न्यायालय ने रीयल एस्टेट फर्म यूनिटेक के पुनरूद्धार की योजना साझा करने की अनुमति दी

Edited By PTI News Agency,Updated: 31 Jul, 2020 11:05 PM

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नयी दिल्ली, 31 जुलाई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को संकटग्रस्त यूनिटेक लि के नवगठित निदेशक मण्डल को आदेश दिया कि इस फर्म के पुनरूद्धार से संबंधित समाधान की योजना अपनी बेबसाइट पर साझा करके संबंधित पक्षकारों से सुझाव मांग सकता है।

नयी दिल्ली, 31 जुलाई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को संकटग्रस्त यूनिटेक लि के नवगठित निदेशक मण्डल को आदेश दिया कि इस फर्म के पुनरूद्धार से संबंधित समाधान की योजना अपनी बेबसाइट पर साझा करके संबंधित पक्षकारों से सुझाव मांग सकता है।
न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने वीडियो कांफ्रेन्स के माध्यम से इस मामले में न्यायमित्र पवनश्री अग्रवाल के इन सुझावों का संज्ञान लिया कि अगर न्यायालय चाहे तो कंपनी के पोर्टल पर इस समाधान योजना को साझा करके पक्षकारों से सुझाव मांगे जा सकते हैं।

पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘यूनिटेक लि के नवगठित निदेशक मंडल ने समाधान योजना पेश की है। इस योजना की जानकारी हितधारकों तक पहुंचाने के लिये, हम न्याय मित्र पवनश्री अग्रवाल से अनुरोध करते हैं कि न्यायालय के आदेश के अनुसार बनाये गये पोर्टल पर वह इस योजना की प्रति नये निदेशक मंडल की अर्जी के साथ अपलोड करें।’’
आदेश में आगे कहा गया, ‘‘न्याय मित्र इस मामले में प्राप्त सुझावों को अपनी रिपोर्ट में तैयार करेंगे। इस योजना को अपलोड किये जाने की तारीख से दस दिन के भीतर हितधारक अपने सुझाव न्याय मित्र को दे सकेंगे। ’’
पीठ ने कहा कि न्याय मित्र इन सुझावों को नये निदेशक मंडल के वकील के साथ साझा करेंगे।

भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता कोड के तहत नव गठित निदेशक मंडल ने यह समाधान योजना पेश की है।

शीर्ष अदालत ने 20 जनवरी को यूनिटेक के करीब 12,000 परेशान मकान खरीदारों को राहत देते हुये केन्द्र को इस कंपनी का पूरा प्रबंधन अपने नियंत्रण में लेने और नया निदेशक मंडल नियुक्त करके इसमें नये निदेशकों को मनोनीत करने की अनुमति दी थी।

इस मामले की सुनवाई के दौरान अग्रवाल ने कहा कि अगर न्यायालय उचित समझे तो इस समाधान योजना की एक प्रति नवगठित निदेशक मंडल पोर्टल पर डाल सकता है ताकि पक्षकार इसे देख सकें और चाहें तो इसमें सुझाव दे सकें।

न्यायालय रीयल एस्टेट फर्म यूनिटेक लि के पुनरूद्धार के लिये तैयार समाधान योजना पर अब 24 अगस्त को आगे विचार करेगा।

शीर्ष अदालत ने इस साल जनवरी में केन्द्र को इस फर्म का नियंत्रण पूरी तरह अपने हाथ में लेने की अनुमति दी थी और इसके बाद उसने हरियाणा काडर के सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी युदवीर सिंह मलिक की नये बोर्ड का अध्यक्ष एवं प्रबंधक निदेशक पद पर नियुक्ति को मंजूरी दी थी।
न्यायालय ने कहा था कि बोर्ड के वर्तमान निदेशकों को अधिक्रमित माना जायेगा।

मकान खरीदारों का धन कथित रूप से हड़पने के आरोप में पिछले तीन साल से तिहाड़ जेल में बंद यूनिटेक लि के प्रवर्तक संजय चन्द्रा को न्यायालय ने सात जुलाई को मानवीय आधार पर 30 दिन के लिये अंतरिम जमानत दी थी क्योंकि उसके माता-पिता दोनों ही कोविड-19 से संक्रमित हैं।

न्यायालय ने मकान खरीदारों के करोड़ों रुपये कथित रूप से हड़पने के मामले में पिछले साल जनवरी में संजय और उनके भाई अजय चन्द्रा को जमानत देने से इंकार कर दिया था।

न्यायालय ने कहा था कि उन्होंने अभी तक उसके 30 अक्टूबर, 2017 के आदेश का पालन नहीं किया। इस आदेश के तहत न्यायालय ने यूनिटेक लिमिटेड के इन प्रवर्तकों को 31 दिसंबर, 2017 तक शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री में 750 करोड़ रुपये जमा कराने का निर्देश दिया था।

यह मामला 2015 में दर्ज करायी गयी एक शिकायत से संबंधित था लेकिन बाद में यूनिटेक लिमिटेड की गुरुग्राम में स्थित ‘वाइल्ड फ्लावर कंट्री’ और ‘अंथिया’ परियोजना के 173 अन्य मकान खरीदार भी शामिल हो गये थे।


यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

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