नये कृषि कानूनों को सही तरीके से क्रियान्वित करने से खेती-बाड़ी नई ऊंचाई पर पहुंचेगी: नीति सदस्य

Edited By PTI News Agency,Updated: 09 Nov, 2020 08:11 PM

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नयी दिल्ली, नौ नवंबर (भाषा) नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने कहा है कि केंद्र के तीनों कृषि कानून बदलते समय के अनुसार हैं और अगर उसे सही तरीके लागू किया गया, देश में खेती-बाड़ी नई ऊंचाई पर पहुंचेगी। ‘नये कृषि कानून: उसके निहितार्थ’ शीर्षक वाले...

नयी दिल्ली, नौ नवंबर (भाषा) नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने कहा है कि केंद्र के तीनों कृषि कानून बदलते समय के अनुसार हैं और अगर उसे सही तरीके लागू किया गया, देश में खेती-बाड़ी नई ऊंचाई पर पहुंचेगी। ‘नये कृषि कानून: उसके निहितार्थ’ शीर्षक वाले एक रिपोर्ट में चंद ने कहा कि सुधारों ने भारत के लिये कृषि क्षेत्र में एक वैश्विक शक्ति और वैश्विक खाद्य आपूर्ति के महत्वपूर्ण केंद्र बनने को लेकर उम्मीद जगायी है।
उन्होंने कहा, ‘‘संक्षेप में कहा जाए, केंद्र सरकार ने तीनों नये कानून के जरिये जो नीतिगत सुधार किये हैं, वे बदलते समय, किसानों और खेती की जरूरतों के हिसाब से उपुयक्त हैं।’’
चंद ने कहा, ‘‘अगर उसे सही तरीके से क्रियान्वित किया जाए तो, ये भारतीय कृषि को नई ऊंचाई पर ले जाएंगे और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में बदलाव की शुरूआत होगी।’’
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने तीनों कृषि कानून...कृषक उपज व्‍यापार एवं वाणिज्‍य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020, कृषि (सशक्तीकरण और संरक्षण) मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 तथा आवश्‍यक वस्‍तु (संशोधन) विधेयक, 2020 को 27 सितंबर को अपनी मंजूरी दे दी।
नीति आयोग के सदस्य ने कहा कि कृषि क्षेत्र में नीतिगत मोर्चे पर सुधार पिछले दो दशकों से चर्चा का विषय है। ‘‘पहले से चली आ रही व्यवस्था वाले रुख से केवल वृद्धि के रूप में बदलाव हो रहा था जबकि कृषि संकट के समाधान के लिये व्यापक बदलाव की जरूरत थी।’’
उन्होंने कहा कि कृषक उपज व्‍यापार एवं वाणिज्‍य कानून (एफपीटीसी कानून) किसानों को देश में कहीं भी कृषि उपज बेचने की आजादी देता है। वह उसे एपीएमसी मंडियों या उससे बाहर बेच सकते हैं।
चंद ने कहा, ‘‘इस कानून का मकसद या प्रावधान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) व्यवस्था को कमजोर या हल्का करना नहीं है और न ही इससे एपीएमसी (कृषि उपज बाजार समिति) बाजार को कोई खतरा है।’’
उन्होंने कहा कि एपीएमसी मंडियों और उनके कारोबार को राज्यों द्वारा लगाये जाने वाले अधिक और अनुचित शुल्कों से खतरा है। नये एमपीटीसी कानून से केवल एपीएमसी बाजारों को प्रतिस्पर्धी बनने को लेकर दबाव बनेगा।

कृषि (सशक्तीकरण और संरक्षण) मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा पर करार कानून के बारे में चंद ने कहा कि अधिनियम किसानों के हित में है और कोई भी पक्ष सहमत अवधि से परे समझौते को जारी रखने के लिए बाध्य नहीं होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘कानून से विविधीकरण, अधिक मूल्य के लिये गुणवत्तापूर्ण उत्पादन, उपज के निर्यात और इच्छानुसार संबंधित ग्राहकों को सीधी बिक्री को बढ़ावा मिलेगा। यह कृषि क्षेत्र में नई पूंजी भी और जानकारी भी लाने में मददगार होगा और किसानों की मूल्य श्रृंखला में भागीदारी का रास्ता साफ करेगा।’’
आवश्यक वस्तु अधिनियम (ईसीए) में संशोधन का जिक्र करते हुए नीति आयोग सदस्य ने कहा कि इससे चीजें पारदर्शी होंगी और अधिकारियों के ईसीए कानून के उपयोग को लेकर जो मनमानापन था, उस पर अंकुश लगेगा।
उन्होंने कहा कि सरकार का ईसीए लागू करने का अधिकार अक्षुण्ण बना हुआ है। प्याज के दाम में उछाल के बाद सीमा नियत किये जाने का निर्णय इसका उदाहरण है।
चंद ने कहा, ‘‘कानून में संशोधन में कुछ भी ऐसा नहीं है, जिससे किसानों के हित प्रभावित हों।’’
उन्होंने यह भी कहा कि ईसीए में संशोधन से कृषि क्षेत्र में जरूरी निजी निवेश आकर्षित होगा।



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