Edited By PTI News Agency,Updated: 01 Aug, 2020 12:24 PM
नयी दिल्ली, 29 जुलाई (भाषा) सरकार जिम्मेदारी वाले कृत्रिम मेधा (एआई) में विशेष अनुसंधान परियोजनाओं का वित्त पोषण कर सकती है और विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में एआई के नैतिक सिद्धांतों को पेश कर सकती है। नीति आयोग के एक परिचर्चा पत्र के...
नयी दिल्ली, 29 जुलाई (भाषा) सरकार जिम्मेदारी वाले कृत्रिम मेधा (एआई) में विशेष अनुसंधान परियोजनाओं का वित्त पोषण कर सकती है और विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में एआई के नैतिक सिद्धांतों को पेश कर सकती है। नीति आयोग के एक परिचर्चा पत्र के अनुसार ऐसा अनुमान है कि इस नये युग की प्रौद्योगिकी से भारत की सालाना आर्थिक वृद्धि दर में 2035 तक 1.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो सकती है।
‘सभी के लिये जबवादेह एआई की ओर’ शीर्षक वाले परिचर्चा पत्र में कहा गया है कि विभिन्न सामाजिक क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर कृत्रिम मेधा को अपनाये जाने की संभावना है।
इसमें कहा गया है, ‘‘एआई से 2035 तक भारत की सालाना आर्थिक वृद्धि दर में 1.3 प्रतिशत की तेजी आ सकती है...सरकार जवाबदेह कृत्रिम मेधा (एआई) में विशेष अनुसंधान परियोजनाओं का वित्त पोषण कर सकती है और विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में एआई के नैतिक सिद्धांतों को पेश कर सकती है।’’
इसमें कहा गया है कि कृत्रिम मेधा अपेक्षाकृत नया है लेकिन इसमें निजी और सरकारी एजेंसियों दोनों की जोखिम को प्रबंधित करने को लेकर उपकरण बनाने के लिये रूचि बढ़ रही है।
परिचर्चा पत्र के अनुसार कृत्रि मेधा के तेजी से बढ़ने से कई नियमित रोजगार में स्वचालन बढ़ा है।
इसमें कहा गया हे, ‘‘विनिर्माण और आईटी सेवा क्षेत्र की रोजगार में हिस्सेदारी क्रमश: एक करोड़ और 30 लाख है। लेकिन ये क्षेत्र विशेष रूप से प्रभावित हैं।
मसौदा दस्तावेज में कहा गया है कि सरकार, मंत्रालय और विभाग कृत्रिम मेधा आधारित समाधान के उपयोग पर गौर कर रहे हैं।
आयोग ने परिचर्चा पत्र पर 10 अगस्त तक संबंधित पक्षों से प्रतिक्रिया देने को कहा है।
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