जिस तस्कर गिरोह से बच्चे को छुड़ाया था, NGO ने फिर उसी को सौंपा

Edited By shukdev,Updated: 30 Nov, 2018 11:08 PM

the smuggler was kidnapped by the gang

पिछले महीने भोपाल के एनजीओ आवाज ने स्टिंग कर जिस अंतर्राज्यीय मानव तस्कर गिरोह का भंडाफोड़ किया था, उस मामले में आलीराजपुर पुलिस ने 27 आरोपियों को  गिरफ्तार कर 13 बच्चे छुड़ा लिए। ये बच्चे बाल कल्याण समिति आलीराजपुर को सौंप दिए गए जबकि आरोपी जेल में...

इंदौर: पिछले महीने भोपाल के एनजीओ आवाज ने स्टिंग कर जिस अंतर्राज्यीय मानव तस्कर गिरोह का भंडाफोड़ किया था, उस मामले में आलीराजपुर पुलिस ने 27 आरोपियों को  गिरफ्तार कर 13 बच्चे छुड़ा लिए। ये बच्चे बाल कल्याण समिति आलीराजपुर को सौंप दिए गए जबकि आरोपी जेल में हैं। विडम्बना यह कि समिति ने इनमें से एक बच्चा फिर से एक आरोपी परिवार को ही सौंप दिया। ऐसे ही चार बच्चे गुजरात बाल कल्याण समिति को सौंप दिए गए। इस मामले में एनजीओ ने आलीराजपुर कलेक्टर को शिकायत की है।

इस मामले का भंडाफोड़ 11 नवंबर को आवाज के संचालक प्रशांत दुबे ने एसआई चंचला सोनी के साथ दंपति बनकर आरोपियों से बच्चे को सौदा कर किया था। इसमें छोटा उदयपुर के केशर अस्पताल के संचालक डॉ. ए राजूभाई सहित 27 आरोपियों को गिरफ्तार किया था। इनमें सबसे ज्यादा आरोपी इसी अस्पताल के थे। इसके अलावा इन्हें खरीदने वाले और दलाल आदि आरोपी थे। 13 बच्चों को जिन दंपतियों से बरामद किया था उनमें पुलिस ने केवल पुरुषों को आरोपी बनाया था। बहरहाल, 19 नवंबर को बाल कल्याण समिति ने अपने आदेश में एक बालिका को किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा के अंतर्गत देखरेख के लिए एक आरोपी की पत्नी को सौंप दिया।

समिति ने दिया सर्वोत्तम हित का हवाला
आदेश में बच्चे के लिए आरोपी की पत्नी ने सर्वोत्तम हित का हवाला दिया है। खास यह कि आदेश में कहीं भी इस बात का जिक्र नहीं है कि आवेदिका, आरोपी जो अभी जेल में है की पत्नी है और आरोपी इस मानव तस्करी के मामले में अनैतिक दत्तक ग्रहण का दोषी है। केवल बालिका को तत्काल पुनर्वासित किए जाने के लेकर केयर टेकर के साथ संबंध और घुलने-मिलने का आधार बताया है। मामले पक्षपात कर आरोपियों को बचाने की बात सामने आई है। अहम यह कि आदेश समिति ने बालिका का नाम भी गलत लिखा है।

इधर, आवाज के संचालक प्रशांत दुबे ने बताया कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि बच्चों के कल्याण के लिए बनाई गई समिति उनके हित में काम न करते हुए विरोध में कर रही है। संस्था ने किशोर न्याय अधिनियम की धारा 101(1) के तहत अपीलीय अधिकारी के रूप में कलेक्टर को शिकायत की है।

(Story Credit: Navin Rangiyal 'Pebble')

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