लोकसभा के मानसून सत्र की बैठक अनिश्चित काल के लिए स्थगित, 167 प्रतिशत कार्य उत्पादकता रही

Edited By PTI News Agency,Updated: 23 Sep, 2020 09:05 PM

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नयी दिल्ली, 23 सितंबर (भाषा) लोकसभा के मानसून सत्र की बैठक बुधवार को अपने निर्धारित समय से करीब आठ दिन पहले अनिश्चित काल के लिए स्थगित हो गयी। छोटी अवधि होने के बावजूद निचले सदन में 25 विधेयकों को पारित किया गया और 167 प्रतिशत कामकाज हुआ।

नयी दिल्ली, 23 सितंबर (भाषा) लोकसभा के मानसून सत्र की बैठक बुधवार को अपने निर्धारित समय से करीब आठ दिन पहले अनिश्चित काल के लिए स्थगित हो गयी। छोटी अवधि होने के बावजूद निचले सदन में 25 विधेयकों को पारित किया गया और 167 प्रतिशत कामकाज हुआ।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कोरोना वायरस महामारी के बीच मानसूत्र सत्र के आयोजन को कई अर्थों में ‘ऐतिहासिक’ बताते हुए कहा कि ऐसी परिस्थिति में भी सदस्यों के सक्रिय सहयोग और सकारात्मक भागीदारी के कारण निचले सदन ने कार्य उत्पादकता के नये कीर्तिमान स्थापित किये जो 167 प्रतिशत रही। उन्होंने कहा कि यह अन्य सत्रों से अधिक रही।

अध्यक्ष ने बताया कि 14 सितंबर से शुरू हुए मानसून सत्र के दौरान लोकसभा की 10 बैठकें बिना अवकाश के हुईं जिनमें निर्धारित कुल 37 घंटे की तुलना में कुल 60 घंटे की कार्यवाही संपन्न हुई। इस तरह सभा की कार्यवाही निर्धारित समय से 23 घंटे अतिरिक्त चली।

उन्होंने कहा कि सत्र में 68 प्रतिशत समय में विधायी कामकाज और शेष 32 प्रतिशत में गैर विधायी कामकाज संपन्न हुआ।

बिरला ने बताया कि इस सत्र में निचले सदन ने आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020, कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक-2020, कृषक (सशक्तीरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 तथा उपजीविकाजन्य सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्यदशा संहिता 2020, औद्योगिक संबंध संहिता 2020 और सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 से संबंधित विधेयकों समेत कुल 25 विधेयक पारित हुए।

इस सत्र में 16 सरकारी विधेयक पुर:स्थापित किये गये।

उन्होंने कहा कि सदन में 2020-21 के लिये अनुदान की अनुपूरक मांगों के पहले बैच और वर्ष 2016-17 की अतिरिक्त अनुदान की मांगों पर 4 घंटे 38 मिनट चर्चा चली। उसके बाद संबंधित विनियोग विधेयक को मंजूरी दी गयी।
अध्यक्ष ने कहा कि सत्र के दौरान सदस्यों के 2,300 अतारांकित प्रश्नों के उत्तर दिये गये। इस दौरान 370 मामले शून्यकाल में उठाये गये और 20 सितंबर को शून्यकाल में देर रात तक 88 सदस्यों ने लोक महत्व के विषय उठाए।

बिरला ने कहा कि नियम 377 के तहत 181 मामले लोक महत्व के उठाये गये और इनमें अधिकांश में संबंधित मंत्रालय की ओर से उत्तर भी दिये गये।

लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि 15वीं लोकसभा में जहां 57.17 प्रतिशत मामलों पर मंत्रालयों से उत्तर प्राप्त हुए, वहीं 17वीं लोकसभा में 98 प्रतिशत से अधिक मामलों में उत्तर मिले।

उन्होंने कहा, ‘‘ मेरा निरंतर प्रयास रहा है कि सदस्यों को मंत्रालयों से एक महीने की निर्धारित अवधि के अंदर ही उत्तर प्राप्त हो जाएं।’’
उन्होंने बताया कि मानसून सत्र में निचले सदन में मंत्रियों ने 40 वक्तव्य दिये जिनमें कोविड-19 महामारी पर, किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर और पूर्वी लद्दाख की स्थिति पर दिये गये वक्तव्य प्रमुख हैं।

इसके अतिरिक्त नियम 193 के तहत कोविड-19 वैश्विक महामारी पर सदन में अल्पकालिक चर्चा भी हुई जो 5 घंटे आठ मिनट तक चली।

उन्होंने कहा कि उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू के निरंतर सहयोग और मागर्दर्शन से भी सदन के सुचारू संचालन में सहायता मिली।

अध्यक्ष ने कहा कि महामारी के बीच भी सदस्यों ने अपनी संवैधानिक जिम्मेदारियों को ऊपर रखा तथा स्वास्थ्य संबंधी सभी प्रोटोकॉल का पूरी तरह पालन किया।

उन्होंने कहा कि कोविड-19 के प्रकोप के कारण संसदीय इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ जब एक सदन के सदस्य बैठक के दौरान दोनों सदनों के कक्षों और दीर्घाओं में बैठे।


यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

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