Edited By rajesh kumar,Updated: 23 Apr, 2024 04:32 PM
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कलकत्ता उच्च न्यायालय ने मंगलवार को चेतावनी दी कि वह पश्चिम बंगाल के उन लोकसभा क्षेत्रों में मतदान की अनुमति नहीं देगा जहां रामनवमी समारोह के दौरान सांप्रदायिक हिंसा हुई थी। अदालत की यह टिप्पणी 17 अप्रैल को रामनवमी जुलूस के दौरान मुर्शिदाबाद में हुई...
नेशनल डेस्क: कलकत्ता उच्च न्यायालय ने मंगलवार को चेतावनी दी कि वह पश्चिम बंगाल के उन लोकसभा क्षेत्रों में मतदान की अनुमति नहीं देगा जहां रामनवमी समारोह के दौरान सांप्रदायिक हिंसा हुई थी। अदालत की यह टिप्पणी 17 अप्रैल को रामनवमी जुलूस के दौरान मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा पर सुनवाई के दौरान आई।
उच्च न्यायालय ने कहा, "अगर लोग शांति और सद्भाव में नहीं रह सकते हैं, तो हम कहेंगे कि चुनाव आयोग इन जिलों में संसदीय चुनाव नहीं करा सकता है। यही एकमात्र तरीका है।" इसमें कहा गया है, "आदर्श आचार संहिता लागू होने के बावजूद, अगर दो समूह के लोग इस तरह लड़ रहे हैं, तो वे किसी भी निर्वाचित प्रतिनिधि के लायक नहीं हैं।" अदालत ने कहा कि रामनवमी पर कोलकाता में भी इसी तरह के जुलूस निकले थे, लेकिन कोई हिंसा की खबर नहीं आई।
केंद्रीय बल क्या कर रहे हैं?
पीठ ने कहा, "कोलकाता में भी, 23 जगहें हैं जहां जश्न मनाया गया लेकिन कोई अप्रिय घटना नहीं हुई। अगर एमसीसी लागू होने पर ऐसा होता है, तो राज्य पुलिस क्या करती है? केंद्रीय बल क्या कर रहे हैं? दोनों झड़पों को रोक नहीं सके।'' पीठ ने राज्य के वकील से पूछा कि हिंसा से संबंधित मामलों में कितने लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इस पर राज्य के वकील ने अदालत को सूचित किया कि सीआईडी ने अब जांच अपने हाथ में ले ली है।
26 अप्रैल को अगली सुनवाई
पीठ ने जवाब दिया, "हमारा प्रस्ताव है कि हम भारत के चुनाव आयोग को एक सिफारिश करेंगे कि जो लोग शांति से जश्न नहीं मना सकते, उन्हें चुनाव में भाग लेने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।" हालांकि उच्च न्यायालय ने किसी भी सीट पर चुनाव स्थगित करने पर कोई आदेश जारी नहीं किया, लेकिन उसने कहा कि वह चुनाव आयोग को प्रस्ताव देगा कि बरहामपुर में चुनाव स्थगित कर दिया जाना चाहिए, जो मुर्शिदाबाद के अंतर्गत आता है। उच्च न्यायालय ने राज्य पुलिस को सांप्रदायिक झड़पों पर एक रिपोर्ट दाखिल करने का भी निर्देश दिया। अगली सुनवाई शुक्रवार 26 अप्रैल को होगी।