गर्मी में बोतलबंद पानी हो जाता है जहरीला, पीने से आपको भी हो सकता है कैंसर

Edited By Ravi Pratap Singh,Updated: 23 Jul, 2019 06:20 PM

slow poison is bottled water gets cancer

हिंदी में एक प्रसिद्ध कहावत है जल ही जीवन है। लेकिन आज के संदर्भ में यह कहावत उलटी साबित हो रही है। क्योंकि हम जिस बोतलबंद पानी को अपनी प्यास बुझाने के लिए खरीदते हैं, वह धीमे जहर की तरह हमें मार रहा है।

नई दिल्लीः हिंदी में एक प्रसिद्ध कहावत है जल ही जीवन है। लेकिन आज के संदर्भ में यह कहावत उलट साबित हो रही है। क्योंकि हम जिस बोतलबंद पानी को अपनी प्यास बुझाने के लिए खरीदते हैं, वह धीमे जहर की तरह हमें मार रहा है। यह रिपोर्ट न्यूयार्क की स्टेट यूनिवर्सिटी में हुए शोध से सामने आई है। गर्मी के संपर्क में आते ही बोतलें जहरीली हो जाती हैं। इनसे 55 से 60 तरह के जहरीले रसायन निकलते हैं जो पानी में मिल जाते हैं। ऐसा पानी पीना सेहत के लिए घातक होता है।  

रिपोर्ट के अनुसार, बोतलबंद पानी में प्लास्टिक के कण होने के साथ कई तरह के रसायन शामिल होते हैं जो हमारी सेहत के लिए बहुत ही घातक हैं। बोतलबंद पानी के सेवन से कैंसर तक हो सकता है। शोध में कई देशों की 11 ब्रांड बोतलों की 250 बोतलों को शामिल किया गया था। 1 लीटर बोतलबंद पानी में शोधकर्ताओं को 4500 से 10390 प्लास्टिक के कण मिले हैं।

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कई देशों के बोतलबंद पानी की हुई जांच

शोधकर्ताओं ने भारत समेत अमेरिका, चीन, ब्राजील, इंडोनेशिया, थाईलैंड, मैक्सिको, केन्या व लेबनान के बोतलबंद पानी के नमूनों की जांच की। जांच में सामने आया कि बोतलबंद पानी में प्रदूषण पैकिंग के दौरान पनपता है। सामान्य पानी को उबाल कर हम पीने योग्य बना लेते हैं। क्योंकि उबालने से पानी में मौजूद कीटाणु नष्ट हो जाते हैं, लेकिन बोतलबंद पानी में प्लास्टिक के जो घातक कण होते हैं, उनका कोई हल नहीं है। अधिक तापमान की वजह से प्लास्टिक के कण पानी में घुल जाते हैं।

कंपनी से ग्राहक तक पहुंचने में पानी हो जाता है प्रदूषित

प्लास्टिक की बोतलबंद पानी की बोतलें जब कंपनियों से दुकानों व गोदामों में जाने के लिए ट्रकों में लाधी जाती हैं। अगर उस समय बाहर का तापमान 35 से 40 डिग्री सेल्सियस है तो ट्रक के भीतर का तापमान 50 से 60 डिग्री सेल्सियस होता है। इस दौरान कई रसायनों से बनी प्लास्टिक की बोतलों से इनका रिसाव होकर पानी में घुल जाता है जिससे पानी प्रदूषित हो जाता है।

पानी की जांच की व्यवस्था है लेकिन बोतलों की नहीं

 देश में पानी की जांच की तो व्यवस्था है। लेकिन जिन प्लास्टिक की थैलियों, बोतलों या कप में पानी भरा जाता है, उनकी जांच की कोई व्यवस्था नहीं है। बोतल बनाने वाली कंपनियां अपना उत्पाद बनाने में पीवीसी पाइपों में इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक व बीपीए पॉलीकाबरेनेट प्लास्टिक व बिसफेनोल नामक रसायनों का प्रयोग करती हैं। ये रसायन सेहत के लिए घातक हैं। 

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कौन-कौन सी हो सकती हैं बीमारियां

प्लास्टिक की बोतलों और अन्य गर्म वस्तुओं को प्लास्टिक में रखकर खाने से हार्मोन असंतुलित हो जाते हैं। इससे पॉलीसिस्टिक ओवरियन डिजीज (पीसीओडी), ओवरी से संबंधित समस्याएं समेत ब्रेस्ट, कोलन और  प्रोस्टेट कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है।

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