सिख आजादी दिवस को मान्यता का देश-विदेश में भारी विरोध

Edited By Seema Sharma,Updated: 02 May, 2022 11:17 AM

strong opposition to recognition of sikh independence day in country and abroad

अमरीका के कनैक्टीकट राज्य की सरकार खालिस्तान समर्थकों के भारत के विरुद्ध चलाए जाने वाले सिख दमन के दुष्प्रचार के जाल में फंस गई है। स्टेट ऑफ कनैक्टीकट जनरल असैंबली ने 29 अप्रैल को ‘सिख आजादी दिवस’ (दूसरे शब्दों में खालिस्तान घोषणा दिवस) के रूप में...

जालंधर (विशेष): अमरीका के कनैक्टीकट राज्य की सरकार खालिस्तान समर्थकों के भारत के विरुद्ध चलाए जाने वाले सिख दमन के दुष्प्रचार के जाल में फंस गई है। स्टेट ऑफ कनैक्टीकट जनरल असैंबली ने 29 अप्रैल को ‘सिख आजादी दिवस’ (दूसरे शब्दों में खालिस्तान घोषणा दिवस) के रूप में मान्यता दी। इस संबंध में कनैक्टीकट राज्य की ओर से एक प्रशस्ति-पत्र राज्य की सीनेटर कैथी उसटन ने जारी किया। कनैक्टीकट राज्य के इस फैसले का भाजपा समेत भारत व विदेश में भारत समर्थकों ने भारी विरोध किया है। इंडिया वर्ल्ड फोरम ने भी इसके विरोध में आवाज बुलंद की है। कनैक्टीकट राज्य के प्रशस्ति-पत्र को गत दिवस नॉरविच सिटी हॉल के बाहर पढ़ा गया जहां मेयर पीटर निस्ट्रोम, नॉरविच सिटी कौंसिल के सदस्य स्वर्णजीत सिंह खालसा व डैरेल विल्सन भी उपस्थित थे।

 

मेयर निस्ट्रोम ने कहा, ‘‘कनैक्टीकट स्टेट की जनरल असैंबली सिख कौम की आजादी के ऐलाननामे की &6वीं बरसी के सम्मान में वर्ल्ड सिख पार्लियामैंट को अपनी ओर से बधाई देती है।’’ इस विशेष कार्यक्रम में सरबत खालसा द्वारा बनाए गए अकाल तख्त के जत्थेदार जगतार सिंह हवारा का संदेश भी पढ़ा गया।  कार्यक्रम में उपस्थित  वर्ल्ड सिख पार्लियामैंट के को-ऑर्डीनेटर हिम्मत सिंह ने कहा कि सिटी ऑफ नॉरविच व स्टेट ऑफ क्नैक्टीकट सिखों के सहयोगी एवं भाईवाल रहे हैं तथा सिखों को अपनी भावनाएं एवं संघर्ष सांझा करने के लिए सदा प्लेटफॉर्म प्रदान कराया है। हिम्मत सिंह ने कहा कि पंजाब के क्षेत्र पर जबरदस्ती कब्जा किया गया है तथा पंजाब अभी भी संयुक्त राष्ट्र के दिशा-निर्देश में अपनी आजादी की मांग करता है। वर्ल्ड सिख पार्लियामैंट के प्रवक्ता डॉ. अमरजीत सिंह ने कहा कि भारत सरकार ने सिखों को ऐसे मुकाम पर धकेल दिया है कि उन्हें यह प्रस्ताव पारित करना पड़ा और आजाद होने की कौमी इच्छा का ऐलान अकाल तख्त साहिब से जारी हुआ। कार्यक्रम में अमरीकी सीनेटर क्रिस मर्फी का विशेष संदेश भी पढ़ा गया।

 

9 अप्रैल 1986 क्यों?
29 अप्रैल 1986 को अमृतसर में अकाल तख्त पर ‘सरबत खालसा’ ने आजादी का प्रस्ताव पारित किया था। इसी दिवस को सिख आजादी के ऐलाननामे दिवस के रूप में घोषित किया गया है।

 

मान्यता अस्वीकार्य, बाइडेन सरकार तुरंत हस्तक्षेप करे 
अमरीका के कनैक्टीकट राज्य की ओर से 29 अप्रैल 1986 को सिख आजादी के ऐलाननामे दिवस के रूप में मान्यता देना अस्वीकार्य है और पूरी तरह भर्त्सना के योग्य है। जो बाइडेन सरकार इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करे क्योंकि यह भारत के भीतर स्वतंत्र खालिस्तान की मान्यता को खुला समर्थन है। 
-आर.पी. सिंह, राष्ट्रीय प्रवक्ता, भाजपा

 

कनैक्टीकट राज्य को मामले का बुनियादी ज्ञान तक नहीं 
कनैक्टीकट राज्य अपने जनादेश और अधिकार क्षेत्र की लक्ष्मण रेखा पार करके भारत के मामलों में हस्तक्षेप कर रहा है। वह जिस बारे में बात कर रहा है, उसके बारे में उसे बुनियादी ज्ञान तक नहीं है। कनैक्टीकट राज्य के इस अमैत्रीपूर्ण कृत्य के लिए उसकी कड़ी निंदा करता हूं, विशेष रूप से जब अमरीका और भारत रणनीतिक और सुरक्षा मोर्चों सहित सभी क्षेत्रों में अपने संबंधों को गहरा कर रहे हैं।
सुक्खी चाहल, मुख्य संपादक, खालसा टुडे, कैलिफोर्निया

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!