पंजाब राजभवन में बिना मंजूरी के बुलंद हो रही इमारतें

Edited By Priyanka rana,Updated: 09 Mar, 2020 08:43 AM

punjab raj bhawan buildings

पंजाब राजभवन में नियम-कायदों को ताक पर रखकर इमारतें बुलंद की जा रही हैं। इन दिनों राजभवन में एक बहुमंजिला ऑफिस ब्लॉक और सैंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स के लिए बैरक्स का निर्माण किया जा रहा है, लेकिन इन दोनों योजनाओं के लिए संबंधित विभागों से मंजूरी तक...

चंडीगढ़(अश्वनी) : पंजाब राजभवन में नियम-कायदों को ताक पर रखकर इमारतें बुलंद की जा रही हैं। इन दिनों राजभवन में एक बहुमंजिला ऑफिस ब्लॉक और सैंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स के लिए बैरक्स का निर्माण किया जा रहा है, लेकिन इन दोनों योजनाओं के लिए संबंधित विभागों से मंजूरी तक नहीं ली गई है। खास बात यह है कि इन दोनों योजनाओं में पर्यावरण कानून का खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है। 

यह हालत तब है जब पंजाब के राज्यपाल व चंडीगढ़ प्रशासक वी.पी. बदनौर गाहे-बगाहे खुद को पर्यावरण हितैषी बताते रहते हैं। कायदे से इन इमारतों के निर्माण से पहले इंजीनियरिंग डिपार्टमैंट को पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी के पास द वाटर (प्रीवैंशन एंड कंट्रोल ऑफ पॉल्यूशन) एक्ट और वाटर (प्रीवैंशन एंड कंट्रोल ऑफ पॉल्यूशन) एक्ट के तहत कन्सैंट यानी मंजूरी के लिए आवेदन करना था। 

पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी की कन्सैंट और नो ऑब्जैक्शन सर्टिफिकेट के बिना निर्माण कार्य नहीं किया जा सकता है। बावजूद इसके चंडीगढ़ प्रशासन ने नियम-कायदों को ताक पर रखकर बिना मंजूरी के ही निर्माण कार्य चालू कर दिया है और तो और बहुमंजिला ऑफिस ब्लॉक और बैरक्स के दो मंजिल तक बुलंद कर दी हैं। मौजूदा समय में राजभवन के भीतर दिन-रात धड़ल्ले से काम चल रहा है। चंडीगढ़ प्रशासन के अधिकारियों की मानें तो इन दोनों इमारतों पर करीब 5 करोड़ रुपए खर्च का अनुमान है।

बिना मंजूरी के खोद डाला :
इन इमारतों को लेकर खनन विभाग से भी मंजूरी नहीं ली गई है। नियमानुसार किसी भी कंस्ट्रक्शन प्रोजैक्ट में अगर बैसमैंट की खुदाई का प्रस्ताव रखा गया है तो खुदाई से पहले संबंधित खनन विभाग से मंजूरी लेनी अनिवार्य है। बावजूद इसके राजभवन में निर्माणाधीन बहुमंजिला ऑफिस ब्लॉक और बैरक्स की दोनों इमारतों में बिना मंजूरी के ही जमीन खोद दी गई है। इन इमारतों का निर्माण कर रहे इंजीनियर की मानें तो इन दोनों इमारतों में जमीन के नीचे बैसमैंट का प्रावधान रखा गया है। 

एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप :
बिना मंजूरी के निर्माण कार्य की बात पूछने पर चंडीगढ़ प्रशासन के अधिकारी एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। इंजीनियरिंग डिपार्टमैंट के संबंधित अधिकारी से बात की गई उन्होंने कहा कि इंजीनियरिंग डिपार्टमैंट का कार्य तो निर्माण कार्य मुकम्मल करवाना है। उन्हें तो चीफ आर्किटैक्ट डिपार्टमैंट से अप्रूव्ड ड्राइंग्स मिलती हैं, जिनके आधार पर टैंडर जारी कर काम अलॉट कर दिया जाता है। 

वहीं, चीफ आर्किटैक्ट डिपार्टमैंट के संबंधित अधिकारी का कहना है कि उनका विभाग केवल ड्राइंग जारी करता है तो इसके बाद विभिन्न विभागों से मंजूरी लेने का कार्य इंजीनियरिंग डिपार्टमैंट या संबंधित विभाग का होता है। अगर किसी योजना में पेड़ कटने हैं तो चीफ आर्किटैक्ट डिपार्टमैंट वन विभाग के पास मंजूरी के लिए आवेदन नहीं करता है।

चंडीगढ़ में ही अलग-अलग नियम :
एक तरफ जहां पंजाब राजभवन में सभी तरह के नियम-कायदों को ताक पर रखकर खुलेआम अवैध निर्माण किया जा रहा है और तमाम अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं। वहीं, दूसरी ओर इसी शहर में पर्यावरण कानून की बिना मंजूरी के कई निर्माण योजनाओं पर कानूनी कार्रवाई की तलवार लटक रही है। बाकायदा चंडीगढ़ प्रशासक वी.पी.बदनौर ने ही पर्यावरण कानून का उल्लंघन करने वाली कई निर्माण योजनाओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मंजूरी दी है। 

इसी कड़ी में पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी ने भी इंडस्ट्रीयल एरिया में बिना मंजूरी के निर्माण कार्य पर कई नोटिस जारी किए हुए हैं। तीन महीने पहले इंडस्ट्रीयल एरिया के प्लॉट नंबर 191 में एक ऑफिस कॉम्पलैक्स के निर्माण से पहले प्रोजैक्ट संचालक को कमेटी के पास आवेदन करने के लिए कहा गया था। इस ऑफिस कॉम्पलैक्स का बिल्डअप एरिया 20,000 वर्ग मीटर से कम था और कमेटी ने योजना संचालक पर निर्माण से पहले कई तरह की शर्ते लगाई थीं।  

पंजाब में 37 तरह की कंडीशन :
पंजाब में बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन प्रोजैक्ट को मंजूरी देते हुए करीब 37 तरह की कंडीशन लगाई जाती हैं। बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन प्रोजैक्ट के लिए प्रोजैक्ट संचालक को पहले पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास कन्सैंट के लिए आवेदन करना पड़ता है। 

प्रोजैक्ट संचालक को यह बताना पड़ता है कि निर्माण योजना का बिल्डअप एरिया 20,000 वर्ग मीटर से कम है या ज्यादा। इसके बाद बोर्ड संबंधित योजना पर 37 तरह की जनरल कंडीशन के लिए अलावा योजना के महत्व को देखते हुए कई स्पेशल कंडीशन भी लगाता है। इन सभी कंडीशन को पूरा करने पर ही निर्माण कार्य चालू किया जाता है।

पर्यावरण मंत्रालय ने भी जारी की हुई हैं सख्त गाइडलाइंस :
पर्यावरण मंत्रालय ने भी देशभर में तमाम निर्माण योजनाओं को लेकर सख्त गाइडलाइंस जारी की हुई हैं। मंत्रालय ने स्पष्ट किया हुआ है कि अगर बिल्डिंग एंड कंस्ट्रक्शन प्रोजैक्ट के तहत 20,000 वर्ग मीटर से ज्यादा बिल्डअप एरिया पर निर्माण प्रस्तावित है तो निर्माण से पहले संबंधित प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड या कमेटी से कन्सैंट के अलावा स्टेट एन्वायरमैंट इम्पैक्ट असैसमैंट अथॉरिटी के पास एन्वायरमैंट क्लीयरैंस लेनी अनिवार्य है। 

इसी कड़ी में अगर 20,000 वर्ग मीटर से कम बिल्डअप एरिया है तो प्रोजैक्ट संचालक को संबंधित पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी या बोर्ड से साथ ही, एयर एंड वाटर एक्ट के तहत कन्सैंट और नो ऑब्जैक्शन सर्टिफिकेट लेना पड़ेगा। इसी कड़ी में बैसमैंट की खुदाई होने की सूरत में संबंधित खनन विभाग से मंजूरी लेनी होगी। वहीं, अगर बौरवैल के जरिए पानी का इस्तेमाल होना है तो सैंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड के पास भी अनुमति के लिए आवेदन करना होगा। इसी तरह विभिन्न महकमों से मंजूरी का प्रावधान है। 

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