आयुर्वेदिक और यूनानी दवाओं के लिए 18 करोड़ मंजूर

Edited By Pardeep,Updated: 08 Dec, 2019 04:36 AM

18 crores approved for ayurvedic and unani medicines

पिछले कई महीने से दिल्ली सरकार की आयुर्वेदिक डिस्पेंसरियों में जारी दवाइयों की कमी अब दूर हो जाएगी। सूत्र बताते हैं कि दिल्ली कैबिनेट ने आयुर्वेदिक और यूनानी दवाइयों की खरीद के लिए 18 करोड़ रुपए खर्च करने की मंजूरी दे दी ...

नई दिल्ली: पिछले कई महीने से दिल्ली सरकार की आयुर्वेदिक डिस्पेंसरियों में जारी दवाइयों की कमी अब दूर हो जाएगी। सूत्र बताते हैं कि दिल्ली कैबिनेट ने आयुर्वेदिक और यूनानी दवाइयों की खरीद के लिए 18 करोड़ रुपए खर्च करने की मंजूरी दे दी है। अगले छह माह के लिए दवाइयां लेने की मंजूरी दी गई है।

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अध्यक्षता में हाल में हुई दिल्ली कैबिनेट की बैठक में इस आशय के निर्णय लिए गए हैं। बता दें कि लम्बे समय से दिल्ली सरकार की आयुर्वेदिक और यूनानी डिस्पेंसरियों में दवाएं समाप्त हो चुकी हैं,लेकिन नई खरीद पूरी तरह बंद है। इसके चलते मरीजों को चिकित्सक बाहर से दवाओं को खरीदने की सलाह देते हुए टरका रहे थे। बता दें कि दिल्ली सरकार की दिल्ली भर में 44 आयुर्वेदिक व 22 यूनानी डिस्पेंसरियां हैं। 

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दिल्ली कैबिनेट ने केंद्र सरकार की कंपनी इंडियन मेडिसिन्स फार्मासुटिकल कारपोरेशन लिमिटेड (आईएमपीसीएल) से दवाइयां खरीदने की मंजूरी दी है। इन डिस्पेंसरियों के लिए दवाई खरीद की प्रक्रिया ऐसी उलझी कि 31 मार्च 2018 के बाद दवाइयां नहीं खरीदी जा सकी हैं। ऐसे में जनता परेशान हो रही है। आयुर्वेदिक व यूनानी में कई ऐसी डिस्पेंसरियां भी हैं,जिनमें एक भी तरह की दवाई नही है। स्टाफ खाली है और जनता डॉक्टरों और स्टाफ पर नाराजगी जताती है। जब तक दवाइयों को खरीदने के लिए टेंडर का काम पूरा नहीं हो जाता। सीजीएचएस रेट पर अगले छह माह के लिए भारत सरकार की कंपनी आईएमपीसीएल से दवाइयां खरीदी जाएंगी। इसमें यूनानी में 100 के करीब दवाइयां हैं और आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी में भी करीब इतनी ही तरह की दवाइयां हैं।

तीसरी बार टेंडर जारी, लेकिन लगेगा समय    
लेकिन इसी दौरान विभाग को पता चला कि जिन कंपनियों ने दिल्ली सरकार के लिए जो रेट दिए हैं उन्हीं दवाइयां के लिए नगर निगमों व नई दिल्ली नगरपालिका परिषद के लिए रेट अलग हैं। इस पर विभाग ने जांच कराई जो सही पाई गई। ऐसे में इस बार भी टेंडर निरस्त हो गए। अब तीसरी बार टेेंडर जारी किए गए हैं जो गत 22 नवम्बर को खोल दिए गए। इसमें करीब 25 कंपनियों ने भाग लिया है। मगर इस कार्य में कुछ समय लग सकता है। इसके चलते सरकार ने सीजीएचएस के रेट पर भारत सरकार की कंपनी से अगले छह माह के लिए दवाइयां लेने के लिए मंजूरी दी है।  

क्या है मामला  

  • 31 मार्च 2018 के बाद इसके लिए दो बार टेंडर फेल हो चुके हैं। 
  • पहली बार टेंडर जारी हुआ तो टेंडर में भाग नहीं ले पाने वाली एक कंपनी हाईकोर्ट चली गई। 
  • कंपनी ने आरोप लगाया कि स्वास्थ्य विभाग के सर्वर में समस्या थी, इसलिए वह टेंडर के लिए अपने दस्तावेज नहीं अपलोड कर पाई। 
  • इस पर हाईकोई ने कंपनी को राहत दी। 
  • मगर विभाग सुप्रीम कोर्ट चला गया। 
  • इसमें काफी समय लग गया। 
  • बाद में सुप्रीम कोर्ट ने केस निरस्त कर दिया। 
  • इसके बाद विभाग ने फिर से टेंडर जारी किए। 
  • इसमें 65 कंपनियां आईं। 
  • इसमें से 11 कंपनियों के दस्तावेज सही पाए गए थे। 

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