राज्यों पर अतिरिक्त कर्ज के उपयोग को लेकर कोई पाबंदी नहीं: वित्त मंत्रालय अधिकारी

Edited By PTI News Agency,Updated: 21 May, 2020 07:54 PM

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नयी दिल्ली, 21 मई (भाषा) केंद्र ने राज्यों पर 2 प्रतिशत अतिरिक्त कर्ज के उपयोग को लेकर किसी तरह की कोई पाबंदी नहीं लगायी है और वे अपनी जरूरतों के अनुसार खर्च करने को लेकर स्वतंत्र हैं। वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह कहा है।

नयी दिल्ली, 21 मई (भाषा) केंद्र ने राज्यों पर 2 प्रतिशत अतिरिक्त कर्ज के उपयोग को लेकर किसी तरह की कोई पाबंदी नहीं लगायी है और वे अपनी जरूरतों के अनुसार खर्च करने को लेकर स्वतंत्र हैं। वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह कहा है।

अधिकारी ने स्पष्ट किया कि राजकोषीय जवाबदेही और बजट प्रबंधन कानून (एफआरबीएम) के तहत 3 प्रतिशत कर्ज की सीमा बिना किसी शर्त के है जबकि अतिरिक्त दो प्रतिशत कर्ज में से केवल एक प्रतिशत कर्ज को नागरिक केंद्रित सुधारों से जोड़ा गया है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रविवार को आर्थिक पैकेज की पांचवीं किस्त की घोषणा करते हुए राज्यों के लिये कर्ज सीमा बढ़ाने का ऐलान किया। उन्होंने कहा था कि बढ़ी कर्ज सीमा इस बात पर निर्भर है कि राज्य नागरिकों को ध्यान में रखकर सुधारों को आगे बढ़ाएंगे ताकि लोगों के लिये सेवा आपूर्ति गुणवत्तता में सुधार हो।

केंद्र सरकार ने राज्यों को कोरोना वायरस संकट से निपटने में मदद के लिये उनका संसाधन बढ़ाने के इरादे से कर्ज सीमा बढ़ाने की अनुमति दे दी। इसके तहत राज्य अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) का 2 प्रतिशत अतिरिक्त कर्ज ले सकेंगे। सामान्य स्थिति में यह सीमा 3 प्रतिशत है। कर्ज सीमा कुछ शर्तों के साथ बढ़ायी गयी।

अधिकारी ने कहा, ‘‘मूल 3 प्रतिशत की सीमा बिना किसी शर्त के है। दो प्रतिशत की अतिरिक्त उधारी में से 0.5 प्रतिशत के लिये कोई शर्त नहीं है जबकि 1 प्रतिशत कुछ सुधारों पर निर्भर है (प्रत्येक सुधारों पर 0.25 प्रतिशत)। पुन: 0.50 प्रतिशत सुझाये गये कम-से-कम तीन सुधारों के क्रियान्वयन के लिये है।’’
उसने कहा कि अतिरिक्त उधारी के हिस्से के लिये पात्रता सशर्त है लेकिन इसका उपयोग किसी शर्त पर निर्भर नहीं है। केंद्र सरकार ने जिन सुधारों का सुझाव दिया है, वह लागों के हितों से जुड़े है और इसका मकसद लोगों के लिये सेवा ‘डिलिवरी’ की गुणवत्ता को बेहतर बनाना है।

इन सुधारों में ‘एक देश एक राशन कार्ड’ प्रणाली को क्रियान्वित करना, कारोबार सुगमता के लिये लाइसेंस व्यवस्था में सुधार, स्थानीय निकायों को मजबूत बनाना और बिजली क्षेत्र में सुधार शामिल हैं।

कर्ज सीमा बढ़ाये जाने से राज्यों को 4.28 लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त संसाधन मिलेगें। इससे उन्हें कोरोना संकट से पार पाने में मदद मिलेगी।

वित्त वर्ष 2020-21 के लिये राज्यों की कर्ज सीमा 6.41 लाख करोड़ रुपये (राज्य जीडीपी का 3 प्रतिशत) है।


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