जब एनआरसी पर चर्चा नहीं हुई तो गृह मंत्री बयान क्यों दे रहे हैं : येचुरी

Edited By Pardeep,Updated: 22 Dec, 2019 11:41 PM

when the nrc is not discussed why is the home minister making a statement

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी ने राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) से जुड़े प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक बयान का हवाला देते हुए रविवार को सवाल किया कि जब एनआरसी पर कैबिनेट में कोई चर्चा नहीं हुई तो फिर गृह मंत्री...

नई दिल्लीः मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी ने राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) से जुड़े प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक बयान का हवाला देते हुए रविवार को सवाल किया कि जब एनआरसी पर कैबिनेट में कोई चर्चा नहीं हुई तो फिर गृह मंत्री अमित शाह इसे लागू करने का बयान क्यों दे रहे हैं।

जामिया मिल्लिया इस्लामिया में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ छात्रों के प्रदर्शन में भाग लेने पहुंचे येचुरी ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को एनआरसी पर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। उन्होंने कहा, '' इस तरह का कानून लाना संविधान के खिलाफ है। इस देश का एक ही हॉली बुक (पवित्र ग्रंथ) हमारा संविधान है। संविधान की रक्षा और अपने अधिकार के लिए लड़ेंगे।'' 

माकपा नेता ने कहा, ‘‘मोदी भाषण दे रहे थे कि किसी की नागरिकता छीन नहीं रहे हैं। लेकिन सवाल यह है कि नागरिकता के साथ धर्म को क्यों जोड़ रहे हैं?'' उन्होंने सवाल किया कि जब एनआरसी पर कैबिनेट में चर्चा नहीं हुई तो फिर गृह मंत्री बार बार क्यों एनआरसी की बात कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, ''आप पांच ट्रिलियन अर्थव्यवस्था की बात कर रहे हैं, लेकिन अपने एक घण्टे के भाषण में लोगों से जुड़े आम मुद्दों के बारे में कुछ नहीं कहा। किसान खुदकुशी कर रहा है, लोग महंगाई से जूझ रहे हैं और अर्थव्यवस्था डूब रही है। लेकिन इन समस्याओं का कोई जिक्र नहीं है।'' येचुरी ने कहा, '' आप बताइए कि लोगों की समस्याओं को दूर करने के लिए क्या कर रहे हैं?''

इस बीच पुलिस ‘‘बर्बरता'' और संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के बाहर शांतिपूर्ण प्रदर्शन आज सातवें दिन भी जारी रहा। प्रदर्शन में ज्यादातर छात्र और स्थानीय लोग शामिल हुए। रविवार को जामिया के बाहर हजारों की संख्या में लोग हाथों में तिरंगा और डफली लेकर एकत्र हुए और उन्होंने सरकार, संशोधित नागरिकता कानून और प्रस्तावित राष्ट्रव्यापी राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के खिलाफ नारे लगाए। गत 15 दिसम्बर को प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा के बाद पुलिस कार्रवाई में जामिया के 50 से अधिक छात्रों के घायल होने के बाद विश्वविद्यालय के बाहर हो रहे प्रदर्शनों का यह सातवां दिन था। 

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