Edited By ,Updated: 02 Jan, 2015 03:59 PM
कहते हैं पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं। मतलब बचपन में ही मालूम हो जाता है कि बच्चा कैसा होगा। इसी कहावत को सच कर दिखाया है, जालंधर के मिठ्ठापुर इलाके की रहने वाली सात वर्षीय ऐंजल ने।
जालंधर: कहते हैं पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं। मतलब बचपन में ही मालूम हो जाता है कि बच्चा कैसा होगा। इसी कहावत को सच कर दिखाया है, जालंधर के मिठ्ठापुर इलाके की रहने वाली सात वर्षीय ऐंजल ने। अपने नाम की तरह वह सच में सबको परी जैसी दिखती है और उसमें एक कला है जो उसकी मां ने करीब साढ़े तीन साल पहले देख ली थी। मां ने उसे पहचाना व आज वह शात्रीय नाच कत्थक में अपने हुनर के जलवे बिखेर रही है। उसकी मां के अनुसार उसे एक गुरु से कत्थक की शिक्षा दिलाई जा रही है।
सात वर्षीय ऐंजल का कहना है कि उसे माधुरी दीक्षित बहुत पसंद है और वह बड़े होकर वह उनके जैसी कत्थक डांसर बनना चाहती है। पश्चिमी सभ्यता की तरफ जा रही युवा पीढ़ी के लिए ये नन्ही परी एक मिसाल बन रही है। अभी से कथ्थक में निपुण हो रही ऐंजल के लिए सुनहरी भविष्य के दरवाज़े खुल रहे हैं।