BJP सांसद जामयांग बोले-  चीन के कब्जे से अक्साई चिन को वापस लेने का आ गया समय

Edited By vasudha,Updated: 18 Jun, 2020 04:44 PM

time to withdraw aksai chin from chinese occupation

भारत चीन सीमा पर लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के धोखे ने देश को कई जख्म दे दिए हैं। 20 भारतीय सैनिकों की जान का बदला लेने के लिए लोग सड़कों पर उतर असए हैं। हर किसी की जुबान में एक हर एक ही सवाल है कि जवानों की की शहादत का बदला कब ? अब इसी...

नेशनल डेस्क: भारत चीन सीमा पर लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के धोखे ने देश को कई जख्म दे दिए हैं। 20 भारतीय सैनिकों की जान का बदला लेने के लिए लोग सड़कों पर उतर आए हैं। हर किसी की जुबान में एक हर एक ही सवाल है कि जवानों की शहादत का बदला कब ? अब इसी बीच लद्दाख से बीजेपी सांसद जामयांग सेरिंग नामग्याल का बड़ा बयान सामने आया है। 

 

बीजेपी सांसद ने कहा कि अब अक्साई चिन को चीनी कब्जे से वापस लेने का समय आ गया है। उन्होंने एक न्यूज चैनेल के साथ बातचीत में कहा किे यह 1962 का नहीं 2020 का भारत है। भारतीय चरवाहों को अपने पारंपरिक चारागाहों में जाना चाहिए, जिस पर चीन ने कब्जा किया और चरवाहों को प्रवेश देने से मना कर दिया है। भारत को इन क्षेत्रों पर दावा करना चाहिए और वापस लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि अक्साई चिन ही नहीं, बल्कि गिलगित और बाल्टिस्तान भी लद्दाख का हिस्सा हैं। हम सीमा सुरक्षा के लिए लद्दाख में स्थानीय लोगों के लिए एक बड़ी भूमिका चाहते हैं। 

 

क्या है अक्साई चिन का इतिहास
1865 में भारत चीन सीमा का विलियम जॉन्सन ने सर्वे किया और जॉनसन लाइन के हिसाब से बताया कि अक्साई चिन जम्मू-कश्मीर का हिस्सा है। 1899 में एक ब्रिटिश सर्वेयर ने अक्साई चिन को मैकार्ने मैकडोनल्ड लाइन के हिसाब से चीन का हिस्सा बताया। इसके 50 साल बाद चीन ने अक्साई चिन पर कब्जे का पहला कदम रखा और यहां 1951 में सड़क बनानी शुरू कर दी। इस सड़क के जरिए चीन का शिनजियांग प्रांत तिब्बत से जुड़ गया। चीन की इस कार्रवाई पर भारत ने ज्यादा ध्यान नहीं दिया और इस तरह 1957 में चीन ने 179 किलो मीटर लंबी सड़क बनाकर अपने इरादे जाहिर कर दिए। इसके बाद 1962 की जंग हुई और भारत का अक्साई चिन चीन के पास चला गया। 
 


भारत चाहता है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर जहां-जहां दोनों देशों की सेनाओं की तैनाती है। उसे ही एलएसी मान लिया जाए लेकिन चीन इसे मानने के लिए तैयार नहीं है। चीन चाहता है कि भारत बॉर्डर-एरिया में सभी सड़क और दूसरे आधारभूत ढांचों का निर्माण-कार्य बंद कर दे लेकिन भारत इसके लिए तैयार नहीं है। जिस तरह से भारत ने चीन की सीमा के पास बुनियादी ढांचे को मजबूत किया है, उसने चीनी ड्रैगन को डरा दिया है। क्योंकि चीन को लगता था कि टकराव की स्थिति में वो आसानी से भारत को दबा देगा लेकिन हालात बदलने से चीन की सेना टेंशन में है।

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