Video-मध्यप्रदेश की आॅर्डिनेंस फैक्टरी खमरिया में बांग्लादेशियों की घुसपैठ की आशंका

Edited By ASHISH KUMAR,Updated: 09 Apr, 2018 04:52 PM

देश की सेना को विस्फोटक देने वाली आॅर्डिनेंस फैक्टरी खमरिया (ओएफके) में संदिग्ध बांग्लादेशी श्रमिकों की घुसपैठ उजागर होने के बाद हड़कंप मच गया है। इतना ही नहीं मामले सामने आने पर पुलिस वैरीफिकेशन रिपोर्ट (पीवीआर) पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। ओएफके...

मध्यप्रदेश (जबलपुर): देश की सेना को विस्फोटक देने वाली आॅर्डिनेंस फैक्टरी खमरिया (ओएफके) में संदिग्ध बांग्लादेशी श्रमिकों की घुसपैठ उजागर होने के बाद हड़कंप मच गया है। इतना ही नहीं मामला सामने आने पर पुलिस वैरीफिकेशन रिपोर्ट (पीवीआर) पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। ओएफके प्रशासन ने पकड़े गए संदिग्ध 24 श्रमिकों का दोबारा वैरीफिकेशन कराने का निर्णय लिया है। यह मामला रक्षा मंत्रालय तक पहुंचने के कारण खलबली मच गई है।

वैरिफकेशन में हुई गड़बड़ी
ओएफके में ठेका श्रमिकों को प्रवेश देने के पूर्व उनका पुलिस वैरीफिकेशन कराया जाता है। ओके रिपोर्ट आने पर ही उन्हें काम पर रखे जाने का नियम है। चौंकाने वाली बात यह है कि सुरक्षाकर्मियों ने जिन संदिग्ध्य बांग्लादेशी श्रमिकों को पकड़ा है, उनका भी पुलिस वैरीफिकेशन कराया गया था। अब सवाल यह उठ रहा है कि इस प्रक्रिया में दस्तावेजों की जांच के दौरान सतर्कता क्यों नहीं बरती गई। कारण यह है कि आधार पर सभी श्रमिकों की जन्मतिथि 1 जनवरी ही दर्ज है।  जिसपर पुलिस अधिकारियों का ध्यान नहीं गया। गौरतलब है कि जांच के दौरान सुरक्षा विभाग ने सत्य प्रकाश नामक ठेकेदार द्वारा काम पर लगाए गए श्रमिकों के आधार कार्ड की जांच के दौरान यह पाया था कि 24 ठेका श्रमिकों की जन्मतिथि 1 जनवरी है। हैरत यह भी है कि आधार कार्ड में सभी श्रमिकों का एक ही समुदाय तथा पश्चिम बंगाल सिथत एक ही जगह पर सभी का जन्म स्थान भी दर्ज है।

कहां बने आधार कार्ड
ओएफके सुरक्षा विभाग को ठेका श्रमिकों के पास मिले आधार कार्ड की वैधानिकता पर भी संदेह है। जांच का दायरा सीमित होने के कारण यह मामला पुलिस को सौंपा जा रहा है। पुलिस पतासाजी करेगी कि उनके आधार कार्ड कहां बनाए गए हैं।

बमों की ढुलाई थी इन्हीं के हवाले
ठेकेदार सत्यप्रकाश को ओएफके में चल रहे निर्माण कार्य सहित घातक बम-विस्फोटक की ढुलाई का टेंडर भी दिया गया है। सूत्रों की मानें तो संदिग्ध बांग्लादेशी श्रमिकों से बमों की ढुलाई का काम भी कराया जाता था। सुरक्षाकर्मियों का कहना है कि पकड़े गए ज्यादातर संदिग्ध श्रमिकों को देखकर लगता है कि वे सभी नाबालिग हैं और आधार कार्ड में उम्र बढ़ाकर दर्ज कराई गई है।

पैसों के लिए देश की सुरक्षा दांव पर
गंभीर बात यह कि ठेकेदार ने खर्च बचाने के लिए उक्त श्रमिकों को पश्चिम बंगाल से बुलाया था, जहां अवैध तरीके से घुसपैठ करने वाले बांग्लादेशी युवक और बच्चे बहुत ही कम पैसे लेकर मजदूरी करने तैयार हो जाते हैं। ठेकेदार ने इसी बात का फायदा उठाते हुए कुछ पैसों के लिए देश की सुरक्षा को खतरे में डाल दिया।

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