Edited By Anil dev,Updated: 16 Apr, 2018 12:48 PM
सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व सासंदों को बड़ी राहत देते हुए आजीवन पेंशन और भत्ता देने के खिलाफ दाखिल याचिका को खारिज कर दिया है। न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर एवं न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की पीठ ने कहा , ‘‘ याचिका खारिज की जाती है। ’’ पीठ ने इसी वर्ष सात...
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व सासंदों को बड़ी राहत देते हुए आजीवन पेंशन और भत्ता देने के खिलाफ दाखिल याचिका को खारिज कर दिया है। न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर एवं न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की पीठ ने कहा , ‘‘ याचिका खारिज की जाती है। ’’ पीठ ने इसी वर्ष सात मार्च को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।
केंद्र ने सात मार्च को शीर्ष न्यायालय को बताया था कि पूर्व सांसदों को पेंशन तथा अन्य लाभ मिलना ‘ उचित ’ है क्योंकि सांसद के तौर पर उनका कार्यकाल भले भी समाप्त हो गया हो , उनकी गरिमा बरकरार रखी जानी चाहिए। केंद्र ने वित्त विधेयक 2018 का भी जिक्र किया था जिसमें सांसदों के वेतन तथा पेंशन से जुड़े प्रावधान हैं। इस विधेयक में लागत मुद्रास्फीति सूचकांक के अधार पर एक अप्रैल 2023 से प्रत्येक पांच वर्ष में उनके भत्तों को रिवाइज करने का भी प्रावधान है। उच्चतम न्यायालय ने फरवरी में केंद्र को सांसदों के वेतन तथा भत्ते तय करने के लिए एक स्वतंत्र तंत्र बनाने पर अपना रूख स्पष्ट करने के कहा था।
इससे पहले सरकार ने कहा था कि मामला विचारधीन है। इसके बाद शीर्ष न्यायालय पूर्व सांसदों को पेंशन तथा अन्य भत्ते देने वाले कानूनों की संवैधानिक वैधता की जांच के लिए सहमत हो गया था और उसने केन्द्र तथा ईसीआई से इस मुद्दे पर जवाब मांगा था। दरअसल स्वयं सेवी संस्था ‘ लोक प्रहरी ’ ने इलाहाबद उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रूख किया था। उच्च न्यायालय ने एनजीओ की उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें दावा किया गया था कि कार्यालय छोडऩे के बाद भी सांसदों को मिलने वाली पेंशन तथा अन्य भत्ते संविधान के अनुक्षेद ( समानता का अधिकार ) के विपरीत है।