यमराज का कोर्ट: स्वर्ग और नरक में जाने का ऐसे होता है फैसला

Edited By ,Updated: 25 Mar, 2016 12:36 AM

inspirational story

किसी गांव में एक साधु रहता था जो दिन भर लोगों को उपदेश दिया करता था। उसी गांव में एक नर्तकी थी जो लोगों के सामने नाचकर उनका मन बहलाया करती थी।

किसी गांव में एक साधु रहता था जो दिन भर लोगों को उपदेश दिया करता था। उसी गांव में एक नर्तकी थी जो लोगों के सामने नाचकर उनका मन बहलाया करती थी।

एक दिन गांव में बाढ़ आ गई और दोनों एक साथ ही मर गए। मरने के बाद जब ये दोनों यमलोक पहुंचे तो इनके कर्मों और उनके पीछे छिपी भावनाओं के आधार पर इन्हें स्वर्ग या नरक दिए जाने की बात कही गई। साधु खुद को स्वर्ग मिलने को लेकर पूरा आश्वस्त था। वहीं नर्तकी अपने मन में ऐसा कुछ भी विचार नहीं कर रही थी। नर्तकी को सिर्फ फैसले का इंतजार था।


तभी घोषणा हुई कि साधु को नरक और नर्तकी को स्वर्ग दिया जाता है। इस फैसले को सुनकर साधु गुस्से से यमराज पर चिल्लाया और क्रोधित होकर पूछा, ‘‘यह कैसा न्याय है महाराज? मैं जीवन भर लोगों को उपदेश देता रहा और मुझे नरक नसीब हुआ। जबकि यह स्त्री जीवन भर लोगों को रिझाने के लिए नाचती रही और इसे स्वर्ग दिया जा रहा है। ऐसा क्यों?’’


यमराज ने शांत भाव से उत्तर दिया, ‘‘यह नर्तकी अपना पेट भरने के लिए नाचती थी लेकिन इसके मन में यही भावना थी कि मैं अपनी कला को ईश्वर के चरणों में समर्पित कर रही हूं जबकि तुम उपदेश देते हुए भी यह सोचते थे कि काश तुम्हें भी नर्तकी का नाच देखने को मिल जाता।


हे साधु! लगता है तुम इस ईश्वर के इस महत्वपूर्ण संदेश को भूल गए कि इंसान के कर्म से अधिक कर्म करने के पीछे की भावनाएं मायने रखती हैं। अत: तुम्हें नरक और नर्तकी को स्वर्ग दिया जाता है।’’


हम कोई भी काम करें, उसे करने के पीछे की नीयत साफ होनी चाहिए, अन्यथा दिखने में भले लगने वाले काम भी हमें पुण्य की जगह पाप का ही भागी बना देंगे।

Related Story

    IPL
    Chennai Super Kings

    176/4

    18.4

    Royal Challengers Bangalore

    173/6

    20.0

    Chennai Super Kings win by 6 wickets

    RR 9.57
    img title
    img title

    Be on the top of everything happening around the world.

    Try Premium Service.

    Subscribe Now!