समय पर कानूनों में बदलाव नहीं होने से कमजोर पड़ा सहकारिता आंदोलन: बोले केंद्रीय मंत्री अमित शाह

Edited By Rahul Rana,Updated: 13 Apr, 2025 05:40 PM

the cooperative movement weakened due to lack of timely

केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में आयोजित राज्यस्तरीय सहकारी सम्मेलन में कहा कि देश में सहकारी आंदोलन लगभग खत्म हो गया था, और इसका प्रमुख कारण था—समय के साथ सहकारिता कानूनों में बदलाव न होना। उन्होंने कहा कि अब जब...

नेशनल डेस्क: केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में आयोजित राज्यस्तरीय सहकारी सम्मेलन में कहा कि देश में सहकारी आंदोलन लगभग खत्म हो गया था, और इसका प्रमुख कारण था—समय के साथ सहकारिता कानूनों में बदलाव न होना। उन्होंने कहा कि अब जब केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सहकारिता मंत्रालय का गठन हुआ है, तब जाकर यह आंदोलन पुनर्जीवित हो रहा है और नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ रहा है। केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह का यह बयान न केवल सहकारिता क्षेत्र की मौजूदा स्थिति को दर्शाता है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि केंद्र सरकार इसे कितनी प्राथमिकता दे रही है। नए मंत्रालय और नीतियों के तहत, सहकारिता आंदोलन को पुनः सशक्त बनाने की कोशिशें तेज़ हो गई हैं। मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में, जहां सहकारिता की जड़ें गहरी हैं, यह आंदोलन ग्रामीण विकास का मजबूत स्तंभ बन सकता है।

सहकारी आंदोलन का पिछला परिदृश्य

अमित शाह ने कहा कि देश में सहकारी आंदोलन की नींव मजबूत थी, लेकिन समय के साथ इसमें गिरावट आती गई। “पहले सहकारी आंदोलन अस्त-व्यस्त हो गया था क्योंकि कानूनों में समयानुकूल संशोधन नहीं किए गए। पुराने कानून आज के समय की जरूरतों को पूरा करने में अक्षम हो गए थे। इसी कारण से कुछ राज्यों में सहकारिता आगे बढ़ी, लेकिन कई राज्यों में यह पूरी तरह खत्म हो गई,” शाह ने कहा।

सहकारिता मंत्रालय की भूमिका

शाह ने बताया कि आजादी के 75 वर्षों तक केंद्र सरकार में सहकारिता के लिए कोई समर्पित मंत्रालय नहीं था। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने इस क्षेत्र के महत्व को समझते हुए स्वतंत्र सहकारिता मंत्रालय का गठन किया। “अब यह आंदोलन फिर से मजबूत हो रहा है और देश के विकास में अहम भूमिका निभाने जा रहा है,” उन्होंने कहा।

मध्यप्रदेश में सहकारिता की संभावनाएं

मंत्री शाह ने मध्यप्रदेश को कृषि, पशुपालन और सहकारिता क्षेत्रों में अपार संभावनाओं वाला राज्य बताया। उन्होंने कहा कि यदि इन क्षेत्रों में संगठित और आधुनिक योजनाओं के साथ कार्य किया जाए, तो ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती दी जा सकती है। उन्होंने राज्य सरकार और सहकारी संस्थानों से कहा कि वे इस दिशा में मिलकर काम करें और किसानों को आत्मनिर्भर बनाने में योगदान दें।

एनडीडीबी और दुग्ध संघ के बीच समझौता

सम्मेलन के दौरान, राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड और मध्यप्रदेश राज्य सहकारी दुग्ध संघ के बीच दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। अमित शाह की उपस्थिति में हुए इस समझौते को राज्य में डेयरी क्षेत्र को गति देने और किसानों की आमदनी बढ़ाने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।

संबंधित सुझाव:

- सहकारी संस्थाओं को डिजिटल बनाना  
- कानूनों का समय-समय पर पुनरीक्षण  
- युवाओं की भागीदारी सुनिश्चित करना  
- कृषि-डेयरी जैसे क्षेत्रों में सहकारी मॉडल को बढ़ावा देना  

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