भारी कर्ज बावजूद इतने नोट क्यों छाप रही पाकिस्तान की इमरान सरकार?

Edited By Seema Sharma,Updated: 13 Oct, 2020 12:31 PM

बर्बाद होती अर्थव्यवस्था और बढ़ते कर्ज के बावजूद पाकिस्तान में नोटों (Currency) की छपाई तेजी से हो रही है। इस समय जहां पाकिस्तान सरकार फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स (Financial Action Task Force) के निर्देशों का अनुपालन और देश के डिजिटलीकरण की कोशिशे...

इंटरनेशनल डेस्कः बर्बाद होती अर्थव्यवस्था और बढ़ते कर्ज के बावजूद पाकिस्तान में नोटों (Currency) की छपाई तेजी से हो रही है। इस समय जहां पाकिस्तान सरकार फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स (Financial Action Task Force) के निर्देशों का अनुपालन और देश के डिजिटलीकरण की कोशिशे कर रही है, वहीं करेंसी नोटों की मांग बढ़ती जा रही है। आंकड़े बताते हैं कि सिर्फ एक वित्तीय वर्ष में नोटों की संख्या में 1.1 ट्रिलियन की वृद्धि हुई है।

 

विशेषज्ञ मानते हैं कि पाकिस्तान में यह वृद्धि असामान्य है और अर्थव्यवस्था पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। अगर नोटों की संख्या बढ़ी है तो इसका मतलब है कि सरकार ने पुराने नोटों को नए नोटों के साथ बदल दिया है। इसके अलावा बड़ी संख्या में नए नोटों की छपाई भी की है। जानकारों के अनुसार, बाज़ार में नोटों की आपूर्ति और मांग को संतुलित करने के लिए, नए नोटों को सामान्य रूप से छापा जाता है, जिससे कुछ वृद्धि होती है। लेकिन असाधारण वृद्धि का मतलब है कि बहुत सारे नोट छापे गए हैं। 

 

बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले आठ वित्तीय वर्षों में प्रचलन में रही मुद्रा के आंकड़ों चौंकाने वाले हैं। वित्त वर्ष 2012 के अंत में चलन में रही मुद्राओं की संख्या 1.73 ट्रिलियन थी जो पिछले वित्तीय वर्ष 2020 में असामान्य वृद्धि के बाद 6.14 ट्रिलियन के स्तर पर बंद हुई। स्पष्ट है कि सरकार अधिक मुद्रा छाप रही है, जिसके कारण यह वृद्धि देखने में आ रही है। पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक करंसी नोटों के लिए कागज का उत्पादन करने वाली कंपनी सिक्योरिटी पेपर्स लिमिटेड (एसईपीएल) ने हाल ही में सबसे ज्यादा प्रॉफिट कमाया है। कंपनी के अधिकारियों ने इस सप्ताह एक कॉर्पोरेट ब्रीफिंग में बताया कि एसईपीएल को वित्त वर्ष 2019-20 में 1.27 बिलियन का फायदा हुआ, जो पिछले वित्त वर्ष से 65.3% अधिक था।

 

पाकिस्तान ने वित्त वर्ष 2019-20 में जीडीपी का लगभग 9.2% का बजट घाटा दर्ज किया, जबकि लक्ष्य 7% का था। मशहूर अर्थशास्त्री डॉक्टर क़ैसर बंगाली के मुताबिक जब सरकार को बजट की कमी का सामना करना पड़ता है, तो वह नए मुद्रा नोटों को छापकर अपने खर्चों को पूरा करती है।  इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड के साथ किए गए एक समझौते के तहत पाकिस्तान सरकार बैंक ऑफ पाकिस्तान से लोन नहीं सकती और अब वो कमर्शियल बैंकों से ओपन मार्केट ऑपरेशन के माध्यम से पैसा इकट्ठा रही है, जिसकी वजह से नए नोट छापे जा रहे हैं। क़ैसर बंगाली के मुताबिक सरकारी लोन नए नोटों को छापने के समान हैं क्योंकि यह एकमात्र तरीका है जिसके माध्यम से सरकार अपने लोन का भुगतान कर सकती है। एक जानकार के मुताबिक कुछ महीने पहले, सरकार ने कोविड-19 की मार झेल रही अर्थव्यवस्था के लिए 2 ट्रिलियन रुपयों के आर्थिक राहत पैकेज की घोषणा की, जिसने नए नोटों के प्रचलन को बढ़ाने में एक बड़ी भूमिका निभाई हो सकती है। 

 

पाकिस्तान में बड़ी संख्या में नोट तो छापे जा रहे हैं लेकिन इससे महंगाई में वृद्धि होती है। जानकारों के मुताबिक ये वृद्धि कालाबाज़ारी को बढ़ाती है। अधिक करंसी नोट नकदी जमाख़ोरी का ज़रिया बनता है और पैसे को चंद हाथों तक सीमित करता है। एक विशेषज्ञ ने बीबीसी को बताया कि अगर बड़ी संख्या में नोट छप कर जा रहे हैं, तो इसका मतलब है कि लोग बैंक में जमा करने के बजाय नकदी के रूप में अपने पैसे को बचा रहे हैं। इसे गैर आधिकारिक या ब्लैक इकॉनमी कहा जाता है।  उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में करेंसी नोटों की छपाई से तस्करी और मनी लॉन्ड्रिंग भी बढ़ती है।

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!