Edited By PTI News Agency,Updated: 04 Apr, 2020 04:23 PM
नयी दिल्ली, चार अप्रैल (भाषा) कोरोना वायरस की वजह से लागू बंदी से श्रम आधारित कालीन क्षेत्र गंभीर समस्या से जूझ रहा है। ऐसे में कालीन निर्यातकों ने सरकार से क्षेत्र को विशेष प्रोत्साहन पैकेज देने की मांग की है।
नयी दिल्ली, चार अप्रैल (भाषा) कोरोना वायरस की वजह से लागू बंदी से श्रम आधारित कालीन क्षेत्र गंभीर समस्या से जूझ रहा है। ऐसे में कालीन निर्यातकों ने सरकार से क्षेत्र को विशेष प्रोत्साहन पैकेज देने की मांग की है।
कालीन निर्यात संवर्द्धन परिषद (सीईपीसी) के चेयरमैन सिद्ध नाथ सिंह ने कहा कि देश की सभी कालीन इकाइयां पूरी तरह से बंद हैं। इनमें आगरा, मिर्जापुर, वाराणसी और भदोही की इकाइयां भी शामिल हैं। आवाजाही पर पूरी तरह से प्रतिबंध है जिसकी वजह से कालीन इकाइयां ठप हैं।
सिंह ने कहा, ‘‘लॉकडाउन की वजह से हमें निर्यात का 2,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है। इकाइयों में हमारी खेप तैयार है लेकिन हम इन्हें बाहर भेजने के लिए बंदरगाह पर लेकर नहीं जा सकते। क्षेत्र को अमेरिका और यूरोप से आर्डर रद्द होने की वजह से भी समस्या आ रही है।’’
सिंह ने बताया कि कालीन निर्यात में 90 प्रतिशत हिस्सा अमेरिका और यूरोप का है। इस जानलेवा महामारी से दोनों क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। उन्होंने कहा कि इस वजह से चालू वित्त वर्ष के अंत तक हमारा निर्यात घटकर 10,000 करोड़ रुपये पर आ सकता है। पिछले साल हमने 12,500 करोड़ रुपये का निर्यात किया था।
सिंह ने कहा, ‘‘हम सरकार से हथकरघा, हस्तशिल्प और कालीन क्षेत्रों के लिए विशेष पैकेज की मांग करते हैं। बंदी की वजह से इन सभी क्षेत्रों की हालत काफी खराब है। कुल मिलाकर इन क्षेत्रों में लाखों लोग कार्यरत है। अब तो खरीदारों ने भी भुगतान रोक दिया है।’’
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।