Edited By Tanuja,Updated: 05 Jul, 2025 05:51 PM

बांग्लादेश के उत्तर-पश्चिमी जिलों में गरीबी और कर्ज के चलते लोग अपनी किडनी बेचने को मजबूर हो रहे हैं। एक छोटे से गांव बाइगुनी (Kalai Upazila) में करीब हर 35वें व्यक्ति ने किडनी बेच दी ...
International Desk: बांग्लादेश के उत्तर-पश्चिमी जिलों में गरीबी और कर्ज के चलते लोग अपनी किडनी बेचने को मजबूर हो रहे हैं। एक छोटे से गांव बाइगुनी (Kalai Upazila) में करीब हर 35वें व्यक्ति ने किडनी बेच दी है जिससे इसे ‘किडनी गांव’ कहा जाने लगा है। गरीब लोग कार्य के झांसे में भारत जाते हैं, लेकिन वहां पहुँचकर पासपोर्ट ज़ब्त, झूठी पहचान और डॉक्टरियों के साथ मिलीभगत से उन्हें किडनी बेचने को मजबूर किया जाता है। 45 वर्षीय सफीरुद्दीन जैसे व्यक्ति आर्थिक संकट में पढ़कर भारत गए, लेकिन ऑपरेशन के बाद सिर्फ ₹2.5 लाख पाए और अब दर्द और कमजोरी से जूझ रहे हैं ।
भारत में कानून केवल नजदीकी रिश्तेदारों के बीच किडनी ट्रांसप्लांट की अनुमति देता है (THOA, 1994)। लेकिन नकली दस्तावेज, DNA रिपोर्ट और फर्जी रिश्तेदारी के प्रमाण बनाए जाते हैं। अस्पताल और डॉक्टर इन मामलों में शामिल होते हैं। कोलकाता के अस्पताल में इलाज करवाने वालों ने भी आरोप लगाया कि ब्रोकरों और अस्पतालों की मिलीभगत थी । यह रैकेट दिल्ली-NCR और गुड़गांव समेत विभिन्न शहरों में फैल चुका है। दिल्ली पुलिस ने कई गिरोहकों को पकड़ा, जिनमें शामिल थे ड्रॉक्टर, बंगलादेशी दलाल और स्थानीय गैंग्स। दलाल उधार का भुगतान करने के लिए ग्रामीणों को जोड़ते हैं, और ₹4–5 लाख में किडनी खरीदकर ₹25–30 लाख तक बेचते हैं।
किडनी बेचने वालों का बुरा हाल
- किडनी बेचने वालों पर अक्सर चिरकालिक स्वास्थ्य समस्याएं और कामकाज में असमर्थता का असर दिखता है ।
- उदाहरण के लिए, जोशना बेगम को ₹7 लाख देने का वादा था, लेकिन उन्हें केवल ₹3 लाख मिले और अब दवाओं के लिए तरसती हैं ।
- एपी अस्पतालों में इलाज करवाने वाले मरीजों ने बताया कि बढ़ती आयु के साथ समस्याएं साथ आने लगी हैं ।