दिल्ली को प्रदूषण मुक्त करने के लिए केजरीवाल सरकार इन 13 हॉटस्पॉट की कर रही निगरानी

Edited By Kamini Bisht,Updated: 13 Oct, 2020 08:16 AM

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दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने सोमवार को दिल्ली में प्रदूषण के 13 हॉटस्पॉट को लेकर अधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक में एमसीडी के 9 डिप्टी कमिश्नरों को निर्देश दिया गया कि वह इन हॉटस्पॉट का लगातार निरीक्षण करें। मंत्री ने

नई दिल्ली/ डेस्क। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने सोमवार को दिल्ली में प्रदूषण के 13 हॉटस्पॉट को लेकर अधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक में एमसीडी के 9 डिप्टी कमिश्नरों को निर्देश दिया गया कि वह इन हॉटस्पॉट का लगातार निरीक्षण करें। मंत्री ने हॉटस्पॉट की माइक्रो मॉनिटरिंग करके प्रदूषण से संबंधित सभी पहलुओं पर विस्तृत रिपोर्ट 14 अक्टूबर तक देने के निर्देश दिए हैं।

इस रिपोर्ट के आधार पर एक्शन प्लान बनाकर सभी विभागों के साथ समन्वय करके कार्य किया जाएगा। इस मीटिंग में सभी संबंधित विभागों को 13 हॉटस्पॉट के निरीक्षण के लिए और अधिक टीमों की नियुक्ति का आदेश दिया गया है। गोपाल राय ने बताया कि सरकार द्वारा ग्रीन तैयार किया जा रहा है। इसको लॉन्च करने से पहले सेंट्रल वॉर रूम और सभी संबंधित विभागों के साथ समन्वय स्थापित करने के लिए ट्रेनिंग का कार्य किया जा रहा है।

ये ंहै हॉटस्पॉट
मुंडका, अशोक विहार, बवाना, द्वारका, नरेला, आनंद विहार, रोहिणी, विवेक विहार, वजीरपुर, ओखला, जहांगीरपुरी, आरके पुरम, पंजाबी बाग।


गोपाल राय ने बताया कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल मंगलवार को नरेला क्षेत्र के खिड़की गांव से डी कंपोजर से बने घोलकर छिड़काव का शुभारंभ करेंगे। बता दें कि पूसा एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट के सहयोग से बायो डी कंपोजर घोल तैयार किया गया है, जिसे दोगुना करके कार्य किया जा रहा है। इस घोल का पराली पर छिड़काव करने से वह खेत में ही गलकर खाद बन जाएगी।

इन दिशा निर्देशों का पालन जरूरी
गोपाल राय ने कहा कि डीडीए, एमसीडी, सेंट्रल एजेंसी, बाढ़ नियंत्रण विभाग या कोई भी विभाग और किसी व्यक्ति या संस्थान द्वारा निर्माण कार्य के लिए पांच दिशा निर्देशों का पालन करना जरूरी है। सभी संबंधित विभागों को निर्देश दिए गए हैं कि वह यह तय करें कि प्रदूषण से संबंधित दिशा निर्देशों का पालन हो।

  • निर्माण और ध्वस्तीकरण के समय उसकी ऊंचाई से 3 गुना ऊपर तक तीन कवर लगाना होगा।
  • निर्माण एवं ध्वस्त स्थल पर ग्रीन नेट और त्रिपाल लगाना होगा।
  • निर्माण व ध्वस्त स्थल पर पानी के छिड़काव की उचित व्यवस्था और धूल को दबाने के लिए पानी का लगातार छिड़काव करना होगा।
  • 20 हजार वर्ग मीटर से ऊपर वाली जगह के लिए एंटी स्मॉग गन लगाना जरूरी है।
  • निर्माण और ध्वस्त स्थल पर अपशिष्ट पदार्थ पूरी तरह से ढके होने चाहिए।
  • कोई भी गाड़ी जो निर्माण स्थल या ध्वस्तीकरण स्थल पर आ रही है वह पूरी तरह से धुलि होनी चाहिए और उस पर स्थित सामग्री ढकी होनी चाहिए।

 

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