Edited By Yaspal,Updated: 22 Apr, 2024 10:47 PM

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दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की चिकित्सकीय जांच करने के लिए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) को मेडिकल बोर्ड गठित करने का निर्देश दिया

नेशनल डेस्कः दिल्ली की एक अदालत ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की चिकित्सकीय जांच के लिए सोमवार को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) को मेडिकल बोर्ड गठित करने का निर्देश दिया जो तय करेगा कि केजरीवाल के रक्त में शर्करा की मात्रा को नियंत्रित करने के लिए इंसुलिन की जरूरत है या नहीं। अदालत ने कहा कि केजरीवाल जो घर का बना खाना खा रहे थे, वह उनके डॉक्टर द्वारा तैयार आहार चार्ट से अलग था।

सीबीआई और ईडी मामलों की विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा की अदालत ने केजरीवाल द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंस की मदद से अपने चिकित्सक से परामर्श लेने के लिए दाखिल अर्जी को खारिज करते हुए यह आदेश सुनाया। केजरीवाल ने शुक्रवार को आरोप लगाया था कि जेल में उन्हें इंसुलिन नहीं दी जा रही है, जिससे उनके रक्त में शर्करा का स्तर ‘चिंताजनक' स्थिति तक पहुंच गया है। प्रवर्तन निदेशालय ने शुक्रवार को दावा किया था कि आम आदमी पार्टी (आप) नेता चिकित्सा के आधार पर जमानत लेने के लिए नियमित रूप से आम और मिठाई जैसे शर्करा युक्त भोजन का सेवन कर रहे थे।

केजरीवाल ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए धनशोधन रोधी एजेंसी पर "ओछी" हरकत करने और उनके खाने का "राजनीतिकरण" करने का आरोप लगाया। अदालत ने दिल्ली आबकारी नीति ‘घोटाले' से जुड़े धनशोधन मामले में गिरफ्तार केजरीवाल को सभी आवश्यक चिकित्सा उपचार प्रदान करने का सोमवार को आदेश दिया। अदालत ने एम्स के निदेशक को केजरीवाल की जांच के लिए एंडोक्राइनोलॉजिस्ट/मधुमेह विशेषज्ञ को शामिल करते हुए एक मेडिकल बोर्ड गठित करने का आदेश दिया। अदालत ने कहा कि बोर्ड तय करेगा कि उन्हें इंसुलिन दिया जाना चाहिए या नहीं और साथ ही यह भी तय करेगा कि उन्हें किस आहार और व्यायाम योजना का पालन करना चाहिए।

अदालत ने कहा कि मेडिकल बोर्ड द्वारा निर्धारित आहार योजना से कोई बदलाव नहीं होगा। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि केजरीवाल के भोजन की विस्तृत सूची ‘‘स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि जो खाद्य पदार्थ घर के बने भोजन के रूप में उपलब्ध कराए जा रहे हैं, वे उनके अपने डॉक्टर द्वारा निर्धारित आहार से काफी अलग हैं''। अदालत ने केजरीवाल के वकील की उस बेपरवाह टिप्पणी का भी जवाब दिया कि ‘‘आम आदमी आम नहीं खाएगा तो क्या मशरूम खाएगा''।

जज ने कहा कि मशरूम खाने की सलाह केजरीवाल के अपने डॉक्टर ने दी थी जबकि आम खाने के लिए कोई विशेष सिफारिश नहीं की गई थी। जज ने कहा, "यह अदालत यह भी समझने में असमर्थ है कि आवेदक का परिवार उनके चिकित्सकीय निर्धारित आहार के विपरीत आम, मिठाई, आलू पूरी आदि क्यों भेज रहा है।" अदालत ने कहा कि यह स्पष्ट है कि जेल अधिकारियों के पास कैदियों को अपेक्षित स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करने के लिए अच्छी तरह से विकसित बुनियादी ढांचा है। न्यायाधीश ने कहा, ‘‘यह अदालत भी इन दलीलों से सहमत है कि आवेदक के साथ अन्य कैदियों से अलग व्यवहार नहीं किया जा सकता क्योंकि कानून/जेल नियमावली सभी पर समान रूप से लागू होने चाहिए।''

अदालत ने आदेश में यह भी कहा कि जेल अधिकारियों ने इस तथ्य पर कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया कि ऐसे खाद्य पदार्थ जो उसके आदेश और आवेदक के चिकित्सकीय नुस्खे के अनुसार नहीं थे, उन्हें आवेदक के पास भेजने की अनुमति क्यों दी गई। अदालत ने कहा, ‘‘तथ्य यह है कि आवेदक के घर से आ रहे भोजन की पूरी सूची जेल अधिकारियों के पास है, यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि वे सभी घर से आ रहे खाने के बारे में जानते थे। जेल प्रशासन ने न तो आदेश के कथित गैर-अनुपालन को इस अदालत के संज्ञान में लाया, न ही यह सुनिश्चित करने के लिए कोई कदम उठाया कि आवेदक उन खाद्य पदार्थों का सेवन न करें जो उनके डॉक्टर द्वारा निर्धारित नहीं किए गए थे।'' न्यायाधीश ने कहा कि जेल अधिकारियों के जवाब में या केजरीवाल के आवेदन में इस बात का कोई आंकड़ा नहीं है कि याचिकाकर्ता ने घर से आए खाने का कितना हिस्सा नहीं खाया।

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